आयोजित किया गया महिला विधिक जागरूकता कार्यक्रम

कोई भी कार्य करने से पहले अपने अंतरात्मा से पूछिए-सन्तोष कुमार महोबिया (जिला न्यायाधीश)
स्त्री को मिलने वाला उपहार स्त्रीधन कहलाता है-दीपिका (अधिवक्ता)
संजय सिंह भदौरिया
सुकमा (गंगा प्रकाश)–आज सुकमा जिला मुख्यालय में विवेकानंद हाल में तालुका विधिक सेवा समिति सुकमा के द्वारा महिलाओं के लिए विधिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम में पूरे जिले भर से महिलाओं को आमंत्रित किया गया था कार्यक्रम की शुरुवात सुकमा के प्रतिष्ठित अधिवक्ता कैलाश जैन के द्वारा की गई उन्होंने महिलाओ एवं सामाजिक रूप से शोषित लोगों को किस प्रकार कानूनी अधिकार मिले है इस विषय में जानकारी दी,इसके पश्चात
अधिवक्ता दीपिका शोरी ने उपस्थित सभी महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय कानून में महिलाओं को कुछ विशेष अधिकार दिए हैं परंतु उनकी जानकारी के अभाव में महिलाएं हर जगह पीड़ित होती हैं चाहे वह अपनी कार्यक्षेत्र के दौरान हो या अन्य जगहों पर,उन्होंने दहेज उत्पीड़न,भरणपोषण,घरेलू हिंसा,यौन अपराध,साइबर क्राइम एवं निःशुल्क विधिक सहायता के साथ साथ नाबालिक बच्चियों को किस प्रकार से सुरक्षा प्रदान करना चाहिए उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान किस प्रकार से कराना चाहिए इस विषय में भी जानकारी दी,इसके साथ ही स्त्री धन के सम्बंध में कहा कि जो भी वस्तुएं या उपहार जिस भी महिलाओं को शादी के पहले,शादी के बाद या शादी के समय दिया जाता है वह स्त्री धन कहलाता है जिसमें सिर्फ उस स्त्री का ही अधिकार होता है न कि उसके परिजनों का उस वस्तु को उपयोग किस रूप में करना इस हेतु वह स्त्री पूर्णतः स्वतन्त्र है,इसके पश्चात जिला महिला संरक्षण अधिकारी प्रमिला सिंह ने कहा कि जब समाज व महिला पूर्ण रूप से शिक्षित होंगे तभी कानूनी जागरूकता आएगी उन्होंने कहा कि बहुत सी शिक्षित महिलाएं भी शोषण व घरेलू हिंसा का शिकार हो रही हैं परंतु न जाने किस संकोच की वजह से वो इस विषय में शिकायत नहीं करती है,जिले में एक सामाजिक बुराई बहु विवाह भी है जिसका शिकार यहाँ की महिलाएं हो रही हैं मानव तस्करी भी जिले से लगे हुए प्रदेशों में हो रहा है जो बन्द होना चाहिए उन्होंने सभी महिलाओं से अपील किया कि ऐसे पीड़ित महिलाओं को सखी सेंटर भेजिय हम चौबीस घण्टे सातो दिन कार्य करते हैं

इसके पश्चात जिला बाल संरक्षण अधिकारी जितेंद्र सिंह ने सभी को सम्बोधित करते हुए बालकों के प्रति होने वाले अपराध पर प्रकाश डाला तथा बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
अंत मे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला न्यायाधीश सन्तोष कुमार महोबिया ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार माता पिता की सम्पत्ति में महिलाओं को बराबर का अधिकार मिला हुआ है उसी प्रकार माता पिता के कर्जे का भार भी बराबरी का है,अधिकार के साथ साथ कर्तव्य और दायित्वों का निर्वहन भी करना चाहिए,आज महिलाएं पुरुषों के बराबर कार्य कर रही हैं,उन्होंने कहा कि अपराध सिर्फ अनपढ़ ही नहीं करते हैं पढ़े लिखे लोग भी अपने गुस्से को काबू में नहीं रख पाते हैं और अपराध कर देते हैं,उन्होंने कहा कि अपराध के बारे में जानकारी लेने के लिए आपको किसी वकील या कोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी आप किसी कार्य को करने से पहले अपनी अंतरात्मा को टटोले आत्ममंथन करें की आप जो कार्य कर रहें है वह कितना सही अगर आपकी अंतरात्मा कहती है कि वह कार्य गलत हैं तो निश्चित तौर पर उस कार्य का उल्लेख कानून की किसी न किसी किताब में लिखा होगा व उसके लिए दंड भी निश्चित होगा।
जलपान की भी थी व्यवस्था
कानूनी जानकारी का लाभ लेने पूरे जिले भर से भारी संख्या में महिलाएं पहुंची हुई थी उन सभी महिलाओं व उपस्थित समस्त लोगों के लिए उत्तम जलपान की भी व्यवस्था की गई थी
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों के अलावा न्यायालय सुकमा के समस्त कर्मचारी भी उपस्थित थे कार्यक्रम का सफल संचालन एवं समापन वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश जैन ने की।