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छुरा(गंगा प्रकाश):– छुरा नगर में भाजपाइयों द्वारा देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती  सुशासन दिवस के रूप मनाई गई पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की  साथ ही उनके बताए मार्गों पर चलने का संकल्प लिया गया। रविवार को हुए कार्यक्रम का शुभारंभ छुरा नगर के बस स्टैंड  में स्थित अटल चौक में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देकर किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पूर्व पीएम वाजपेयी देश को समर्पित थे। उन्होंने अपना हर निर्णय देश के विकास के लिए लिया। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।इस मौके पर पीलू राम यादव भाजपा मंडल अध्यक्ष छुरा, खोमन चंद्राकर नगर पंचायत अध्यक्ष छुरा,पार्षद भोलेशंकर जायसवाल पार्षद, श्रीमती चित्ररेखा ध्रुव पार्षद ,रामलाल कुलदीप मण्डल महामंत्री,शंकर सेन बूथ अध्यक्ष ,गिरवर लहरे,हिरेन्द्र साहू,नवेन्द्र देवांगन सहित भाजपा के कार्यकर्तागण उपस्थित रहें।छुरा नगर पंचायत अध्यक्ष खोमन   ने पत्रकारों से लंबी चर्चा करते हुए   कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी  का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में रहने वाले एक स्कूल शिक्षक के परिवार में हुआ था। उनके पिता कृष्णबिहारी वाजपेयी हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अत: काव्य लिखने की कला उन्हें विरासत में मिली। उन्होंने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और राष्‍ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया। वाजपेयी जी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले जनसंघ के नाम से जाना जाता था। वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए जो कि अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे।श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि वाजपेयी जी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई। 

परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों से बिना डरे वाजपेयी के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 1998 में राजस्थान के पोखरण में द्वितीय परमाणु परीक्षण किया। इसकी अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए को भनक तक नहीं लग पाई थी।अटल जी नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। अटल ही पहले विदेशमंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी में कई खूबियां थी। वे अपनी पार्टी का नेता हो या विरोधी पार्टी का, सबको साथ लेकर चलने की खूबी उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करती थी। यही कारण था कि उन्हें अजातशत्रु भी कहा जाता था।उन्हें भारत के प्रति निस्वार्थ समर्पण और समाज की सेवा के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण दिया गया। 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। इनके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियों से नवाजा गया। आजीवन अविवाहित रहे अटलजी को अटलजी को 2015 में सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी।

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के दिन मनाया जाता है “सुशासन दिवस”:खोमन चंद्राकर

नगर पंचायत अध्यक्ष खोमन चंद्राकर से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी के सम्मान में हर साल 25 दिसंबर को ‘सुशासन दिवस’ मनाने  की घोषणा की थी।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करियर को भारत के इतिहास में एक सुनहरे पृष्ठ के रूप में जाना जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए गए। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर हर साल भारत में सुशासन दिवस मनाया जाता है। यह दिन पूरी तरह से अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया जाता है।श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने कई क्षेत्रों में भारत का नाम बड़ा किया।भारत सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि हर साल 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाया जाए। काम के जरिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। इस दिन अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यों को याद किया जाता है। साथ ही कई जगहों पर सेमिनार और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उसके माध्यम से अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कार्यों का परिचय दिया जाता है।श्री चंद्राकर कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 27 छोटी-बड़ी सियासी पार्टियों के गठबंधन की सरकार सफलतापूर्वक चलाई और कार्यकाल पूरा किया था अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था।

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