भाजपा सांसद रूपकुमारी चौधरी ने कहा : आज संविधान और आरक्षण के नाम पर झूठ फैलाकर षड्यंत्रपूर्ण नैरेटिव चला रही कांग्रेस को फुर्सत निकालकर अपने अतीत और गिरेबाँ को भी खंगाल लेना चाहिए

‘अब समय आ गया है कि देश का जनमानस समान नागरिक संहिता को लेकर सकारात्मक वातावरण बनाए ताकि सभी वर्ग, समुदाय व धर्म की महिलाओं का सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित हो’

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। भारतीय जनता पार्टी की संसद सदस्य रूपकुमारी चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि कोई भी तलाकशुदा मुस्लिम महिला सीआरपीसी की धारा 125 के तहत पति से गुजारा भत्ता लेने की हकदार है। श्रीमती चौधरी ने कहा कि यह फैसला ऐतिहासिक है और तीन तलाक के चलते अपने भविष्य और अस्तित्व को लेकर फिक्रमंद मुस्लिम महिलाओं को इस फैसले से काफी राहत महसूस हुई है।

भाजपा सांसद श्रीमती चौधरी ने कहा कि यह फैसला सन 1986 में कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार, जब स्व. राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, की तुष्टीकरण की राजनीति से प्रेरित उस भूमिका पर सवाल खड़ा करता है जब शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के लिए तत्कालीन राजीव सरकार ने संविधान बदल डाला था। श्रीमती चौधरी ने कहा कि आज संविधान और आरक्षण के नाम पर झूठ फैलाकर षड्यंत्रपूर्ण नैरेटिव चला रही कांग्रेस को फुर्सत निकालकर अपने अतीत और गिरेबाँ को भी खंगाल लेना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजीव सरकार ने किस तरह मौलवियों के आगे घुटने टेके थे, यह सारा देश जानता है और बहुमत के बल पर संविधान बदलकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। श्रीमती चौधरी ने कहा कि मुस्लिम जमात का वोट बैंक के तौर पर सियासी इस्तेमाल तो कांग्रेस खूब करती है लेकिन मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय से आँखें मूंद लेती है।

भाजपा संसद सदस्य श्रीमती चौधरी ने कहा कि केंद्र में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनी तब पहली बार तीन तलाक पर बने सख्त कानून से मुस्लिम महिलाओं को सामाजिक व पारिवारिक सुरक्षा की गारंटी मिली। सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा फैसले के बाद अब समय आ गया है कि देश का जनमानस समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर सकारात्मक वातावरण बनाए ताकि सभी वर्ग, समुदाय व धर्म की महिलाओं का सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित हो। श्रीमती चौधरी ने कहा कि गुजारा भत्ता के अधिकार पर एक बार फिर मुहर लगने के बाद मुस्लिम महिलाओं की खुशी का ठिकाना नहीं हैं। वर्तमान सरकार पर उनका विश्वास इतना गहरा है कि अब वे भी समान नागरिक संहिता लागू होते देखना चाहती हैं और बदलते भारत में संवैधानिक अधिकारों पर मजबूती से बात कर रही हैं। श्रीमती चौधरी ने कहा कि न्यायालय के इस आदेश से परिवार के टूटने की आशका कम होगी।

भाजपा सांसद श्रीमती चौधरी ने शरीयत का हवाला देकर मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड द्वारा इस फैसले का विरोध करने को दुर्भाग्यपूर्ण माना और कहा कि जब-जब शरिया के नाम पर कट्टरपंथियों ने मुस्लिम महिलाओं की दवाने और कुचलने की कोशिश की, तब सुप्रीम कोर्ट आगे आया है। अगर देश संप्रदायनिरपेक्ष है तो मुस्लिमों के लिए अलग और हिंदुओं के लिए अलग कानून नहीं होना चाहिए। श्रीमती चौधरी ने कहा कि यह फैसला उन पुरुषों पर लगाम लगाएगा जो महिलाओं की इज्जत नहीं करते, उन्हें घर से मनमानी तरीके से बेदखल कर देते हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देश की मुस्लिम महिलाओं को उनका वाजिब अधिकार मिल सकेगा।

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