CGNEWS: राजिम विधायक रोहित साहू की पहल से बदली एक मासूम की जिंदगी: मिशन वात्सल्य योजना बनी 9 साल की भाविका का सहारा

264 बच्चों को मिला सरकारी सहायता का संबल, गरियाबंद बना संवेदना और संवर्धन का उदाहरण

 

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। कभी-कभी एक फोन कॉल किसी की पूरी जिंदगी बदल सकता है। ऐसा ही कुछ हुआ गरियाबंद जिले के दूरस्थ ग्राम पिपरछेड़ी की 9 वर्षीय बालिका कुमारी भाविका साहू के साथ, जिसकी मासूम आँखों में जीवन की पीड़ा तो थी, पर अब उम्मीदों की चमक भी है। गरियाबंद जिले के राजिम विधानसभा क्षेत्र के विधायक रोहित साहू के प्रयासों से भाविका को मिशन वात्सल्य स्पांसरशिप योजना के तहत प्रतिमाह 4,000 रुपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत हुई है। यह सहायता उसे उसकी 18 वर्ष की आयु तक नियमित रूप से प्राप्त होगी।

भाविका का जीवन अब तक कठिनाइयों से भरा रहा है। उसकी माँ का निधन वर्ष 2018 में हो चुका है और उसके पिता श्री गजानंद साहू पिछले 20 वर्षों से 82% दिव्यांगता से जूझ रहे हैं। न तो कोई आय का स्रोत, न कोई स्थायी सहायता। ऐसे में छोटी सी बच्ची भाविका के लिए पढ़ाई और सामान्य जीवन का सपना भी किसी कल्पना से कम नहीं था। लेकिन अब हालात बदलने लगे हैं।

एक संवेदनशील जनप्रतिनिधि की पहल: रोहित साहू बने मसीहा

इस दर्दनाक स्थिति की जानकारी मिलते ही विधायक रोहित साहू ने इसे गंभीरता से लिया और महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी को दूरभाष के माध्यम से तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उनके निर्देश पर जिला बाल संरक्षण इकाई, गरियाबंद की टीम ने तुरंत पिपरछेड़ी गांव जाकर मौके पर बच्ची और उसके परिवार की स्थिति की गहराई से जांच की।

सामाजिक जांच में पुष्टि हुई कि बच्ची की पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। उसके पिता पूरी तरह कार्य करने में असमर्थ हैं और परिवार पूरी तरह से असहाय है। इन तथ्यों के आधार पर मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत स्पांसरशिप योजना (प्रवर्तकता कार्यक्रम) के तहत तत्काल कार्रवाई की गई।

वास्तविकता से योजना तक – त्वरित और प्रभावी क्रियान्वयन

विभाग ने तत्परता से सभी जरूरी दस्तावेज जैसे कि—

  • अंतिम कक्षा की अंकसूची,
  • संरक्षक का आय प्रमाण पत्र,
  • आधार कार्ड (बालिका व संरक्षक),
  • राशन कार्ड,
  • बैंक खाता विवरण,
  • माता का मृत्यु प्रमाण पत्र,
  • और विद्यालय में अध्ययनरत प्रमाण पत्र—

संग्रह कर योजना के लिए प्रक्रिया पूर्ण की।

महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि योजना का उद्देश्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर और संकटग्रस्त परिवारों के बच्चों को निरंतर शिक्षा, पोषण और सामाजिक सुरक्षा मिल सके।

गरियाबंद बना मिसाल, 264 बच्चों को मिला सहारा

इस योजना के अंतर्गत गरियाबंद जिले में अब तक कुल 264 बच्चों को नियमित आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है। यह जिला अब शासन की संवेदनशील योजनाओं के क्रियान्वयन का उदाहरण बनकर उभरा है।

भाविका साहू और उनके पिता गजानंद साहू ने राज्य शासन, विधायक रोहित साहू और महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रति अपना गहरा आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस सहायता से अब भाविका की पढ़ाई रुकेगी नहीं, बल्कि नए सपनों को पंख मिलेंगे।

जनप्रतिनिधि और शासन की संयुक्त पहल बनी प्रेरणा

विधायक रोहित साहू ने मीडिया को दिए बयान में कहा:

“हर बच्चा हमारे समाज की अमूल्य संपत्ति है। यदि किसी एक की जिंदगी भी हम बेहतर बना सकें, तो यह राजनीति नहीं, बल्कि मानवता की जीत है। भाविका जैसी बेटियों को सहारा देना ही हमारी प्राथमिकता है।”

समाप्ति नहीं, एक नई शुरुआत

भाविका साहू की यह कहानी न केवल शासन की योजनाओं की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाती है कि जब एक जनप्रतिनिधि संवेदनशील हो, और प्रशासन तत्पर हो, तो सबसे पिछड़ी बस्तियों में रहने वाली बच्ची को भी सम्मान और सुरक्षा मिल सकती है।

गरियाबंद की यह मिसाल आज पूरे छत्तीसगढ़ के लिए प्रेरणा है कि योजना तभी सार्थक होती है जब वह जमीन पर असर छोड़ती है— और भाविका की मुस्कान इसका प्रमाण है।

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