KK Muhammad , नई दिल्ली। देश में धार्मिक स्थलों को लेकर चल रही बहस के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व रीजनल डायरेक्टर केके मुहम्मद का बयान एक बार फिर चर्चा में है। उन्होंने कहा कि मथुरा और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद वे दो ऐतिहासिक स्थल हैं जिन्हें लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है, और मुस्लिम समाज को इन स्थलों पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि मथुरा भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है, जबकि ज्ञानवापी का संबंध भगवान शिव से जुड़ा है। इसलिए धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से ये स्थल हिंदू समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जैसे मुसलमानों के लिए मक्का और मदीना का महत्व होता है।

‘मंदिरों के सबूत स्पष्ट, मुस्लिम समाज पहल करे’

मुहम्मद ने दावा किया कि इन स्थलों पर हुए शोध, इतिहास और पुरातात्त्विक प्रमाण स्पष्ट रूप से बताते हैं कि ये प्राचीन हिंदू मंदिर थे, जिनके ऊपर बाद में मस्जिदें बनाई गईं।
उन्होंने कहा— “धार्मिक सौहार्द के लिए मुस्लिम समाज को पहल करते हुए उन स्थानों को हिंदुओं के लिए छोड़ देना चाहिए। इसका सकारात्मक संदेश जाएगा और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान हो सकेगा।”

हिंदुओं को भी दी सलाह

केके मुहम्मद ने केवल मुस्लिम समुदाय को नहीं, बल्कि हिंदू समुदाय को भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे और भी कई धार्मिक स्थल हैं जहाँ इस प्रकार के विवाद उठ सकते हैं, लेकिन उन्हें सीमित रखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा—
“हिंदुओं को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण और प्रमाणित स्थानों को ही लेकर चर्चा या मांग उठाई जाए। सभी जगह विवाद पैदा करने से आपसी विश्वास को नुकसान होता है।”

देश में चल रही विवादित स्थलों की कानूनी प्रक्रिया पर भी बात

मुहम्मद ने यह भी कहा कि मथुरा और ज्ञानवापी पर मामला अदालतों में है और अंतिम फैसला न्यायपालिका ही देगी। लेकिन उन्होंने सामाजिक समाधान को अदालत से भी बेहतर रास्ता बताया।
उनके अनुसार, धार्मिक समुदायों के बीच संवाद और सहयोग से कई विवाद समाप्त किए जा सकते हैं।

केके मुहम्मद पहले भी दे चुके हैं ऐसे बयान

इससे पहले भी केके मुहम्मद अयोध्या विवाद के समय दिए अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने कई बार दावा किया था कि बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मौजूद थे, जिसे बाद में ASI की रिपोर्ट से भी पुष्टि मिली थी।

बयान पर बढ़ी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ

मुहम्मद के इस नए बयान के बाद राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है।
कुछ लोग उनके विचारों का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे एकतरफा और विवाद को भड़काने वाला बयान बता रहे हैं।

हालांकि, मुहम्मद का कहना है कि उनका उद्देश्य किसी प्रकार का तनाव बढ़ाना नहीं बल्कि सौहार्द और ऐतिहासिक सत्य के आधार पर समाधान सुझाना है।

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