फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। डॉ. अशोक कुमार कोसरिया, सहा. प्राध्यापक ने कहा कि गरियाबंद के जलवायु मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त है और इसका फायदा फिंगेश्वर के किसान उठा सकते है उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के बाद आप किसान अपने उत्पाद कि बढ़िया मार्केटिंग कर अच्छा लाभ कमा सकते है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशरूम कि खेती फायदे का सौदा साबित हो सकता है। मशरूम कि खेती के लिए ज्यादा जमीन और पैसे कि आवश्यकता नहीं होती है अगर किसान भाई चाहे तो घर के अन्दर भी इसकी खेती शुरू कर सकते है, ऐसे में किसान अगर मशरूम कि खेती करते है तो अधिक मुनाफा वह कमायेगें। ज्ञात हो कि कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र फिंगेश्वर, गरियाबंद के द्वारा हर साल अलग-अलग ग्राम पंचायत को चुना जाता है, ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (रावे) के लिए इस बार ग्राम पंचायत किरवई को चुना गया है जहां पर कृषि विद्यार्थी एवं सहा. प्राध्यापकों के द्वारा किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती करने के बारे मे सिखाया जाता है जिसमें पादप सुरक्षा, उद्यानिकी, मृदा विज्ञान आदि के बारे में वैज्ञानिक जानकारी दी जाती है। इसी कार्यक्रम के तहत आज मशरूम उत्पादन के तकनीकी के बारे में विस्तार से बताया गया। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ गीरिजेश शर्मा ने कहा कि मशरूम उत्पादन को अपने खेती साथ जोड़ना चाहिए क्योकि खेती से बचे हुऐ अवशेष का उपयोग करके मशरूम की खेती करते है, और ये अतिरिक्त आय का स्त्रोत के रूप में अपना सकते है। और इसका पौष्टिक मूल्य बहुत अधिक होने की वजह से किसानों के स्वास्थ्य पर भी अच्छा असर होगा। कार्यक्रम में डॉ. अशोक कुमार कोसरिया, लेखराम वर्मा, डॉ. समुन रावटे, एवं डॉ. कुन्तल साटकर सहा. प्राध्यापक, किसान, स्व सहायता समूह के महिलाएं और कृषि महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी मौजूद रहे।