तेहरान: इजरायल के हमले के एक दिन बाद इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की है कि ईरान के खोंदाब (पुराना नाम अराक) हेवी वाटर प्रोडक्शन प्लांट को नुकसान पहुंचा है। यह हमला गुरुवार को हुआ, जब इजरायल और ईरान के बीच लगातार सातवें दिन भीषण जंग जारी रही। IAEA ने बताया कि इस हमले में प्लांट की अहम इमारतें, खासकर डिस्टिलेशन यूनिट, को नुकसान पहुंचा। IAEA ने पहले कहा था कि हमले के बाद कोई नुकसान नजर नहीं आया, लेकिन अब ताजा जांच में पता चला कि खोंदाब प्लांट की कुछ अहम इमारतें तबाह हुई हैं। हालांकि, ईरान के बाकी न्यूक्लियर साइट्स, जैसे नतांज और इस्फहान, को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

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न्यूक्लियर खतरा अभी नहीं, लेकिन चिंता बरकरार

IAEA के डायरेक्टर जनरल रफाएल मारियानो ग्रॉसी ने कहा कि चूंकि खोंदाब रिएक्टर अभी काम नहीं कर रहा और इसमें कोई न्यूक्लियर मटेरियल नहीं है, इसलिए फिलहाल रेडियोलॉजिकल हादसे का खतरा नहीं है। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि ईरान में कई जगहों पर न्यूक्लियर मटेरियल मौजूद है, जिससे भविष्य में रेडियोएक्टिव कणों के हवा में फैलने का खतरा बना रहता है। ग्रॉसी ने कहा कि ईरान को अपने न्यूक्लियर साइट्स के बारे में सही और समय पर जानकारी देनी चाहिए। इससे इंटरनेशनल कम्युनिटी को हालात पर नजर रखने और किसी आपात स्थिति में मदद करने में आसानी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि IAEA मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के बीच अन्य देशों के साथ भी लगातार संपर्क में है।

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अभी निर्माणाधीन है खोंदाब का हेवी वाटर रिएक्टर

इजरायल ने दावा किया है कि उसने नतांज, इस्फहान, अराक और तेहरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमले किए हैं। खोंदाब के पास हेवी वाटर बनाने वाला प्लांट भी निशाना बना, जो प्लूटोनियम बनाने में इस्तेमाल हो सकता है। प्लूटोनियम और यूरेनियम न्यूक्लियर बम बनाने के लिए जरूरी होते हैं। खोंदाब (अराक) का हेवी वाटर रिएक्टर अभी बन रहा है और पूरी तरह काम नहीं कर रहा। यह प्लांट हेवी वाटर बनाता है, जो न्यूक्लियर रिएक्टरों में इस्तेमाल होता है। इस हमले ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि इजरायल और ईरान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। IAEA ने सभी पक्षों से संयम बरतने और न्यूक्लियर सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की है, ताकि कोई बड़ा हादसा टाला जा सके।

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