ब्रेकिंग न्युज:”एक बाप बेटी से मिलने निकला था… वापस लौटी उसकी लाश!”

घरघोड़ा सड़क हादसे में अज्ञात वाहन ने ली एक मासूम ज़िंदगी — दर्द से बिलखता परिवार, सवालों के कटघरे में प्रशासन!

रायगढ़/घरघोड़ा(गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में शुक्रवार रात एक ऐसी खबर आई जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। घरघोड़ा थाना क्षेत्र में हुए एक भीषण सड़क हादसे में विदेशी राठिया, उम्र 35 वर्ष, की मौत हो गई। वो एक सामान्य पिता की तरह अपनी बेटी को लेने के लिए निकले थे, लेकिन घर वापस लौटी तो उनकी निर्जीव देह।

घटना की पूरी कहानी — मौत सड़क पर इंतजार कर रही थी!

यह हादसा 17 मई की रात करीब 8 बजे हुआ। विदेशी राठिया अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर लैलूंगा रोड की ओर बढ़ रहे थे। जैसे ही वह पुराना गुप्ता ढाबा के पास पहुँचे, अचानक एक तेज़ रफ्तार अज्ञात वाहन ने उन्हें सामने से टक्कर मार दी और मौके से फरार हो गया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि विदेशी राठिया कई फीट दूर जा गिरे और उनके सिर में गंभीर चोटें आईं। वो कुछ देर तक सड़क पर तड़पते रहे, लेकिन मदद के लिए कोई तत्पर नहीं हुआ। अंततः पास से गुजर रहे एक परिचित ने उन्हें देखा और परिजनों को खबर दी। परिजन दौड़कर मौके पर पहुँचे और उन्हें उठाकर घरघोड़ा अस्पताल लाए, लेकिन तब तक उनकी सांसें थम चुकी थीं।

बेटी कर रही थी पापा का इंतज़ार — घर लौटी खबर बनकर!

विदेशी राठिया की बेटी घर पर अपने पापा का इंतज़ार कर रही थी। बार-बार दरवाजे की ओर देखती रही, लेकिन जो आया वो उसके सपनों को तोड़ने वाली ख़बर थी। एक पिता का साया सिर से उठ गया — वो भी महज़ एक अज्ञात वाहन की लापरवाही के कारण।

गांव में पसरा मातम, मां-बाप बेसुध — पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल

अरईमुड़ा गांव में जैसे शोक की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि विदेशी राठिया बेहद मिलनसार और मेहनती व्यक्ति थे। उनका यूं अचानक चले जाना पूरे गांव के लिए गहरा सदमा है। उनके बूढ़े माता-पिता बार-बार यही कह रहे हैं:

“हमरा बेटा तो बेटी ला लाय बर गे रहिस… अब कइसे जियबो?”

पत्नी का हाल बयां करना शब्दों के परे है। वह हर किसी से यही पूछ रही है —

“का पाप कर देहे रहिस हम, जे भगवान अइसने सजा दे दिए?”

पुलिस ने दर्ज किया मामला — लेकिन क्या होगा इंसाफ?

घरघोड़ा थाना पुलिस ने मर्ग कायम कर अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 304A (लापरवाही से मृत्यु) व 279 (लापरवाही से वाहन चलाना) के तहत मामला दर्ज किया है। फिलहाल अज्ञात वाहन की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज, स्थानीय चश्मदीदों के बयान, और वाहन की टायर के निशान की जांच की जा रही है।

थाना प्रभारी ने आश्वासन दिया है कि वाहन और चालक की जल्द पहचान कर उन्हें हिरासत में लिया जाएगा, लेकिन सवाल यह है — क्या कानून की प्रक्रिया पीड़ित परिवार को न्याय दिला पाएगी?

सिस्टम पर सवाल, संवेदनशीलता पर घाव

  • क्या घरघोड़ा जैसी सड़कों पर पर्याप्त स्ट्रीट लाइट्स हैं?
  • क्या इस मार्ग पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिए कोई कैमरा या पेट्रोलिंग व्यवस्था है?
  • क्या ऐसे मामलों में सरकार पीड़ित परिवार को तत्काल सहायता राशि मुहैया कराती है?

यह घटना महज एक हादसा नहीं, यह व्यवस्था की लापरवाही और संवेदनहीनता की एक और मिसाल बन गई है।

जनता की मांग — न्याय हो, मुआवजा हो, व्यवस्था बदले!

ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि:

  • पीड़ित परिवार को कम से कम ₹10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाए।
  • दुर्घटनास्थल पर ट्रैफिक संकेतक और कैमरा लगाए जाएं।
  • अज्ञात वाहन चालक की गिरफ्तारी जल्द से जल्द सुनिश्चित की जाए।

यह सिर्फ एक मौत नहीं — यह पूरे सिस्टम के लिए चेतावनी है।

विदेशी राठिया तो चले गए, पर अब ज़िम्मेदारी समाज और प्रशासन की है — ताकि फिर कोई बाप बेटी से मिलने निकले, तो सही-सलामत लौटे… लाश बनकर नहीं!

 

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