नई दिल्ली(गंगा प्रकाश):-आजादी का अमृत महोत्सव। यानी 75 साल पूरा हुआ। 76वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 का खाका खींच दिया। लाल किले की प्राचीर से नौवीं बार जब वो देश को संबोधित कर रहे थे तो बार-बार 130 करोड़ जनता की सामूहिक चेतना और ताकत का जिक्र हुआ। नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दे दिए कि देश को लूटने वाले भ्रष्टाचारी बच नहीं पाएंगे। राजनीति में परिवारवाद नहीं चलेगा। एक साफ संकेत प्रधानमंत्री ने दिया और देश के लोगों से इन बुराइयों के प्रति जंग में अपने लिए आशीर्वाद मांग लिया। ये एक बड़ा संकेत है। हो सकता है आने वाले सममय में परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई बड़ा फैसला मोदी सरकार लेने वाली है। नरेंद्र मोदी तब थोड़े भावुक हो गए जब उन्होंने देश की प्रगति में आधी आबादी का जिक्र तो किया लेकिन उनके साथ हो रहे व्यवहार पर दुख जताया। मेड इन इंडिया, डिजिल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत जैसे बड़े लक्ष्यों पर चलते हुए देश के भविष्य का खाका मोदी ने खींच दिया। 80 मिनट से ज्यादा के भाषण में 67 बार तालियां बजीं। आइए देखें पहली से लेकर आखिरी ताली किस बात पर बजी।देशवासियों को 76वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देता हूं

आज हमारा तिरंगा देश-विदेश में आन-बान-शान से लहरा रहा है

आजादी के अमृत महोत्सव की कोटि-कोटि बधाई देता हूं

आजादी के लिए त्याग करने वालों को याद करें और संकल्प लें उनके सपनो को हमें पूरा करना है

आज हम याद करें भगत सिंह, आजाद, राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों को जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी

रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गा भाभी, चिलम्मा, हजरत महल .. न जाने कितनी नारी शक्तियों का संकल्प हमें आजादी की तरफ ले गया

आजादी के बाद राजेंद्र प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लालबहादुर शास्त्री, दीन दयाल उपाध्याय, राममनोहर लोहिया, विनोबा भावे, नानाजी देशमुख जैसे अनगिनत महापुरुषों का योगदान रहा है।उन आदिवासी समाज के योद्धाओं को भी याद करने का दिन है। भगवान बिरसा मुंडा, सिद्धो कान्हो जैसे अनगिनत लोगों ने जंगलों में लोगों में आजादी की अलख जगाई

हमने अमृत महोत्सव के दौरान पिछले एक साल में देश के सभी भागों में उन महापुरुषों को याद किया जिन्हें भुला दिया गया था

पिछले कुछ समय में न जानें कितनी कठिनाइय़ां आईं, लेकिन हमारा जोश कम नहीं हुआ। मैं अपने नागरिकों को कोटि-कोटि बधाई देता हूं।

आजादी के समय न जाने क्या क्या कहा गया, अंग्रेज चले जाएंगे तो देश बिखर जाएगा। उनको पता नहीं था ये हिंदुस्तान की मिट्टी है, हमारे समार्थ्य का अंदाजा उनको नहीं था।

विपरीत हालत में भारत बढ़ता रहा। हमने अन्न संकट झेला, युद्ध झेले लेकिन कदम नहीं रुके।

भारत लोकतंत्र की जननी है और जिनके जेहन में ये होता है वो ऐसा सामर्थ्य देता है जो हर संकट को झेल सके 2014 में आजादी के बाद जन्मा पहला व्यक्ति हूं जिसे आपने लाल किले की प्राचीर से देश के गौरवगान का अवसर दिया। मैंने अपना कालखंड दलितों, शोषितों, युवाओं, महिलाओं, पूरब-पश्चिम हर कोने में आखिरी इनसान की चिंता करने की गांधी जी की इच्छा के लिए समर्पित किया है।

आज का समाज 75 साल बाद एक आकांक्षी समाज है। वो अब बदलाव देखने के लिए इंतजार नहीं करना चाहता है।

अब राज्य हो या केंद्र, कोई सरकार को उन्हें युवाओं की आकांक्षाओं के लिए काम करना होगा। वो इंतजार के मूड में नहीं हैं। 75 साल के सपने को अपनी आंखों के सामने पूरा होते हुए देखना चाहते हैं।मुझे खुशी है कि देश में सामूहिक चेतना का पुनर्जागरण हुआ है। हर घर तिरंगा ने ये साबित किया है। तिरंगा ने देश के सामर्थ्य को दिखा दिया है।यही नहीं चाहे जनता कर्फ्यू हो, ताली-थाली हो, कोरोना वॉरियर्स के लिए दीया जलाना हो, सामूहिक चेतना की ताकत हमने देखी है।

जब दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन पर शक हो रहा था तब हमारे गांव देहात से लेकर शहरों तक 200 करोड़ डोज लेकर दुनिया को चौंका दिया

हमने सबका साथ सबका विकास के साथ शुरुआत की थी, इसमें सबका प्रयास और सबका विश्वास जुड़ गया है।

अमृतकाल में प्रवेश कर रहे हैं और अगले 25 साल महत्वपूर्ण हैं। आज 130 करोड़ देशवासियों के संकल्प का स्मरण कर रहा हूं।

आइए आज पांच प्रण लेते हैं, पंचप्रण ताकि आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे हो सकें

पहला, विकसित भारत। हमें 2047 तक भारत को विकसित बना देना है। हर हाल में

दूसरा, गुलामी के सारे अंश को दूर कर दें। चाहे वो जहां भी जिस भी रूप में दिखाई दे रहा हो।

तीसरा, अपने विरासत पर गर्व करना सीखिए चौथ प्रण – एकता और एकजुटता। 130 करोड़ देशवासियों में ये हो गया तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत का सपना आसानी से पूरा हो जाएगा।

पांचवां प्रण – नागरिकों का कर्तव्य। और इससे पीएम-सीएम भी बाहर नहीं है। हम इस संकल्प के साथ आगे बढ़ें।

आने वाले 25 साल में हमें कोई ताकत विकसित भारत बनाने से रोक नहीं सकती।

आज जो युवा 20-25 साल के हैं वो जब देश आजादी का 100 साल मना रहा होगा तब 50-55 के होंगे। वो आज मेरे साथ संकल्प लेकर चलें। ये बीच वाला समय उनके लिए ही नहीं देश के लिए स्वर्ण काल होगा।

मैंने पहले भाषण में स्वच्छ भारत का अभियान चलाया था। आज देखिए गंदगी के प्रति नफरत की भावना आई है।

अगर हम इच्छाशक्ति से काम करते हैं तो उसे पूरा करते हैं। हमने दस प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का संकल्प लिया था और इसे हासिल कर लिया

हमें खुद सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ना होगा। समाज के भीतर भेद-भाव खत्म करने होंगे। आखिर दुनिया के दिए सर्टिफिकेट पर कब तक रहेंगे। हमें हर गुलामी तोड़ आगे बढ़ना है।हमें देश की हर भाषा पर गर्व होना चाहिए, चाहे हमें वो भाषा आती हो या नहीं। हम सोचे कि हमारे पूर्वजों ने ही इसे दुनिया को दिया है।जब हम अपनी धरती से जुड़ेंगे तभी आगे बढ़ेंगे।

मौसम परिवर्तन जैसी गंभीर समस्या का समाधान भी हमारी विरासत में है। हमें अपनी विरासत का पूरा अध्ययन करना चाहिए।हम वो लोग हैं जो पौधे में परमात्मा देखते हैं, हर कंकड़ में शंकर देखते हैं, नदी में माँ देखते हैं।घर में भी बेटे-बेटी एक समान हों। इसके बिना एकता नहीं हो सकती। हमें सारे भेद दूर कर इंडिया फर्स्ट एप्रोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।मेरे मन में एक दर्द है। हमारे अंदर एक विकृति आई है। हम नारी का अपमान करते हैं। हम स्वभाव से संस्कार से रोजमर्रा की जिंदगी में नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं क्या?हमें कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए। जैसे बिजली प्रशासन देती है लेकिन इसकी बर्बादी रोकना हमारा कर्तव्य है

महर्षि अरविदों की जयंती है। उनका नारा था – स्वदेशी से स्वराज, स्वराज, स्वराज से सुराज। हम कब तक निर्भर रहेंगे। हमें उनके सपने पूरे करने हैं। इसलिए आत्मनिर्भर भारत हमारा दायित्व बन जाता है। 75 साल बाद लाल किले पर तिरंगे की सलामी देने का काम आज मेड इंडिया तोप ने किया है। ये कितना अच्छा दिन हैआज मेरी सेना के जवानों के जितना सैल्यूट करूं कम है। मौत को मुट्ठी में लेकर चलता है ये जवान।

सेना के अधिकारियों को भी सैल्यूट है जिन्होंने तय कर लिया कि 300 साजो सामान हम बाहर से नहीं खरीदेंगे। इसे भारत में ही बनाने पर जोर दिया।

मैं छोटे बच्चों को भी सैल्यूट करता हूं जो कह रहे हैं कि उन्हें विदेशी खिलौना नहीं चाहिए।

जब पांच साल का बच्चा ऐसा कहता है तो आत्मनिर्भर भारत उसकी रगों में दौड़ रहा होता है

जब हमारा ब्रह्मोस दुनिया में जाता है तो सोचिए कौन हिंदुस्तानी गर्व नहीं कर रहा होगा

दुनिया की जो आवश्यकता है उसे पूरा करने में भी हमें पीछे नहीं हटना है। मैं प्राइवेट सेक्टर का आह्वान करता हूं।

जय जवान, जय किसान का नारा शास्त्री जी ने दिया था। अटलजी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ दिया। आइए आजादी के अमृत काल में हम इसमें जय अनुसंधान भी जोड़ दें।डिजिटल ट्रांजैक्शन जिस तेजी से बढ़ा है, उससे पता चलता है कि हम कितनी तेजी से बदल सकते हैंडिजिटल इंडिया का सपना गांव से पूरा होगा। जल्दी ही वहां 5 जी जाएगा। आज चार लाख कॉमन सर्विस सेंटर चल रहा है। ये प्रमाण है कि हम डिजिटल हब बन सकते हैं

ये देशक टेक्नोलॉजी का होने वाला है और हमें , अपने युवाओं को इसके लिए तैयार रहना चाहिए। हमारे पास काफी अवसर हैं।नारी शक्ति जीवन के हर क्षेत्र में नए विश्वास से आगे आ रही है। आने वाले 25 साल में देश की तरक्की में इनका योगदान अगर बढ़ गया तो स्पीड बढ़ जाएगी।

जितनी सुविधा बेटियों को देंगे वो उनसे ज्यादा लौटा कर देंगी।

आज हम फेडरल स्ट्रक्चर की बात करते हैं। जब मैं गुजरात में सीएम था तब केंद्र में कोई और सरकार थी लेकिन हम हर काम भारत के विकास के नाम पर करते थे और आगे बढ़ते थे।

आज हमें विकास की स्पर्धा की जरूरत है। राज्यों के बीच स्पर्धा का वातावरण हो। कंपीटीटिव फेडरलजि्म हो।दो बीमारियों का जिक्र करना चाहूंगा- भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद। एक तरफ रहने के लिए घर नहीं है और दूसरी तरफ चोरी का माल रखने के लिए जगह नहीं हैहमें भ्रष्टाचार को खत्म करना है। हमने डीबीटी के जरिए 2 लाख करोड़ रुएप गलत हाथों में जाने से बचाए हैं

हमारी कोशिश है जिसने देश को लूटा है वो लौटाएगा भी। बचने नहीं देंगे।भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जीत हो, मुझे इसका 130 करोड़ लोगों से आशीर्वाद चाहिए, ताकत चाहिए। ये दीमक है। देश को खा रहा है।

आज देश में भ्रष्टाचारियों के प्रति भी उदारता दिखाई जाती है। जेल जा चुके लोगों को प्रतिष्ठा देने की कोशिश होती है। जब तक भ्रष्टाचारी के प्रति नफरत का भाव पैदा नहीं होगा, ये बीमारी दूर नहीं होगी।परिवारवाद हमारी अनेक संस्थाओं को अपने लपेटे में ले चुका है। मैं देशवासियों से कहता हूं हम देश को परिवारवाद से मुक्ति दिलाएं. राजनीति में भी परिवारवाद ने नुकसान पहुंचाया है।भाई भतीजावाद के खिलाफ लड़ाई में आपका साथ और आशीर्वाद चाहता हूं।

आज दुनिया भर में खेल के मैदान में तिरंगा फहरा रहा है क्योंकि सेलेक्शन में ट्रांसपैरेंसी है। पहले खिलाड़ी वहां तक पहुंच तो जाते थे लेकिन पदक नहीं जीत पाते थे।अगर देश के 130 करोड़ लोग एकसाथ कदम बढ़ाएं तो देश 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाएगा।समय का प्रत्येक क्षण और हमारा कण-कण इस देश के लिए समर्पित रहना चाहिए। टीम इंडिया की भावना ही सारे सपनों को साकार करेगी।

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