CG:”एक पेड़ माँ के नाम” अभियान की गूंज: गरियाबंद में पर्यावरण संरक्षण का बिगुल, कलेक्टर बी.एस. उइके की भावुक अपील

एक पेड़ माँ के नाम अभियान

CG:”एक पेड़ माँ के नाम” अभियान की गूंज: गरियाबंद में पर्यावरण संरक्षण का बिगुल, कलेक्टर बी.एस. उइके की भावुक अपील

 

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। एक पेड़ माँ के नाम पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनजागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देने की दिशा में गरियाबंद जिला एक बार फिर आगे बढ़ चुका है। राज्य शासन के निर्देशानुसार इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर “एक पेड़ माँ के नाम 2.0” महाभियान की शुरुआत हो रही है, जिसमें गरियाबंद जिला भी अपनी पूरी ऊर्जा और भावनात्मक जुड़ाव के साथ भागीदारी कर रहा है।

एक पेड़ माँ के नाम अभियान

इस महाभियान के केंद्र में न केवल हरियाली का संदेश है, बल्कि उसमें मां के प्रति श्रद्धा, प्रकृति के प्रति आभार और भावी पीढ़ियों के प्रति ज़िम्मेदारी का भाव भी निहित है। यही कारण है कि गरियाबंद के कलेक्टर बी.एस. उइके ने न केवल प्रशासनिक आदेश दिए, बल्कि एक मार्मिक अपील भी की है — “एक पेड़ लगाइए, माँ के नाम। इस पौधे की देखभाल ऐसे कीजिए जैसे अपनी माँ की करते हैं। यही सच्ची सेवा है। यही सच्चा विकास है।”

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🌳 वृक्षारोपण से भावनात्मक जुड़ाव

कलेक्टर श्री उइके ने जिले के हर नागरिक, जनप्रतिनिधि, अधिकारी, मीडिया प्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्था, स्कूल-कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्र और निजी संस्थानों से अपील की है कि वे इस अभियान को केवल एक औपचारिक कार्यक्रम के रूप में न लें, बल्कि इसे “भावनाओं का महोत्सव” बनाएं। उन्होंने कहा, “हर एक पौधा, धरती माँ की गोद में एक नया जीवन है। जब आप एक पौधा लगाते हैं, तो आप केवल पेड़ नहीं उगाते, बल्कि भविष्य को हरियाली और स्वास्थ्य का तोहफा देते हैं।”

📍 अभियान की रणनीति और तकनीकी निगरानी

कलेक्टर ने इस बात पर भी जोर दिया कि वृक्षारोपण केवल लगाने तक सीमित न हो। पौधों के संरक्षण और वृद्धि की निरंतर निगरानी हो, इसके लिए उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि हर लगाए गए पौधे का जियो टैगिंग (Geo-tagging) किया जाए। इससे न केवल पौधों की गिनती और स्थिति का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा, बल्कि सार्वजनिक जिम्मेदारी भी सुनिश्चित होगी।

🏫 शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका

इस अभियान को जन-जन तक पहुँचाने में स्कूलों, कॉलेजों और आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका को विशेष रूप से महत्वपूर्ण बताया गया है। कलेक्टर ने कहा कि जब बच्चे स्वयं पौधारोपण करेंगे और उन्हें नाम देंगे — जैसे “माँ तुलसी”, “पापा पीपल”, “गुरु गूलर” — तो उनके भीतर प्रकृति के प्रति आत्मीयता और संवेदनशीलता विकसित होगी।

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📰 मीडिया और समाज सेवी संस्थाओं का आमंत्रण

श्री उइके ने प्रेस और मीडिया के साथ-साथ सामाजिक संगठनों से भी अनुरोध किया है कि वे इस अभियान को व्यापक रूप से प्रचारित करें और लोगों को प्रेरित करें। “आपकी लेखनी और आपकी आवाज़, समाज को दिशा देने वाली शक्ति है,” उन्होंने पत्रकारों से कहा। साथ ही उन्होंने बताया कि कई ग्रामीण क्षेत्रों में यह अभियान ‘हर घर एक पौधा’ के रूप में भी रूपांतरित किया जा रहा है।

🌎 पर्यावरण की रक्षा = जीवन की रक्षा

कलेक्टर ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान, सूखा, बाढ़ और बीमारियों जैसी समस्याओं का समाधान केवल और केवल प्रकृति के संरक्षण में है। “अगर हमने आज एक पौधा लगाया और उसकी देखभाल की, तो कल हमें ऑक्सीजन के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य ही हमारी सभ्यता का भविष्य है।

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🌱 एक संकल्प — माँ और धरती माँ दोनों के लिए

इस अभियान का सबसे भावनात्मक पक्ष यह है कि लोग पौधा लगाकर उसे अपनी माँ के नाम समर्पित करते हैं। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण का माध्यम है, बल्कि एक गहरी भावनात्मक कड़ी भी जोड़ता है। श्री उइके ने कहा, “माँ हमें जीवन देती है और पेड़ हमें जीवनदायिनी हवा। दोनों की पूजा करनी चाहिए। इस अभियान के जरिए हम अपने प्रेम, कर्तव्य और संस्कृति को एक साथ जोड़ रहे हैं।”

📢 अंतिम अपील

कलेक्टर बी.एस. उइके ने अपने उद्बोधन का समापन करते हुए जिलेवासियों से भावुक अपील की —

“एक पौधा लगाइए, माँ के नाम। उसे सींचिए, उसकी रक्षा कीजिए, और आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा गरियाबंद दीजिए। जब आप पौधे की पत्तियों को हवा में लहराते देखेंगे, तो उसमें माँ की मुस्कान झलकेगी।”

आइए, इस पर्यावरण दिवस पर हम संकल्प लें — हर घर, हर दिल, हर आंगन में एक पौधा — माँ के नाम।

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