हरदीप छाबड़ा

राजनांदगांव (गंगा प्रकाश)।  सरपंच संघ छुरिया ब्लाक के अध्यक्ष धर्मेंद्र साहु ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि भारत सरकार कुछ वर्षों से डिजिटल इंडिया के तहत पूरे भारत को डिजिटलाईजेशन करने जा रही है। और पूरे भारत में पंचायतीराज व्यवस्था का राशि भुगतान पीएफएमएस यानी सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के तहत कर रही है। कहा जाता है कि इस प्रणाली से शासन  बहुत जल्द राशि हस्तांतरित करती है तथा बैंक से ग्राहक के पास बहुत जल्द राशि प्रदान करने में उपयोगी साबित होता है। किंतु कुछ माह से यह प्रणाली ग्राम पंचायतों के लिए  संकट बन गई है। पिछले 2 माह से इस प्रणाली के तहत ग्राम पंचायतों में राशि हस्तांतरण बंद था। और अब भी मनरेगा राशि भुगतान रिजेक्ट हो रहा है। जिसका जवाब जिला लेवल तो दूर राज्य लेवल के कर्मचारियों के पास भी नहीं है।

 जनपद पंचायत छुरिया के सभागृह मे समस्त सरपंचो की आवश्यक बैठक रखी गई जिसमे पंचायतो के विभिन्न समस्याओ का विस्तार से विचार विमर्श किया गया जिसमे मुख्य रुप से मनरेगा के भुगतान व वर्तमान मे प्रदेश स्तर पर चल रहे अनिश्चितकालीन काम बंद कलम बंद का 10 सितंबर को सभी सरपंचो का इस हडताल मे अपनी उपस्थिति 13 सुत्रिय मांग का समर्थन करने के संबंध मे रहा।

बैठक मे सभी सरपंच ने यह भी निर्णय किया कि जब तक मनरेगा के सभी भुगतान नही किये जायेगे तब तक कोई भी कार्य मनरेगा के संबंधित नही किया जायेगा साथ ही मजदूरी का भी काम नही किया जायेगा जिसकी सुचना जिलाधीश व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को जल्द से जल्द दिया जायेगा और कार्य के लिये किसी भी पंचायत को दबाव नही दिया जाये। अगर दबाव दिया गया तो मनरेगा के साथ अन्य कार्य जो चल रहे है उनको भी पुरी तरह से बंद कर दिया जायेगा।

विभिन्न समस्याओ से घिरी सरपंचो की समस्याओ का निराकरण विगत दो तीन वर्ष से नही हो पा रहा है कोई भी कार्य के लिये केवल दबाव शासन और प्रशासन करती है किन्तु भुगतान का समय आने पर सभी प्रशासनिक अमला मुंह छिपाते फिरते है वर्तमान समस्याओ को सरपंच मंत्रालय तक का गुहार लगाने जा चुके है किन्तु वहां के अधिकारी कर्मचारियो को समस्याओ का समाधान तो दुर सरपंचो की बात सुनना भी मुनासिब नही समझा जाता, अपनी समस्याओ को लेकर छुरिया जनपद के सरपंच पदाधिकारीगण विगत दिनो विकास भवन स्थित मनरेगा कार्यालय मे भी गये किन्तु वहां के तीसरी मंजिल मनरेगा विभाग मे कुछ अधिकारी तो गायब थे। जो अधिकारी थे उनको बात तक करने के लिये समय नही था। इस प्रकार सरपंच आखिर जाये तो जाये कँहा? समस्याओ से ग्रसित सभी सरपंच पुरी तरह से मानसिक आर्थिक और शारिरिक रुप से पुरी तरह से प्रताडित हो चुके है। देखते है शासन प्रशासन इस पंचायतीराज अधिनियम की रक्षा कर पाते है या नही क्योकि समस्या सभी पंचायतो मे विकराल रुप ले चुकी है जिसका अगर समाधान नही हुआ तो पंचायतीराज खत्म होने मे देर नही लगेगी।

इसकी जानकारी सरपंच संघ छुरिया के द्वारा संबंधित बैंक व जिला तथा राज्य लेवल के अधिकारियों को प्रदान किया जा चुका है किन्तु आज पर्यंत तक इस पर किसी भी प्रकार से विचार नहीं किया गया। सरपंच संघ छुरिया इस संकट से खासा परेशान और चिंतित है।

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