सदाराम कश्यप

मुंगेली । कलेक्टर राहुल देव के निर्देशानुसार विकासखण्ड मुंगेली में समावेशी शिक्षा अंतर्गत शिक्षको एवं व्याख्यताओं हेतु 10 दिवसीय आवासीय वातावरण निर्माण कार्यक्रम प्रशिक्षण का प् 18 सितम्बर  तक बी.आर.सी भवन मुंगेली में प्रशिक्षण का आयोजित किया गया। जिन विद्यालयों में श्रवण बाधित वाक अक्षमता और दृष्टिहीन बच्चें अध्ययनरत् है उन विद्यालय के 20 शिक्षकों 10 दिवसीय व हाई स्कूल हायर सेकेण्डरी के 20 व्याख्याताओं का एक दिवस का प्रशिक्षण प्रदाय किया गया। प्रशिक्षण के शुभारम्भ अवसर पर जिला परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा मुंगेली से जिला सहायक कार्यक्रम समन्वयक (समावेशी शिक्षा)  अशोक कश्यप,विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी डाॅ.प्रतिभा मण्डलोई एवं विकासखण्ड स्रोत समन्वयक  डी.सी.डाहिरे जी के द्वारा मां सरस्वती पूजा एवं वंदना किया गया फिर राजकीय गीत अरपा पैरी के पार एवं राष्ट्रगान के साथ प्रशिक्षण का प्रारम्भ किया गया।

दिव्यांग बच्चों हेतु संचालित समावेशी शिक्षा अंतर्गत वातावरण निर्माण प्रशिक्षण में सर्वप्रथम जिला सहायक कार्यक्रम समन्वयक (समावेशी शिक्षा) अशोक कश्यप जी के द्वारा सभी प्रशिक्षणार्थी को समावेशी शिक्षा के बारे में बताया और दिव्यांगता शब्द से परिचित कराया गया कि ऐसे दिव्यंाग बच्चें को ईश्वर ने असीम शक्ति प्रदान की गयी है हमे सिर्फ इनकी क्षमता को पहचानना है और ऐसे बच्चों को सहयोग एवं मार्गदर्शन देना जिससे वे बच्चे अपने कौशलों को विकसित कर आत्मनिर्भर बन सके। 

 विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी मुंगेली डाॅ प्रतिभा मण्डलोई ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चे जिन्हे किसी विशेेष प्रकार की आवश्यक केयर टेक की आवश्यकता होती है विशेष उपकरण की आवश्यकता होती है । विकासखण्ड स्रोत समन्वयक  डी.सी.डाहिरे  द्वारा शिक्षको को शाला में एस.एम.सी. की बैठक बुलाकर इन बच्चो के संबंध में जागरूकता लाने हेतु कहा गया। इसके पश्चात मास्टर टेªनर संजीव सक्सेना ,चंद्रशेखर उपाध्याय एवं सुरेश कश्यप  द्वारा क्रमशः समावेशी शिक्षा की योजना जैसे उपकरण वितरण, बालिका शिष्यावृत्ति, एस्कार्ट एलाउंस, ट्रांसपोर्ट एलाउंस, दृष्टिहीन बच्चों हेतु रिडर एलांउस, गृह आधारित शिक्षा, नई शिक्षा नीति, दिव्यांग छात्रवृत्ति, दिव्यांगता प्रमाण पत्र, विश्व दिव्यांग दिवस एवं छ.ग.शासन की योजना के बारे में बताया गया। श्रवण बधिरता क्या है प्रकार, कारण एवं समाधान दृष्टिहीनता क्या है कारण समाधन, निःशक्त अधिकार अधिनियम 2016 क्या है इन बच्चों को कैसे समान अधिकार प्रदान कर शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल कराया जाना है। 21 प्रकार की दिव्यांगता के बारे में विस्तृत रूप से प्रशिक्षित किया गया। दिव्यांगता बच्चो के सहायता एवं सहयोग हेतु समग्र शिक्षा, समाज कल्याण विभाग, जिला चिकित्सालय, जिला पुर्नवास केन्द्र की बहुत बडी भूमिका होती है जो एैसे बच्चों को शैक्षणिक, सामाजिक, सर्जरी, उपकरण एवं आर्थिक सहयोग प्रदान करती है। जिन विद्यालयो में एैसे श्रवण बाधित एवं दृष्टिहीन बच्चे अध्ययनरत उन्हे कैसे सांकेतिक भाषा व ब्रेललिप में शिक्षण करना है इसका विस्तृत रूप से शिक्षको का अभ्यास किया गया। सांकेतिक भाषा में अंग्रेजी एल्फाबेट, देैनिक क्रियाकलाप, घर की उपयोगी वस्तुए, फल, सब्जी, यातायात के साधन, विद्यालय से संबंधित, पाठयपुस्तक विषय आधारित, छ.ग. की संस्कृति, और बहुत सारे विषयानुसार कठिन शब्दो को सांकेतिक भाषा में पढाया गया। दृष्टिहीन बच्चों हेतु ब्रेललिप को कैसे लिखना है वर्णमाला का उपयोग, गणित में कैसे गिनती लिखते है उनके शैक्षणिक स्तर में कैसे सुधार करना और वाइस रिकार्डर और आडियो सिस्टम का उपयोग के बारे में बताया गया। ऐसे बच्चों हेतु कैसे बाधारहित वातावरण तैयार कर कक्षा प्रबंधन करना है खेलकूद का आयोजन सामान्य बच्चों हेतु किया जा रहा है उसमें दिव्यांग बच्चों को कैसे समावेशित करना है ताकि वे भी खेलकूद में भाग ले सके और उनका शारीरिक व मानसिक विकास हो सके।

वातावरण निर्माण कार्यक्रम प्रशिक्षण अवसर पर  वी.पी.सिह जिला मिशन समन्वयक समग्र शिक्षा द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण में उपस्थित होकर शिक्षको एवं व्याख्याओं से चर्चा किया गया कि इनकी शेैक्षणिक गतिविधियों पर हमे विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। 21 प्रकार की दिव्यांगता पर चर्चा किया। डाईस डाटा पर जोर देते हुए कहा गया कि लगातार हमारा डाटा कम हो रहा है जबकि राष्ट्रीय स्तर का जो दिव्यांगता का मानक है जो 3 से 5 प्रतिशत निर्धारित है शाला में कुल दर्ज बच्चों का 3 से 5 प्रतिशत होना चाहिए। संस्था प्रमुख के द्वारा दिये गये चिन्हांकन चित्र के माध्यम से उनकी दिव्यांगता आंकलन करे उसे ही डाईस डाटा में दर्ज करें। मास्टर ट्रेनर संजीव सक्सेना बी.आर.पी(आईड), चंद्रशेखर उपाध्याय,शा.पू.मा.शाला.नेवासपुर एवं श्री सुरेश कश्यप शा.पू.मा.शाला फरहदा के द्वारा 10 दिवस तक निर्धारित प्रशिक्षण माॅडयूल के द्वारा शिक्षको व व्याख्याताओं को प्रशिक्षित किया गया ऐसे बच्चों को हर सम्भव सहायता पहुंचाने कहा गया। प्रशिक्षण में सभी प्रतिभागियों को दोनो समय चाय ,नाश्ता एवं भोजन उपलब्ध कराया गया। प्रशिक्षण मे सभी शिक्षको को नोटबुक,पेन,फोल्डर आदि उपलब्ध कराया गया। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर  डी.सी.डाहिरे जी विकासखण्ड स्रोत समन्वयक के द्वारा सभी शिक्षको एवं मास्टर ट्रेनर का आभार व्यक्त किया गया।

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