न्यूयॉर्क/वाशिंगटन: अमेरिका ने भारत पर पहले 25 फीसदी टैरिफ लगाया और इसके बाद दोबारा 25 फीसदी टैक्स और लगा दिया। इस प्रकार भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो गया।यह दुनिया के किसी भी देश पर अमेरिका की ओर से लगाया गया सर्वाधिक टैरिफ है। भारत के बाद सिर्फ ब्राजील ऐसा दूसरा देश है, जिस पर ट्रंप ने 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है। बाकी सभी देशों का टैरिफ भारत और ब्राजील के मुकाबले लगभग आधे के आसपास ही है। भारत पर इतना अधिक टैरिफ लगाने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की क्या बौखलाहट थी, इसका खुलासा खुद ह्वाइट हाउस ने किया है।

ह्वाइट हाउस ने किया  ट्रंप के टैरिफ पर खुलासा

व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का कारण बताया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ इसलिए लगाया क्योंकि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने से साफ इनकार कर दिया। उन्होंने इसे अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा। पीटर ने कहाकि भारत का यह इनकार अमेरिका के लिए ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा’’ है। इसी वजह से  पिछले सप्ताह, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो सात अगस्त से लागू हो गया। ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश पर भी हस्ताक्षर किए, जिसके तहत रूस से तेल की खरीद के लिए भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया। इसके साथ ही कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया।

अमेरिका के सामने भारत का नहीं झुकना कैसे बना राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा?

अमेरिका के किसी दबाव के आगे भारत का नहीं झुकना और अपने जिगरी दोस्त रूस से तेल खरीदना जारी रखना ह्वाइट हाउस के लिए आखिरकार राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा कैसे बन गया। व्हाइट हाउस के अनुसार नवारो ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि ‘‘भारत पर लगाए गए शुल्क का तर्क पारस्परिक शुल्क से बिलकुल अलग है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से एक राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा है, जो भारत के रूसी तेल की खरीद बंद करने से साफ इनकार से जुड़ा हुआ है और हर अमेरिकी को इसका गणित समझना चाहिए, क्योंकि यह व्यापारिक स्थिति से संबंधित है।’’ नवारो ने कहा, ‘‘आप इस बात से समझिए कि भारत शुल्क का ‘महाराजा’ है, यह अमेरिकी उत्पादों पर दुनिया में सबसे ज़्यादा शुल्क लगाता है और इसके पास ऊंची गैर-शुल्क बाधाएं भी हैं, जिससे हम अपने उत्पाद वहां नहीं पहुंचा पाते।

अमेरिका ने लगाया भारत पर बेबुनियाद आरोप

पीटर ने भारत पर आरोप लगाते कहा कि अमेरिका एक ‘‘गैर न्यायसंगत व्यापारिक माहौल’’ में भारत से उत्पाद ख़रीदने के लिए विदेशों में बहुत सारे डॉलर भेजता है। ‘इसके बाद भारत इसी अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल रूसी तेल खरीदने के लिए करता है। फिर रूस भारत से आने वाले अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल अपने हथियारों के वित्तपोषण और यूक्रेनियों की हत्या के लिए करता है, और फिर अमेरिकी करदाताओं से उन हथियारों के लिए भुगतान करने को कहा जाता है जिनसे यूक्रेन को रूसी हथियारों से बचाना है और ये हथियार भारत से आने वाले अमेरिकी डॉलर से खरीदे जाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि इसे ‘‘रोकना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह गणित काम नहीं करता। राष्ट्रपति आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच के संबंध को समझते हैं, इसलिए यही मुख्य बात है।’’

अमेरिका ने चीन को भारत से भिन्न कैसे रखा

टैरिफ लगाने के मामले में अमेरिका ने चीन को आखिर भारत से अलग कैसे रखा, जबकि भारत से ज़्यादा रूसी तेल चीन भी खरीदता है। मगर इसके बावजूद चीन को उस तरह निशाना क्यों नहीं बनाया गया जिस तरह भारत पर शुल्क दोगुना करके निशाना बनाया गया है। इस पर ह्वाइट हाउस ने कहा, ‘‘जैसा ‘बॉस’ कहते हैं, देखते हैं क्या होता है। ध्यान रहे कि हमने चीन पर पहले ही 50 प्रतिशत से ज़्यादा शुल्क लगा रखे हैं। सलिए हम उस स्थिति में नहीं पहुंचना चाहते जहाँ हम ख़ुद को ही नुकसान पहुंचाएं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति निश्चित रूप से इस मुद्दे पर चीन के साथ काम करेंगे।’’

अमेरिका ने कहा-भारत रूस के सबसे बड़े तेल खरीदारों में से एक

व्हाइट हाउस के गृह सुरक्षा सलाहकार स्टीफन मिलर ने कहा, ‘‘लोगों को यह जानकर शायद आश्चर्य हुआ होगा कि भारत दुनिया में रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदारों में से एक है और वे दुनिया भर के कई अन्य बाज़ारों से आसानी से तेल प्राप्त कर सकते हैं।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘इसी वजह से वे रूसी सेना को सबसे ज़्यादा धन मुहैया कराने वालों में से एक हैं।’’ वहीं, शुल्क पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नई दिल्ली को निशाना बनाना ‘‘अनुचित और अविवेकपूर्ण’’ है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

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