कांकेर। रायपुर सेंट्रल जेल में बंद सर्व आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत ने कांकेर और आसपास के इलाकों में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। लगातार बढ़ते विरोध और गंभीर आरोपों के चलते प्रशासन ने कांकेर जिला जेल की जेलर को तुरंत प्रभाव से हटा दिया है, लेकिन आदिवासी समाज और परिजन अभी भी कार्रवाई से असंतुष्ट हैं।
आदिवासी समाज का उबाल: शव लेने से इनकार, कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन
जीवन ठाकुर की मौत की खबर मिलते ही आदिवासी समाज के लोग और उनके परिजन कलेक्ट्रेट पहुंचकर जोरदार विरोध प्रदर्शन करने लगे।
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उन्होंने शव लेने से साफ इनकार कर दिया।
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मांग की कि जब तक दोषियों पर कड़ी और ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच हो और मौत की वास्तविक वजह सामने लाई जाए।
परिजनों का आरोप: बिना जानकारी के शिफ्टिंग, नहीं दी गई तबीयत की जानकारी
परिवार ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि—
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जीवन ठाकुर को 12 अक्टूबर 2025 को जमीन विवाद के मामले में गिरफ्तार कर कांकेर जिला जेल में रखा गया था।
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2 दिसंबर को उन्हें अचानक रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया।
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परिजनों को न तो इस ट्रांसफर की जानकारी दी गई,
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न ही यह बताया गया कि उनकी तबीयत बिगड़ी है या उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
परिजनों का कहना है कि पूरा घटनाक्रम संदिग्ध है और कई सवाल अनुत्तरित हैं।
जेल प्रशासन पर सवाल, सरकार रडार पर
घटना के बाद आदिवासी समाज ने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन और पुलिस ने—
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जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई,
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और परिवार को अंधेरे में रखा।
इसी दबाव के चलते जिला प्रशासन ने कांकेर जेलर को हटा दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी अब जेलकर्मियों और अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
माहौल तनावपूर्ण, प्रदर्शन जारी
कांकेर में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। आदिवासी समाज के लोग साफ कह रहे हैं कि—
“पहले न्याय, फिर अंतिम संस्कार।”
प्रशासन स्थिति संभालने की कोशिश में है, जबकि मृतक जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत को लेकर जांच की मांग जोर पकड़ चुकी है।



