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रायपुर (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ राज्य के नारायणपुर जिले में साल के पहले दिन धर्मांतरण को लेकर बड़ा बवाल सामने आया है। धर्मांतरण के विरोध में सोमवार को सर्व आदिवासी समाज ने नगर बंद करवा दिया है। इस दौरान आज नारायणपुर में स्थिति तनावपूर्ण हो गई।दो पक्षों के बीच चल रहे धर्मांतरण विवाद के बीच जमकर पत्थरबाजी और लाठी-डंडे चले । इस दौरान नारायणपुर एसपी सदानंद कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक सदानंद कुमार के सर पर चोट आई है जिन्हें अस्पताल ले जाया गया है।सदानंद कुमार के सर पर टांके भी लगाए गए हैं। फिलहाल उनकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है।

बता दें कि नारायणपुर-कोंडागांव स्टेट हाईवे पर चक्काजाम भी किया गया था। जिला और पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है और आला अफसर भी मौके पर पहुंचे हैं। धर्मांतरण को लेकर दो पक्षों में भारी तनाव का माहौल है। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में बवाल हो रहा है। वहीं धर्म विशेष के लोगों पर मारपीट का आरोप लगाया गया है।

बैठक के दौरान हुई मारपीट

उल्लेखनीय है कि रविवार को कुछ ग्रामीणों को गांववालों ने बैठक में बुलाया था। इस दौरान वहां चर्च जाने के नाम पर मारपीट शुरू हो गई थी बात इस कदर बढ़ गई कि आपसी हिंसक संघर्ष के चलते कई लोग घायल हो गए। पीड़ितों ने कहा कि करीब 500 लोगों ने मिलकर मारपीट की।मारपीट की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों को समझाइश देने पहुंची पुलिस के साथ भी झूमाझटकी हुई थी। सूचना है कि एडका थाना प्रभारी भुनेश्वर जोशी समेत दोनों पक्षों से दर्जनों लोग घायल हो गए। घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इस बवाल से जिले के अलग-अलग हिस्सों में भारी तनाव की स्थिति निर्मित हो गई है।

लाठी-डंडों के साथ मारपीट की घटना नारायणपुर में

बताते चले कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में गुस्साई भीड़ ने एसपी सदानंद कुमार का सर फोड़ दिया है। पूरा विवाद धर्मांतरण को लेकर है। जिसको लेकर सर्व आदिवासी समाज ने रैली निकाली थी। इसी बीच कुछ लोग चर्च पर हमला करने के लिए चले गए। चर्च पर हमले की खबर सुनते ही एसपी सदानंद दल बल के साथ वहां पहुंचे थे। जहां भीड़ में से किसी ने उनके सिर पर हमला कर दिया है। उनके सिर पर चोटें आई हैं। इलाज के बाद उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। वहीं कई आंदोलनकारी और पुलिसवालों को भी चोट लगने की खबर है।दरअसल जिले में हो रहे धर्मांतरण को लेकर शनिवार 31 दिसंबर को एक बैठक बुलाई थी। जिसमें दूसरे समुदाय के लोगों ने हमला कर दिया। दोनों तरफ से लाठियां जमकर चली। कन्वर्टेड समुदाय इसके बाद जिला कलेक्ट्रेट में धरने पर बैठ गया। तो वही विरोध में सर्व आदिवासी समाज द्वारा आज एक रैली निकाली गई। जिसमें 5000 से अधिक लोग शामिल हुए थे। रैली कलेक्ट्रेट तक पहुंची थी। अंदर बातचीत चल रही थी इसमें आदिवासी समाज के लोगों के साथ-साथ कलेक्टर और एसपी भी मौजूद थे इसी बीच स्थानीय बांग्ला पारा स्थित चर्च में हमले की खबर आई। खबर सुनकर एसपी सदानंद कुमार दल बल के साथ वहां पहुंचे। जहां पुलिस और भीड़ के बीच जमकर पत्थरबाजी और लाठी बाजी हुई। इसी बीच में से किसी ने एसपी सदानंद कुमार के ऊपर हमला कर दिया। एसपी सदानंद कुमार सिर पकड़कर चलते हुए दिखाई दिए। उनके सिर से खून बह रहा था। उन्हें सिर पर गहरी चोट आई है। इसके साथ ही आंदोलनकारियों के साथ-साथ कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।दरअसल, नारायणपुर जिले के कई गांवों में धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं जिसका आदिवासी समाज लगातार विरोध करता रहा है। आदिवासी समाज का आरोप है कि धर्मतांतरण के लिए सोची-समझी साजिश के तहत एक समुदाय विशेष द्वारा भाेले-भाले गरीब लोगों को प्रलोभन के जाल में फंसाकर अभियान चलाया जा रहा है। धर्मांतरण आदिवासी संस्कृति को प्रभावित कर रही है। इस तरह की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है। उधर, धरना दे रहे धर्मांतरित ईसाई लोगों का आरोप है कि उनके साथ मारपीट की गई और गांव से बाहर जाने का दबाव डाला जा रहा है। इनका आरोप है कि लगातार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को गांवों से निकाला

धर्मातरण को लेकर छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में पिछले कई दिनों से माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। इस दौरान हमले और झड़प भी हुई हैं। इससे पहले 18 दिसंबर को ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों को उनके गांवों से निकाल दिया गया था, जिसके बाद से तनाव जैसे हालात बने हुए हैं।

पुलिस कप्तान सदानंद कुमार बताया की

मामले को लेकर एसपी सदानंद कुमार ने बताया कि आदिवासी समाज के लोगों ने बैठक बुलाई थी। उसमें उनके लीडर्स से कलेक्टर के चैम्बर में हम सब ने बात भी की थी, मगर उसी दौरान कुछ लोग चर्च में तोड़फोड़ करने पहुंच गए। ये पता चलने पर मैं वहां गया। तभी मुझ पर हमला हुआ। फिर हमने लोगों को समझाइश दी। इस केस में कार्रवाई की जाएगी।

कोडागांव से बुलाई अतिरिक्त पुलिस

नारायणपुर जिला मुख्यालय में शांति नगर स्थित है। इस इलाके में ज्यादातर ईसाई समुदाय के लोग रहते हैं। ग्रामीणों की भीड़ इसी इलाके में घुसी। IG सुंदरराज पी समेत 4 आईपीएस ऑफिसर नाराज लोगों को समझाने वहां पहुंचे थे। कोंडागांव से अतिरिक्त पुलिस बल को भी बुलाया गया है फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है बस्तर रेंज के आईजी सुंदर राज पी के नेतृत्व में चार धाम पुलिस सेवा के अधिकारियों ने नारायणपुर में डेरा डाल दिया है प्रदर्शनकारियों को समझा बुझा है जा रहा है आईजी के अनुसार स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है पुलिस कप्तान सदानंद कुमार के सिर में चोट आई है शासकीय चिकित्सालय में उनका ट्रीटमेंट कराया गया है सिर पर टांके लगे हैं स्थिति खतरे से बाहर बताई जाती है चिकित्सकों दे पुलिस कप्तान को फिलहाल आराम करने की सलाह दी है पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी का स्थिति पर नजर रखे हुए हैं पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू श्रम विभाग के संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने टेलीफोन पर बस्तर आईजी नारायणपुर कलेक्टर से चर्चा कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर भाजपा का बड़ा आरोप:अरुण साव बोले- कांग्रेस के इशारों पर हो रहा सब, इसलिए बैठी है चुप

सोमवार को नारायणपुर जिले में धर्मांतरण के मामले में बवाल बढ़ गया। हिंसक भीड़ ने SP का सिर फाेड़ दिया। यहां आदिवासी संगठन और इसाई समुदाय के बीच धर्म बदलने की बात पर तनाव के हालात बन गए। इस मामले पर अब भाजपा ने कांग्रेस पर बड़ा सियासी आरोप लगाया है।बस्तर संभाग के नारायणपुर में हुए आदिवासियों पर हमले को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा- धर्मांतरण करने वालों के हौसले कांग्रेस के संरक्षण की वजह से इतने बुलंद हैं कि अब वो हिंसक हो चले हैं अब प्रदेश में धारदार हथियारों से हमला करके आदिवासियों को ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण के लिए विवश कर रहे हैं।साव ने कहा कि भाजपा लगातार इस बात को कहती आई है कि कांग्रेस के संरक्षण में ही धर्मांतरण के कार्य चल रहे हैं। नारायणपुर में आदिवासियों पर हुआ हमला इस बात को फिर से प्रमाणित कर रहा है क्योंकि अब आदिवासियों को लाठी डंडे से पीटा जा रहा है। उनके साथ बर्बरता की जा रही है। कांग्रेस धर्मांतरण करने वालों की रक्षक बनकर हमारे आदिवासी भाई बहनों को पीटते हुए देखकर मौन बैठी है।

तुलना तालीबान से

साव ने कहा कि कांग्रेस के काल में आदिवासियों को अपना धर्म ना छोड़ने पर लाठी-डंडों से पीटकर लहूलुहान कर दिया जाता है। यह हालात तालिबानी नहीं तो क्या है? छत्तीसगढ़ की शांत फिजा में जहर घोल कर कांग्रेस आदिवासियों की संस्कृति को नष्ट करने पर अमादा है। भाजपा हमेशा आदिवासियों के स्वाभिमान, सम्मान और संस्कृति की रक्षा को तत्पर है और आदिवासियों पर, उनकी संस्कृति पर किसी भी प्रकार का प्रहार बर्दाश्त नहीं करेगी।साव ने कहा बस्तर में धर्मांतरण के खेल पर जब सुकमा एसपी ने चिट्ठी लिखी थी, तब कांग्रेस उसे झुठला रही थी। अब उसी धर्मांतरण के लिए एसपी पर पथराव हुआ है,अब क्या बोलेगी कांग्रेस ? कांग्रेस ने प्रदेश की शांत फिजा में जहर घोल दिया है।

धर्मांतरण पर बवाल SP का सिर फोड़ा

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में धर्म परिवर्तन को लेकर सोमवार को आदिवासी संगठनों का प्रदर्शन हिंसक हो गया। भीड़ ने सबसे पहले यहां के एक चर्च में तोड़फोड़ की। बीच-बचाव करने जब पुलिस पहुंची तो प्रदर्शनकारियों ने उन पर भी हमला कर दिया। इसमें नारायणपुर जिला के SP का सिर फट गया। उनका इलाज स्थानीय अस्पताल में किया गया।

बस्तर कमिश्नर पिछले साल जारी कर चुके हैं गाइडलाइन

पिछले साल बस्तर के कमिश्नर जीआर चुरेंद्र ने भविष्य में बस्तर संभाग में धर्मांतरण के और भी संवेदनशील होने की आशंका जताई है। चुरेंद्र ने कलेक्टरों से इस मामले गोपनीयता बरतते हुए प्रभावशाली तरीके से कार्रवाई करने कहा है। कलेक्टरों से कहा गया है कि ईसाई धर्मावलंबियों के द्वारा आदिवासी समाज, अन्य समाज व हिंदू धर्मावलंबियों को अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने की आड़ में ईसाई धर्म में धर्मांतरित का विषय लंबे समय से मुद्दा बना हुआ है। इससे कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होती रही है। यह भविष्य में और भी ज्यादा संवेदनशील होने की संभावना है। इस संबंध में पुलिस, पंचायत, कृषि शिक्षा, महिला बाल विकास विभाग और वन विभागों के क्षेत्रीय अमले को लेकर बिना कोई लिखित आदेश कार्रवाई करें।

सुकमा SP के पत्र में क्या था

भाजपा धर्मांतरण के अपने बयान में सुकमा एसपी की चिट्‌ठी का जिक्र करती है। ये खत पिछले साल सुकमा के पुलिस अधीक्षक सुनील शर्मा ने 12 जुलाई को अपने SDOP और थाना प्रभारियों को लिखा था। पत्र में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों का उल्लेख किया था। उन्होंने लिखा, जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्थानीय आदिवासियों को बहला-फुसलाकर और ईसाई समुदाय में होने वाले लाभ का लालच देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

छिंदगढ़थाना क्षेत्र के ग्राम गुड़रा पतिनाइकरास, काकड़ीआमा, बारूपाटा में इनकी गतिविधियों की सूचना है। इसके कारण भविष्य में स्थानीय आदिवासी और धर्मांतरित लोगों के बीच विवाद की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। एसपी ने अपने मातहत अधिकारियों ने मिशनरियों और धर्मांतरित लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने का निर्देश दिया है। साथ ही कोई अवांछनीय गतिविधि दिखने पर तत्काल कार्रवाई को भी कहा था।

कांग्रेस बोली- सब RSS और भाजपा की वजह से

कांग्रेस ने नारायणपुर की घटना को दुर्भाग्यजनक बताया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आरएसएस और भाजपा समाज में जो वैमनस्यता फैलाती है। यह उसी का नतीजा है। लंबे समय से छत्तीसगढ़ के वनांचलो और आदिवासी समाज के बीच में भाजपा, आरएसएस जो विषवमन करने का काम कर रहे है उसके कारण लोगो में आपसी सद्दभाव खराब हुआ है और परस्पर विद्वेष पनप रहा है इस प्रकार की घटना हो रही है।

भारतीय जनता पार्टी जहां पर सत्ता में नहीं रहती तथा जन सरोकारो से जब दूर हो जाती है तब धर्म का सहारा लेकर राजनीति करती है। जहां पर मुसलमान हाते है वहां पर हिन्दू मुसलमान के बीच झगड़ा करवाती है। जहां पर ईसाई होते है वहां हिन्दू ईसाई के बीच दंगे करवाती है। जहां पर दूसरे धर्म के लोग नहीं होते है वहां पर उसी धर्म जाति के लोगों के बीच में आपसी दंगे करवाती है, यही काम वह छत्तीसगढ़ में करने में लगी है।

बस्तर में धर्मांतरण बन रहा आदिवासीयों की संस्कृति पर खतरा

 छत्तीसगढ़ के बस्तर में बढ़ते धर्मांतरण को लेकर एसपी सुनील शर्मा का विवादित पत्र सामने आया था।जिसके आधार पर भाजपा नेता  धरमलाल कौशिक ने सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ में तेज़ी से धर्मांतरण बढ़ रहा है।यह सब सरकार के संरक्षण हो रहा है,एसपी के पत्र से इसकी पुष्टि होती है। धरमलाल कौशिक ने यहा भी कहा था कि गांव-गांव में तेज़ी से धर्मांतरण हो रहा है।सरकार इस पर मौन है।बस्तर से सरगुज़ा तक ये अवैध काम चल रहा है।इस मामले की जांच के लिए हाईपावर कमेटी बनाई जाए।यदि ऐसा नहीं किया गया,तो छत्तीसगढ़ की संस्कृति सुरक्षित नहीं रहेगी।

सुकमा जिला के एसपी ने आदिवासी अंचलों में ईसाई मिशनरी गतिविधियों पर निगरानी रखने के दिए थे आदेश

बताते चले कि सुकमा के एसपी ने जुलाई 2021 अपने अधीनस्थों और जिले के सभी पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों को ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरित आदिवासियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिए थे।एसपी सुनील शर्मा द्वारा अपने मातहतों को जारी आधिकारिक पत्र में कहा गया था कि:

ईसाई मिशनरी और आदिवासी ईसाई नियमित रूप से जिले के आंतरिक क्षेत्रों में जा रहे हैं और गैर-ईसाई आदिवासियों को बहला-फुसलाकर और प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के लिए राजी कर रहे हैं। इसके कारण, स्थानीय आदिवासियों और परिवर्तित (ईसाई धर्म में) लोगों के बीच संघर्ष की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिले में रह रहे ईसाई मिशनरियों एवं धर्मांतरित आदिवासियों की गतिविधियों पर सतत निगरानी रखें और यदि उनके किसी कृत्य को संदिग्ध मानते हैं तो उसकी सूचना दें।“परिपत्र निषेधात्मक के बजाय प्रकृति में निवारक के रूप में अधिक था। आस-पास के कुछ जिलों में जहां धर्मांतरण के कारण विवाद की सूचना मिली थी, उसे ध्यान में रखते हुए मेरा इरादा था कि सुकमा में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो और सामाजिक समरसता बनी रहे।श्री शर्मा ने कहा था कि पुलिस को अपने नेटवर्क के माध्यम से प्रलोभन देकर धर्मांतरण गतिविधियों पर अपनी जानकारी इकट्ठा करने के लिए कहा गया हैं। और कहा था कि सभी को अपनी आस्था का पालन करने का अधिकार है।

यह इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए एक स्वागत योग्य कदम था कि आदिवासी क्षेत्रों को विशेष रूप से ईसाई प्रचारकों द्वारा लक्षित किया जाता है जो वनवासियों (आदिवासियों) को धर्मांतरण के लिए लुभाने का प्रयास करते  हैं।जो अक्सर उन लोगों के बीच संघर्ष का कारण बनते हैं जो परिवर्तित हो गए हैं और जो अभी भी अपने पारंपरिक स्वदेशी विश्वास का पालन करते हैं।एक मिशनरी पादरी,जो खूंटी जिले की तोरपा तहसील में स्थित रायसिमला गांव में धर्मांतरण गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल था, को सरना के ग्रामीणों ने खदेड़ दिया था। ग्रामीणों ने पादरी पर निर्दोष ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर ईसाई बनाने का आरोप लगाया था।पादरी के खिलाफ  अभियान के दौरान,उन्होंने “सरना को बचाना है, इसाई को भगाना है”  (सरना बचाओ, पादरी को भगाओ) के नारे लगाए थे।

भारतीय धर्म का पालन करने वाले उन आदिवासियों की ओर से नियमित रूप से यह सुनिश्चित करने की मांग की जाती रही है कि आदिवासियों के लिए निर्धारित लाभ ईसाई धर्मान्तरित लोगों को प्राप्त न हो। भारत की आदिवासी आबादी द्वारा ईसाई मिशनरियों के खिलाफ अपने पारंपरिक जीवन जीने के तरीके को बचाने के लिए किए गए संघर्षों का एक लंबा इतिहास रहा है।जब कोई आदिवासी विद्रोह की बात करता है तो एक नाम अपने आप उभर आता है और वह है भगवान बिरसा मुंडा का। ईसाई मिशनरियों के शोषणकारी स्वभाव और कैसे इंजीलवादियों ने आदिवासी लोगों और उनकी संस्कृति का अपमान किया, यह समझने के बाद भगवान बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों और बाहरी लोगों के खिलाफ उठ खड़े हुए थे।

झारखंड और छत्तीसगढ़ के वनवासी ईसाई मिशनरी खतरे के खिलाफ लगातार मुखर हो रहे हैं। आदिवासी समाज के पदाधिकारी बताते हैं कि लोग अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं। वे समझ गए हैं कि हमारे रीति-रिवाजों और देवताओं का ईसाई धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।मिशनरी एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी को उनके पारंपरिक रीति-रिवाजों से दूर करके और उन्हें एक अलग पहचान की मांग करने के लिए प्रेरित करके वनवासियों  के बीच एक कील पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं,जिससे जनजातीय समाज विखंडित हो रहा है। मिशनरियों के विभाजनकारी स्वभाव को महसूस करने के बाद, विशेष रूप से झारखंड और छत्तीसगढ़ में कई आदिवासी समूहों ने उनके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है।मिशनरी उन गांवों में भी सक्रिय रहे हैं जहां भारतीय संविधान की अनुसूची 6 के अनुसार बाहरी लोगों को अनुमति नहीं है। ईसाई मिशनरियों द्वारा एफसीआरए धन का दुरुपयोग किया जा रहा है और अवैध रूप से धर्मांतरण गतिविधियों में लगाया जा रहा है। इन तमाम उल्लंघनों को देखते हुए सुकमा एसपी का यह आदेश स्वागत योग्य कदम है।

बस्तर में धर्मांतरण बन रहा आदिवासीयों की संस्कृति पर खतरा

बताते चले कि बस्तर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में लगातार धर्मांतरण के मामले बढ़ते जा रहे हैं।सामाजिक संगठनों ने शासन प्रशासन को इस धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर कड़ाई से पालन करने की मांग की है।

 वंही कड़े कानून बनाने की बात कहते हुए,ऐसे लोगों को आरक्षण के लाभ से हटाने और डिलिस्टिंग करने की मांग की है।बस्तर में धर्मांतरण की समस्या को सबसे बड़ी समस्या बताया है।इस धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानून पर जल्द से जल्द अमल करने की मांग की है।सामाजिक संगठन का कहना है कि अगर इस धर्मांतरण को रोका नहीं गया तो आने वाले समय में बस्तर के आदिवासी जनजातियों के लिए खतरा बन सकता है।आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति भी खतरे में पड़ सकती है।बता दें कि बस्तर के अंदरूनी ग्रामीण अंचलों में लगातार धर्मांतरण के मामले बढ़ते जा रहे हैं।महाराजा रहे प्रवीर चंद्र भंजदेव के शासनकाल में बस्तर में कभी धर्मांतरण जैसे मामले सामने नहीं आए।लेकिन बीते करीब 71 सालों से बस्तर में लगातार धर्मांतरण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।जिसे देखते हुए कड़े कानून बनाने की जरूरत तो है ही,साथ ही उस कानून का पालन भी सही तरीके से होना चाहिए।उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जिन्होंने धर्मांतरण किया है उन्हें आरक्षण के लाभ से हटाना चाहिए, जिससे धर्मांतरण को रोका जा सके और आदिवासी समाज को बचाया जा सके।

आदिवासी समाज के लिए धर्मांतरण बड़ा खतरा

बस्तर एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है,यहां की परंपरा और संस्कृति देश दुनिया से अलग है।लेकिन अब देखा जा रहा है कि बस्तर में रहने वाले गोंड,माड़िया, मुरिया और अनेक जाति के आदिवासियों का एक बड़ा समुदाय धर्मांतरण की चपेट में आ रहा है।धीरे-धीरे आदिवासी संस्कृति और आदिवासियों की परंपरा बस्तर में खतरे में पड़ गई है।आने वाले समय में यह एक गंभीर समस्या बन जाएगी,ऐसे में आदिवासी समुदाय के लोगो से वापस अपने धर्म में आने की अपील करने के साथ ही शासन प्रशासन को इस धर्मांतरण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों पर कड़ाई से पालन करना होगा।

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर आदिवासियों के बीच हुआ था पूर्व में भी विवाद,13 घायल हुए थे और 40 की हुई थी गिरफ्तार

छत्तीसगढ़ में बस्तर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बीजापुर में फरवरी 2019 में एक चर्च में गांव के लोगों ने हमला कर दिया था हमलावरों ने चर्च में प्रार्थना कर रहे 13 आदिवासियों की बेरहमी से पिटाई कर दी थी चर्च पर हमला करने वाले भी स्थानीय गांव के आदिवासी ही थे जो समुदाय के अन्य लोगों द्वारा इसाई धर्म स्वीकार करने से नाराज थे।उक्त हमले में 13 लोग घायल हुए थे बीजापुर जिले के बेदरे थाना क्षेत्र के गांव करकेली स्थित चर्च में प्रार्थना चल रही थी। इसी दौरान ग्रामीणों की भीड़ ने वहां पहुंची और जबरदस्ती चर्च में घुस गई थी गुस्साई भीड़ ने प्रार्थना कर रहीं महिलाओं,पुरुषों और बुजुर्गों पर ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया था इस घटना में 13 लोगों को गंभीर चोटें आईं थी जिसमे 40 लोगों के विरुद्ध FIR दर्ज हुई थी घटना के बाद क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ था।जिस घटना से इसाई समुदाय के लोग घटना से आक्रोशित थे मारपीट करने वाले लोग इस बात से गुस्से में थे कि वे अपनी आदिवासी संस्कृति और देवी-देवताओं की उपासना छोड़ कर किसी अन्य देवता की प्रार्थना क्यों कर रहे हैं,जबकि यह बात संविधान के मुताबिक किसी की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है।

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा लंबे समय से ही रहा हैं।यहां अंग्रेजों के समय से ही इसाई मिशनरी धर्म प्रचार के लिए आए और आदिवासी समुदाय के लोगों का धर्मांतरण कराया था यह धर्मांतरण लोगों ने अपनी स्वेच्छा से स्वीकार किया था यह उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का विषय रहा है,लेकिन धर्मांतरण को लेकर आदिवासियों के बीच ही मतभेद है।अपनी संस्कृति को लेकर काफी गंभीर रहने वाले आदिवासी नहीं चाहते कि उनके समुदाय के लोग अपने पारंपरिक देवी-देवताओं को छोड़कर किसी और ईश की आराधना करें।राज्य के उत्तरी सरगुजा संभाग में जशपुर और अम्बिकापुर इसाई मिशनरीज का प्रमुख केंद्र है। वहीं,दक्षिण छत्तीसगढ़ के बस्तर में भी बीजापुर,जगदलपुर और सुकमा में बड़ी संख्या में इसाई समुदाय के लोग लंबे समय से रह रहे हैं।

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