फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। विकासखंड की नवगठित नगर पंचायत कोपरा में जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों में टकराव कम ही नहीं हो पा रहा है। इससे कोपरा में विकास कार्य अवरूद्ध है। नगर पंचायत कोपरा में एक बार फिर विवाद गहराता दिखा जब पूर्व सरपंच योगेश्वरी साहू और उनके समर्थकों ने शुक्रवार को नगर पंचायत कार्यालय में ताला जड़ दिया। यह घटना नगर पंचायत के गठन के एक वर्श के भीतर दूसरी बार हुई है, जब कार्यालय में ताला लगाने की वजह से सरकारी कामकाज बाधित हुआ। सीएमओ श्यामलाल वर्मा की शिकायत पर थाना पाण्डुका में पूर्व सरपंच योगेश्वरी साहू के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। थाना प्रभारी जयप्रकाश नेताम ने बताया कि पूर्व सरपंच के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 126 (2) और 221 के तहत मामला दर्ज कर जांच जारी है। नगर पंचायत कोपरा में यह विवाद कोई नई बात नहीं है। पूर्व सरपंच योगेश्वरी साहू और प्रशासन के बीच पिछले पांच वर्शो से टकराव की स्थिति बनी हुई है। शुक्रवार को हुए ताला जड़ने की घटना ने एक बार फिर राजनीतिक तनाव को हवा दी है। घटना के बाद पुलिस और प्रशासन दोनों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अपने स्तर पर ताला जड़ने के पीछे के कारणों की पड़ताल कर रही है, जबकि प्रशासन ने शिकायत में दर्ज आरोपों की जांच तेज कर दी है। पूर्व सरपंच योगेश्वरी साहू के अलावा ताला जड़ने वालों में डोमेश्वर यादव, गोवर्धन साहू, भुवन पटेल, सुशीला साहू, यामिनी साहू, रोशनी साहू, केंवरा साहू और भाना यादव के नाम शामिल है। घटना के बाद नगर पंचायत कोपरा में माहौल तनावपूर्ण है। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रियता के बावजूद इस विवाद ने पंचायत के कामकाज पर गहरा असर डाला है। पंचायत में लगातार हो रहे विवादों के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत महसूस की जा रही है। यह घटना नगर पंचायत के भीतर बढ़ते राजनीतिक तनाव और प्रशासनिक समस्याओं को उजागर करती है, जिनका समाधान जल्द किया जाना आवश्यक हैं। बताया जा रहा है कि पूर्व सरपंच एवं उनके समर्थकों ने पंचायत भवन में बैठक बुलाकर कार्यालय के दरवाजे पर ताला जड़ दिया। इसके बाद सीएमओ श्यामलाल वर्मा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि इस तालाबंदी के कारण सरकारी कार्यो में गंभीर बाधा उत्पन्न हुई। इधर पूर्व सरपंच और उनके समर्थक कलेक्टर दीपक अग्रवाल से मिले और तालाबंदी के पीछे अपने पक्ष रखे। पूर्व सरपंच ने आरोप लगाया कि प्रशासन उनकी मांगों को नजर अंदाज कर रहा है, जिसके कारण यह कदम उठाना पड़ा।