Brekings: 108 कलशों से हुआ भगवान जगन्नाथ का पावन स्नान

देव स्नान पूर्णिमा पर मंदिर के पट हुए बंद, 15 दिन रहेंगे विश्राम पर
27 जून को निकलेगी गरियाबंद की ऐतिहासिक और भव्य रथ यात्रा

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद नगर में श्रद्धा, परंपरा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला जब सिविल लाइन स्थित प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का 108 कलशों के शीतल जल से महा अभिषेक किया गया। इस विशेष अवसर पर मंदिर परिसर श्रद्धालुओं की भीड़, मंत्रोच्चार और भक्ति संगीत से गूंज उठा।
मंदिर में विशेष साज-सज्जा की गई थी और पूरे आयोजन को शास्त्रसम्मत विधियों से संपन्न किया गया। दूध, दही, जल, जड़ी-बूटियों और गंगाजल से देवताओं का स्नान कराया गया। आयोजन का संचालन राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथा वाचक पंडित युवराज पांडेय की अगुवाई में किया गया। उन्होंने पूरे कार्यक्रम को धार्मिक गाथाओं और शास्त्रीय व्याख्याओं से समृद्ध किया।
‘अनासर काल’ — जब भगवान लेते हैं विश्राम
देव स्नान पूर्णिमा केवल स्नान का पर्व नहीं है, बल्कि इसके साथ शुरू होता है एक गहन धार्मिक परंपरा जिसे ‘अनासर काल’ कहा जाता है। मान्यता है कि स्नान के बाद भगवान श्रीजगन्नाथ बीमार हो जाते हैं। यह मानवीयता और ईश्वर के बीच का गहरा संबंध दर्शाता है — जहाँ भगवान भी अपने भक्तों जैसे भावनाओं से गुजरते हैं।
इस दौरान भगवान को औषधीय काढ़ा, तुलसी अर्क, सौंफ, काली मिर्च, अदरक आदि से निर्मित विशेष प्रसाद दिया जाता है। यह अवधि 15 दिनों की होती है, जिसमें मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं। न तो भगवान के दर्शन संभव होते हैं, न ही मंदिर में सार्वजनिक पूजा होती है। इसे धार्मिक दृष्टि से भगवान का ‘विश्राम काल’ कहा जाता है।
27 जून को नगर में निकलेगी भव्य रथ यात्रा
जैसे ही भगवान स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करते हैं, उन्हें 26 जून को ‘नवयौवन वेश’ में सजाया जाएगा। इसके ठीक अगले दिन, 27 जून 2025 को गरियाबंद की ऐतिहासिक रथ यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें भगवान रथ पर सवार होकर मौसी के घर, गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान करेंगे। यह परंपरा ओडिशा के पुरी स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर से प्रेरित है, लेकिन छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में इसकी अपनी भव्यता और स्थानीय रंग है।
सजीव झांकियाँ, DJ, आकर्षक रथ और हजारों की भीड़
रथ यात्रा की तैयारियाँ इस बार भी जोरों पर हैं। श्री जगन्नाथ परिवार युवा बल समिति ने आयोजन की पूरी जिम्मेदारी संभाली है। समिति के अनुसार, भगवान के लिए एक विशेष रथ समीपवर्ती ग्राम में लकड़ी, बाँस और पारंपरिक औजारों से बनाया जा रहा है। रथ की सजावट के लिए स्थानीय कलाकार लगातार कार्यरत हैं।
रथ यात्रा में आकर्षक झांकियाँ, धार्मिक और सांस्कृतिक नृत्य दल, DJ, और विशेष लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी। यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, कला और संस्कृति का भी उत्सव होगा।
प्रशासन ने कसी कमर, सुरक्षा और ट्रैफिक की सख्त व्यवस्था
जैसे-जैसे रथ यात्रा का दिन नजदीक आ रहा है, प्रशासन भी चौकस हो गया है। जिलेभर से आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस विभाग, यातायात नियंत्रण दल, स्वास्थ्य अमला और स्वयंसेवी संस्थाओं को विशेष जिम्मेदारियाँ सौंपी गई हैं। शहर के मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक डायवर्जन, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, मोबाइल वॉशरूम, और जल व्यवस्था की जा रही है।
जनप्रतिनिधि और अतिथि होंगे शामिल
रथ यात्रा में जिले के विधायक, नगर पालिका अध्यक्ष, ज़िला पंचायत सदस्य, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन, सहित कई गणमान्य अतिथि भी शामिल होंगे। आयोजन समिति ने सभी श्रद्धालुओं और नगरवासियों से इस पावन अवसर में भाग लेकर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की है।
गरियाबंद में देव स्नान पूर्णिमा से शुरू हुआ यह आध्यात्मिक सिलसिला अब रथ यात्रा की भव्यता की ओर बढ़ चला है। 108 कलशों से अभिषेक, अनासर काल की शांति, और फिर हजारों भक्तों के साथ निकलेगा रथ — यह आयोजन गरियाबंद को एक बार फिर धर्म, संस्कृति और समरसता का केंद्र बना देगा।