फिंगेश्वर(गंगा प्रकाश)। मार्गशीर्ष अमावस्या का पौराणिक महत्व बहुत ही खास माना जाता है। मार्गशीष मास भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना होता है और मार्गशीष अमावस्या पर उनकी विधि विधान से पूजा करने पर जातक के सभी रूके कार्य पूर्ण होते है और उन्हें भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 30 नवंबर शनिवार को है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और दान पुण्य करने का खास महत्व शास्त्रों में माना गया है। आइए जानते है मार्गशीर्श अमावस्या का शुभ मुहुर्त, महत्व और पूजाविधि। मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत इस साल 1 दिसंबर 2024 को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 30 नवंबर सुबह 10 बजकर 29 मिनट पर शुरू होगी। यह 1 दिसंबर सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए जो लोग व्रत करते है और स्नान दान करते है वे 1 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या का विधि विधान करेंगे। वहीं जो लोग पितरों के लिए पूजापाठ या उपाय करते है वे 30 नवंबर को करेंगे। इस तरह यह साल की आखिरी शनिश्चरी अमावस्या भी होगी। अमावस्या एक महत्वपूर्ण दिन है जो हर महीने आता है। यह दिन पितरों को याद करने और उन्हें सम्मान देने के लिए होता है। पितृदोष से बचने के लिए लोग तर्पण और पिंडदान करते है। यह एक तरह से अपने पूर्वजों को जल और भोजन अर्पित करना है। इसके अलावा, अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है।