150 Years Of Vande Mataram : नई दिल्ली। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने के मौके पर संसद में शुक्रवार को खास चर्चा आयोजित की गई। लोकसभा में इसकी शुरुआत हुई, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन देते हुए ‘वंदे मातरम’ के ऐतिहासिक महत्व और देश को एकजुट करने में इसकी भूमिका का जिक्र किया। इस विषय पर 9 दिसंबर को राज्यसभा में भी चर्चा होगी, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई वरिष्ठ मंत्री हिस्सा लेंगे।
150 Years Of Vande Mataram : संसद में गर्मायी बहस, पीएम मोदी से लेकर प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी का बीजेपी पर वार—“बहस चुनावी वजहों से”
लोकसभा में बहस के दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि वंदे मातरम पर बहस इसलिए हो रही है क्योंकि बंगाल में चुनाव होने वाले हैं। उन्होंने कहा—“वंदे मातरम को लेकर हो रही बहस की क्रोनोलॉजी को समझना जरूरी है।”
प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से इस्तेमाल कर रहा है, जबकि वंदे मातरम भारत की असली भावना और स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है।
“वंदे मातरम निभाने के लिए हो, सिर्फ गाने के लिए नहीं”—अखिलेश यादव
वंदे मातरम पर चर्चा में समाजवादी पार्टी सांसद अखिलेश यादव ने भी अपना पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि—
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“वंदे मातरम ने देश को एकजुट किया और आजादी की लड़ाई में नई ऊर्जा भरी।”
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“अंग्रेजों ने इसे बैन किया था, लेकिन हमारे क्रांतिकारी पीछे नहीं हटे।”
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“हमारे स्वदेशी आंदोलन की ताकत भी यही गीत रहा है।”
अखिलेश यादव ने कहा कि— “वंदे मातरम केवल गाने के लिए नहीं बल्कि निभाने के लिए होना चाहिए।” उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि सत्ता पक्ष हर चीज को अपना बताने की कोशिश करता है, जबकि वंदे मातरम पूरे देश का है।
पीएम मोदी ने रखे ऐतिहासिक तथ्य
संसद में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने वंदे मातरम के महत्व को याद करते हुए कहा कि यह गीत सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का स्रोत रहा है।
उन्होंने इसे स्वतंत्रता संग्राम की रीढ़ बताते हुए सभी दलों से इसे लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।
राज्यसभा में भी जारी रहेगी बहस
लोकसभा में हुई बहस के बाद अब 9 दिसंबर को राज्यसभा में भी इस विषय पर विस्तृत चर्चा होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई अन्य वरिष्ठ नेता इसमें हिस्सा लेंगे। यह उम्मीद की जा रही है कि सदन में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर किसी प्रस्ताव को भी पारित किया जा सकता है।
