भोपाल(गंगा प्रकाश):- मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के टिकट को लेकर सभी दलों के नेताओं में जबरदस्त रस्साकसी जारी है. बीजेपी की 5वीं सूची जारी होते ही हंगामा मच गया है. पार्टी ने अपने कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर दूसरे नेताओं पर भरोसा जताया है. इससे पार्टी के भीतर विरोध के सुर फूटने लगे हैं.मध्य प्रदेश के चुनावी मैदान में टिकट वितरण के बाद हंगामा मचा हुआ है. छतरपुर जिले की चंदला सीट पर बीजेपी ने विधायक राजेश प्रजापति का टिकट काट दिया. इससे भड़के प्रजापति ने अपनी पार्टी के ही प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा पर पैसे लेकर टिकट देने का आरोप लगा दिया. इतना ही नहीं, राजेश प्रजापति का कहना है कि जिस नेता को टिकट दिया गया है, वह अपराधी है और जुआ खिलवाता है. गलत काम करता है.
BJP विधायक राजेश प्रजापति ने कहा, गलत काम करने वाले को विधानसभा का टिकट थमा दिया गया है. ऐसे नेता के लिए कौन खड़ा होगा? सर्वे में मेरा भी नाम था तो फिर टिकट कैसे कटा? और यह कहते ही राजेश प्रजापति फूट-फूटकर मीडिया के कैमरे पर रोने लगे,विधायक प्रजापति ने अपने समर्थकों और बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की. यह बैठक आलम देवी मंदिर में बुलाई गई. जहां चंदला के पूर्व विधायक विजय बहादुर सिंह भी शामिल हुए. बैठक में विधायक की टिकट कटने पर समर्थकों ने नाराजगी व्यक्त की.इस बैठक में चंदला के प्रत्याशी का विरोध करने की बात कही. टिकट कटने के बाद विधायक राजेश प्रजापति ने बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा पर गंभीर आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने जुआ, सट्टा खिलाने वाले को टिकट दिया है.

MLA रघुनाथ मालवीय भी रोए

उधर, भारतीय जनता पार्टी ने पांचवी सूची में सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा से वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय का टिकट काटते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष गोपाल सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया. जिसके बाद गोपाल सिंह का विरोध शुरू हो गया है. रविवार को बीजेपी दो गुटों बैठक आयोजित हुई. जिसमें एक जगह वर्तमान विधायक रघुनाथ मालवीय शामिल हुए. इस दौरान अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े. रघुनाथ मालवीय ने कहा, मैंने हमेशा लोगों की सेवा की है. कार्यकर्ताओं की सुनी है..विधायक के रोने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

कांग्रेस से शामिल हुए थे गोपाल सिंह, अब टिकट भी मिला

आष्टा विधानसभा से गोपाल सिंह 2018 के चुनाव में कांग्रेस से प्रत्याशी थे और उनको हार का सामना करना पड़ा था. इससे पहले भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, मगर कोई सफलता नहीं मिली. वहीं, गोपाल सिंह पिछले साल कांग्रेस का दामन छोड़ते हुए अपने कई कार्यकर्ताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे, जिसके बाद उन्हें जिला पंचायत अध्यक्ष चुना गया था.  और इसके साथ ही अब भारतीय जनता पार्टी ने गोपाल सिंह को एक और बड़ा तोहफा देते हुए आष्टा से अपना प्रत्याशी घोषित किया है. लेकिन प्रत्याशी घोषित होने के साथ ही गोपाल सिंह का स्थानीय स्तर पर विरोध भी शुरू हो गया है. रीवा जिले के मनगवां से भी BJP विधायक पंचूलाल प्रजापति ने भी टिकट पर अपना विरोध दर्ज कराया. विधायक ने दूसरे दल से आए नेता को पैसे के दम पर टिकट देने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि जिसने भी पैसे लेकर टिकट दिया है, उसका नाम जल्द ही सामने आएगा.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को करीब 42 तो बीजेपी को करीब 22 सीटों पर विरोध झेलना पड़ रहा है. यही नहीं, 6 विधानसभा क्षेत्रों में तो बीजेपी के नेताओं कने खुली बागवत कर दूसरे दल से चुनाव लड़ने के लिए टिकट ले लिया है, जबकि कांग्रेस में 5 नेता बागी होकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. बता दें कि साल 2018 के चुनाव में बीजेपी ने 59 विधायकों के टिकट काटे थे. इन सीटों पर 28 नए उम्मीदवार जीते थे जबकि 30 सीटें कांग्रेस की झोली में चली गई थीं. एक पर बसपा ने फतह हासिल की.
बता दें कि मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 21 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक पर्चा भरा जाना है. फॉर्म वापसी 2 नवंबर तक होगी. मतदान 17 नवंबर को होगा और मतगणना 3 दिसंबर को होगी।

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