फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। नगर सहित ग्राम्यांचल में आवागमन में ई-रिक्शा का चलन धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है। फिंगेश्वर से आसपास गांवों में आने जाने वाले ग्रामीण यात्रियों के लिए ई-रिक्शा एक सुगम एवं सस्ता साधन बनता जा रहा है। ब्लॉक मुख्यालय फिंगेश्वर से लेकर दूरदराज गांवों तक पिछले दो-तीन सालों में ई-रिक्शा, इलेक्ट्रिक बाइकों का चलन बढ़ गया है। शहर में बस स्टैंड जाने या शहर से इधर उधर जाने के लिए ई-रिक्शा ही दिखाई पड़ते है, लेकिन चार्जिंग के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ई-रिक्शे को बढ़ावा देने के लिए एक तरफ सरकार सब्सिडी दे रही है तो दूसरी तरफ आसपास में अभी तक एक भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं बनाया गया है। जिसके कारण ई-रिक्शा मालिक एवं इलेक्ट्रिक बाइक चालक घर पर ही इन्हें चार्ज कर रहे है। जबकि कुछ जगहों पर चोरी छिपे चार्ज किया जा रहा है। शहर में इको फ्रेंडली वाहनों के नाम पर चलाए जाने वाले ई-रिक्शा एवं इलेक्ट्रिक बाइक का उपयोग कमर्शियल भी होता है। लेकिन यह वाहन घरेलू बिजली से चार्ज हो रहे है, जिससे हर साल लाखों की चपत विद्युत वितरण कंपनी को लग रही है। इसके अलावा हादसे की आशंका बनी रहती है। घर पर ई-रिक्शा एवं इलेक्ट्रिक बाइक चार्ज करते समय शार्ट सर्किट हो सकता है। आग भी लग सकती है। इस तरह की घटनाएं अन्य स्थानों में हो चुकी है जिसमें ई-रिक्शा एवं इलेक्ट्रिक बाइक की चार्जिंग के समय शार्ट सर्किट से आग लग गई। शहर एवं आसपास के ग्रामीण इलाकों में ई-रिक्शा एवं इलेक्ट्रिक बाइक चल रहा है। एक ई-रिक्शा एवं इलेक्ट्रिक बाइक को चार्ज करने में 6 से 7 घंटे लगते है। इस दौरान लगभग 9 यूनिट बिजली खर्च होती है। इससे विद्युत वितरण कंपनिं को काफी नुकसान होता है।