जोब से मरकाकसा मार्ग अधुरा ग्रामीण परेशान

मरकाकसा व जोब के बीच 20 सालों में नहीं बन पाई 02 किलोमीटर सड़क

खून के आंसू रुला रही है जोब से मरकाकसा मार्ग कब होगा कायाकल्प

आदिवासी अंचल की बहुप्रतीक्षित मांग सालों से अधुरा

छुरिया(गंगा प्रकाश)। – कोई भी सरकार रहे वनांचल में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में खासकर विकास का ढिंढोरा फूंक फूंक के पीटती है ? और बहुत सुर्खियां भी बटोरती है ? किंतु अगर हम किसी क्षेत्र के विकास की बात करे तो सर्वप्रथम उस क्षेत्र के मार्ग को सुगम बनाना अपने आप में महत्वपूर्ण हो जाता। किंतु केवल विकास का ढिंढोरा ही पीटा जाता है ? या कुछ विकास कार्य भी होते हैं ? हम बात कर रहे हैं छुरिया ब्लाक मुख्यालय से महज 10 किमी में बसे ग्राम जोब जोकि करीबन 10 साल पहले लाल आतंक का गढ़ माना जाता था नक्सलियों का दलम था। किंतु आज वर्तमान समय 2022 में ऐसा लगता है कि नक्सलियों का दलम नहीं सरकार का दलम बन गया है ? क्योंकि इस गांव तक पहुंचने के लिए आपको पैदल चलने में भी बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा जो कि मौत को दावत देने से कम नहीं है ? चूंकि जोब से मरकाकसा दोनों गांवों की बीच की दूरी लगभग 02 से 03 किमी है। जो कि अत्यंत जर्जर है जगह जगह गढ्ढे भरे पड़े हैं। कीचड़ से लथपथ सराबोर ये दो किमी की सड़क है। इसी रोड़ से होकर बच्चे स्कूल पहुंचते हैं और 10 से 12 गांव के ग्रामीण इसी रोड़ के सहारे अपने गृह ग्राम पहुंचते हैं। वहीं इस रोड पर मोटरसाइकिल वालों को गिरने का डर हमेशा सताते रहता है। क्योंकि अभी तक इस मार्ग में दर्जन भर से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी है जिसमें स्कुली बच्चें, शिक्षक भी शामिल हैं।

 ग्रामीण सालों से कर रहे मांग

ग्रामीणों ने बताया कि जोब से मरकाकसा मार्ग को पक्की सड़क बनाने बहुत दिन से मांग कर रहे है। कुछ नहीं हुआ। अभी तक सड़क अधुरा पड़ा हुआ है। वहीं ग्रामीण अब शायद थक हारकर शांत बैठने में ही भलाई समझ रहे हैं ? 

एक नज़र ग्राम पंचायत जोब पर

आज वर्तमान समय में ग्राम पंचायत जोब वनांचल क्षेत्र का एक छोटा मुख्यालय बना हुआ है। जिसकी संख्या लगभग 2000 है। और यहां पर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस बल व पुलिस चौकी की स्थापना भी हुई है। कियोस्क शाखा संचालित हो रही है, यहां उपवन परिक्षेत्र है, हाई स्कूल संचालित हो रही है। जिसमें सैकड़ों बच्चे अध्ययनरत हैं। चिकित्सा सेवा उपलब्ध है।

जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं

जोब से मरकाकसा मार्ग पुरी तरह से जर्जर हो चुकी है। इन दिनों अपनी बदहाली के दौर से गुजर रहा है। मिनटों का सफर तय करने घंटो लग जाते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह सड़क जीवन रेखा के समान है। लेकिन जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है ? 

जोब से मरकाकसा मार्ग को सुगम बनाना कितना महत्वपूर्ण ?

वर्तमान समय में जोब से मरकाकसा रोड़ वनांचल के विकास की रीढ़ की हड्डी बनी हुई है। क्योंकि इस रोड़ से हर वर्ग बेतहाशा परेशान हैं। इस क्षेत्र के गांव पंडरापानी, विचारपुर, किडकाडी, हेताड़कसा, गोटाटोला, बिजेपार, गवालदंड के ग्रामीणों को दैनिक दिनचर्या के लिए  इस मार्ग से रोज गुजरना पड़ता है। वहीं आईटीबीपी के जवान, पुलिस जवानों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। स्कुली बच्चें, शिक्षक भी डरते डरते रोड़ पार करने में मजबुर है। सभी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जल्द ही इस सड़क का निर्माण हो जाता तो आने जाने में बहुत सुविधाजनक होती। बहरहाल इस आदिवासी अंचल कि आवाज कब शासन प्रशासन के कानों में गूंजेगी ? जिम्मेदार कब ध्यान देंगे ? तब जाके सड़क का निर्माण होगा ? आने वाला समय ही बताएगा।

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