CGNEWS:दल्ली राजहरा में अवैध कारोबार का साम्राज्य, पुलिसिया साख पर सवाल: अधिकारियों के तबादले से लेकर राजनीतिक समीकरण तक गहराया मामला
बालोद (गंगा प्रकाश)। बालोद जिले के दल्ली राजहरा क्षेत्र में अपराध और अवैध कारोबार जिस रफ्तार से पैर पसार रहा है, उसने पुलिस प्रशासन की निष्पक्षता और प्रभावशीलता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। क्षेत्र में खुलेआम चल रहे सट्टा, शराब, और नशे के कारोबार के बीच एक थानेदार का बार-बार एक ही विधानसभा क्षेत्र में तबादला होना, प्रशासनिक व्यवस्था पर अविश्वास पैदा कर रहा है।
बार-बार तबादला, उठते हैं गंभीर सवाल
सूत्रों के अनुसार, डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र में पदस्थ एक अधिकारी का बार-बार तबादला इसी क्षेत्र के विभिन्न थानों में होता रहा है। स्थानीय लोग इसे एक “प्रभावशाली संबंध” का परिणाम मानते हैं। अवैध कारोबारियों और असामाजिक तत्वों के साथ इस अधिकारी के कथित संबंधों की चर्चाएं शहर के पान ठेलों से लेकर सामाजिक मंचों तक फैली हुई हैं। हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जनता में व्याप्त असंतोष को नकारा नहीं जा सकता।
अवैध कारोबारियों का मनोबल बढ़ा, कानून व्यवस्था ढीली
शहर के कई हिस्सों में अवैध शराब की बिक्री, गांजा की खुलेआम उपलब्धता, और सट्टा कारोबार का बोलबाला है। नया बस स्टैंड, पुराना बाजार और कुछ प्रमुख होटलें इस कारोबार का प्रमुख केंद्र बन चुके हैं। खास बात यह है कि सार्वजनिक स्थलों पर शराब सेवन करने वालों पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं दिखाई देती, जिससे यह साफ होता है कि कानून का भय अब अपराधियों के बीच नहीं रहा।
सीसीटीवी और लाइटें सिर्फ नाम के लिए?
नए बस स्टैंड परिसर में लगाए गए घूमने वाले सीसीटीवी कैमरे केवल एक ही दिशा में स्थिर दिखाई देते हैं। आरोप है कि कैमरे की यह ‘खामी’ जानबूझकर बरकरार रखी गई है, ताकि अवैध गतिविधियों पर नजर न रखी जा सके। साथ ही, नगर पालिका द्वारा कुछ जगहों पर जानबूझकर लाइट बंद रखी जा रही है, जिससे असामाजिक तत्वों को अंधेरे का फायदा मिलता है।
नई कप्तानी से उम्मीदें, लेकिन बदलाव अधूरा
हाल ही में जिले में नए पुलिस अधीक्षक योगेश कुमार पटेल की नियुक्ति से उम्मीदें जगी थीं कि कानून व्यवस्था में सख्ती आएगी। शुरूआती दिनों में अपराधियों के खिलाफ कुछ ताबड़तोड़ कार्यवाहियों की खबरें भी आईं, लेकिन दल्ली राजहरा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में अवैध कारोबार की निरंतरता इस बात की ओर इशारा करती है कि अभी भी अंदरखाने बहुत कुछ ‘जैसा था’ वैसा ही चल रहा है।
राजनीतिक चुप्पी और प्रशासनिक संतुलन
विपक्षी दलों की चुप्पी भी जनता के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। क्षेत्र में सत्ता परिवर्तन के बाद कई अधिकारी अपनी निष्ठाएं बदलते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस शासनकाल में सक्रिय माने जाने वाले अधिकारी अब सत्तारूढ़ भाजपा से नजदीकियां बना रहे हैं। यह समीकरण प्रशासनिक पारदर्शिता पर असर डाल रहे हैं।
जनता की अपेक्षा: निष्पक्ष जांच और जवाबदेही
स्थानीय नागरिकों की मांग है कि डौंडीलोहारा विधानसभा में बार-बार तबादला करवाने वाले अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो। साथ ही, अवैध कारोबार पर तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाए। यदि पुलिस प्रशासन में यह सुधार नहीं आता, तो जनता का विश्वास पूरी तरह डगमगा सकता है।
निष्कर्ष:
दल्ली राजहरा की स्थिति केवल एक थाना क्षेत्र तक सीमित नहीं है, यह पूरे बालोद जिले की कानून व्यवस्था का आईना बन चुका है। अब यह पुलिस अधीक्षक और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे समय रहते इन गंभीर आरोपों और हालातों का संज्ञान लें और उचित कार्रवाई करें, ताकि क्षेत्र में कानून का राज स्थापित हो सके।