बिलासपुर (गंगा प्रकाश)। रेलवे कन्सट्रक्शन कालोनी बिलासपुर के परिसर में सार्वजनिक दुर्गा लक्ष्मी काली पूजा उत्सव समिति के आयाजकों द्वारा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य पूजा पंडाल के मध्य मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई। परंतु इस वर्ष बनाए गए पूजा पंडाल की बात ही निराली है। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देने वाले क्रांतिकारियों को दी जाने वाली क्रूरतम सजाओं में से एक कालापानी की ही सजा थी।
सेल्यूलर जेल में बंदियों को दी जाने वाली तरह-तरह के कठोर यातनाओं का जीवंत चित्रण दर्शकों को रोमांचित करने वाले हैं। आजादी के लिए सशस्त्र क्रांति का मार्ग अपना कर देश को आजाद कराने के लिए संघर्षरत युवाओं ने अदम्य साहस का परिचय दिया और कालापानी की सजा झेली। हजारों देशभक्तों ने सेल्यूलर जेल की यातनामय कष्ट झेले। आज की वर्तमान पीढ़ी को ‘कालापानी’ के देशभक्तों के त्याग और बलिदान से प्रेरणा ग्रहण करने की आवश्यकता है।
सेल्यूलर जेल पर केन्द्रित कर बनाए गए पूजा पंडाल की खबर मिलने के बाद इससे प्रभावित होकर लेखक व इतिहासकार डॉ. लोकेश शरण उक्त पंडाल को देखने पहुंचे। उन्होंने कैदियों की भूमिका निभा रहे कलाकारों से मुलाकात कर उनकी हौसलाअफजाई की। डॉ. शरण ने दुर्गा पूजा समिति आयोजक मंडल के सर्वश्री स्वराजनाथ चौधरी, अब्दुल फरीद व लोकनाथ बिस्वाल को ‘भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में कालापानी की ऐतिहासिक भूमिका’ शीर्षक से प्रकाशित अपनी लिखित पुस्तक भेंट की तथा उनकी पूरी टीम को मंगलमय जीवन की शुभकामनाएं व्यक्त की।