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फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों ने त्।ॅम् कार्यक्रम के अंतर्गत किरवई गांव में एक विशेष प्रदर्शन का आयोजन किया। डीन डॉ. गिरीजेश शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने फल एवं सब्जियों की प्रोसेसिंग की विभिन्न तकनीकों को ग्रामीण किसानों और स्व-सहायता समूह की महिलाओं के समक्ष प्रदर्शित किया। विद्यार्थियों ने पपीते से टूटी फ्रूटी बनाने और केले से चिप्स तैयार करने की विधियों को समझाया और इनसे जुड़े मूल्य वर्धन के फायदों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों से न केवल फलों का बेहतर उपयोग संभव है, बल्कि इससे किसानों को अतिरिक्त आय भी प्राप्त हो सकती है। इसके साथ ही, शीत ऋतु में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले संतरे की खेती पर विस्तार से चर्चा की गई। संतरे से स्क्वैश बनाने की विधि को प्रदर्शित करते हुए विद्यार्थियों ने यह बताया कि प्रोसेसिंग के माध्यम से किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित सहायक प्राध्यापक डॉ. कुंतल साटकर ने बताया कि फलों और सब्जियों की प्रोसेसिंग किसानों के लिए आय के नए स्रोत खोल सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रोसेसिंग के जरिए फलों और सब्जियों के औषधीय गुणों का वर्षभर उपयोग किया जा सकता है। कोऑर्डिनेटर लेखराम वर्मा ने इस अवसर पर कहा कि इस तरह की गतिविधियां किसानों और ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होंगी। विद्यार्थियों ने यह भी बताया कि किस प्रकार घर की महिलाएं फलों और सब्जियों की प्रोसेसिंग कर अपने परिवार के लिए आय का एक अतिरिक्त माध्यम विकसित कर सकती हैं। कार्यक्रम में लेखराम वर्मा, डॉ. समुन रावटे, एवं डॉ. कुन्तल साटकर सहा. प्राध्यापक, किसान, स्व सहायता समूह के महिलाएं और कृषि महाविद्यालय के अंतिम वर्ष के विद्यार्थी मौजूद रहे। यह प्रदर्शन किसानों और ग्रामीणों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हुआ, जिससे उन्हें अपने कृषि उत्पादों के बेहतर उपयोग और मूल्य वर्धन की जानकारी मिली।