हर राज्य की अपनी एक विशिष्ट पहचान है – महामहिम राज्यपाल डेका

(राजभवन में मनाया गया विभिन्न राज्यों का स्थापना दिवस)

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर (गंगा प्रकाश)।  राजभवन में आज कर्नाटक , तमिलनाडु , दिल्ली , झारखंड , उत्तराखंड , जम्मू व कश्मीर और लद्दाख राज्यों का स्थापना दिवस हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। महामहिम  राज्यपाल रमेन डेका ने इस अवसर पर कहा कि भारत विभिन्न रंगों के अनेक पुष्पों की एक माला है , हर राज्य की अपनी एक अलग पहचान है। इन राज्यों के लोग अपनी विशिष्ट पहचान के साथ छत्तीसगढ़ में निवास करते हुये व्यवसाय या नौकरी कर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू की गई केन्द्र सरकार के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत”  कार्यक्रम के तहत विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिये सभी राज्य एक-दूसरे राज्यों का स्थापना दिवस मना रहे हैं। इसी कड़ी में राजभवन में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले कर्नाटक , तमिलनाडु , दिल्ली , झारखंड , उत्तराखंड , जम्मू व कश्मीर और लद्दाख राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया। इस दौरान राज्यपाल ने स्थापना दिवस के अवसर पर सभी को बधाई दी। कार्यक्रम में महामहिम  राज्यपाल रमेन डेका ने कहा कि इस कार्यक्रम के पीछे का विचार , विभिन्न राज्यों की भाषा , संस्कृति , परंपराओं और प्रथाओं के ज्ञान का आदान-प्रदान करना है जो आपसी समझ और सद्भाव को बढ़ावा देगा , जिससे भारत की एकता और अखंडता मजबूत होगी। इस परिप्रेक्ष्य में आज का कार्यक्रम एक गौरवपूर्ण क्षण है। राज्यपाल ने कहा कि हर राज्य का स्थापना दिवस, उस राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन होता है। राज्य की समृद्धि और विकास का गवाह यह दिन हमें अपने राज्य की स्थापना के मूल उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का रास्ता दिखाता है। उन्होंने कहा कि इन राज्यों का स्थापना दिवस , केवल उनके विकास की यात्रा का उत्सव नहीं है बल्कि भारत की विविधता और एकता का प्रतीक है। राज्यपाल ने विभिन्न राज्यों की विशेषताओं को रेखांकित किया। माटी का स्वर्ग , कर्नाटक अपने अद्वितीय प्राकृतिक साैंदर्य और संस्कृति के साथ-साथ भाषा और साहित्य में समृद्ध है। यह राज्य कन्नड़ साहित्यकारों और कवियों का घर है , जिन्होंने भारतीय साहित्य को अद्वितीय ऊंचाईयां प्रदान की है। तमिलनाडु राज्य के संबंध में कहा कि यह भारत की द्रविड़ सभ्यता का केंद्र है जो अपनी कला , संस्कृति , भाषा , साहित्य , आध्यात्मिक धरोहर के लिये विख्यात है। इस राज्य ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दिल्ली के संबंध में कहा कि यह हमारी राजधानी ही नहीं बल्कि देश का दिल भी है। यह वह भूमि है जहां इतिहास ने करवट ली है। यह राज्य सामाजिक समरसता का उत्कृष्ट उदाहरण है। झारखंड के बारे में कहा कि खनिज संपदा से भरपूर झारखंड अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता के लिये प्रसिद्ध है। यहां के आदिवासियों की अपनी अनूठी परंपरायें , रीति-रिवाज , लोकगीत , संगीत , नृत्य की कलायें हैं। राज्यपाल ने देवभूमि उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के बीच समानताओं का उल्लेख किया। दोनों राज्यों का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है और कृषि उनकी आजीविका का प्रमुख साधन है। सतत् विकास और पारिस्थितिक संतुलन के लिये दोनों राज्यों में समान चुनौतियां है। जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख राज्यों की प्राकृतिक सुंदरता एवं सांस्कृतिक विविधताओं के साथ अन्य विशेषताओं का जिक्र करते हुये कहा कि हम सब को  राष्ट्र की अखंडता , समृद्धि के लिये एकजुट होकर काम करना है। कार्यक्रम में उपस्थित इन राज्यों के बच्चों एवं युवाओं ने अपने राज्य की संस्कृति एवं लोक परंपरा आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। भरत नाट्यम , सरहुल एवं अन्य लोक नृत्यों ने दर्शकों का मन मोह लिया। दिल्ली राज्य के प्रतिनिधि नवनीत अग्रवाल , उत्तराखंड के प्रतिनिधि ओमप्रकाश , झारखंड के प्रतिनिधि डॉ. चिरंजीवी जैन , कर्नाटक की प्रतिनिधि डॉ. शीला श्रीधर , तमिलनाडु के प्रतिनिधि एस.स्वामीनाथन ने राज्यपाल को अपने राज्य की ओर से सम्मानित किया। राज्यपाल द्वारा भी इनको राजकीय गमछा पहनाकर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। इस कार्यक्रम में पद्मश्री श्रीमती उषा बारले , राज्यपाल के सचिव यशवंत कुमार , संयुक्त सचिव श्रीमती हिना अनिमेष नेताम , इन सभी राज्यों के छत्तीसगढ़ में निवासरत बच्चे – युवा – महिलायें एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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