गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। मजरकट्टा की उस सुबह में कुछ खास था… चेहरों पर उत्सुकता, आंखों में इंतज़ार और दिलों में फैसले का भार। मौका था कोसरिया मरार पटेल समाज जिला गरियाबंद के बहुप्रतीक्षित जिला स्तरीय चुनाव का। 7 दिसंबर को आयोजित यह चुनाव सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि समाज की एकजुटता, लोकतांत्रिक चेतना और अनुशासन की मिसाल बन गया।
पीठासीन अधिकारी फिरंगी पटेल के निर्देशन में जब मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई, तब समाज के तीनों राज—राजिम राज, भाठीगढ़ राज और कांदाडोगर राज—के अध्यक्ष और वरिष्ठ पदाधिकारी गवाह बने एक ऐतिहासिक निर्णय के। पूरा मतदान स्थल शांत, सुव्यवस्थित और अनुशासित माहौल से भरा रहा। कहीं कोई शोर नहीं, कोई तनाव नहीं—सिर्फ जिम्मेदारी और विश्वास की भावना।
कुल 18 मतदाताओं में से 15 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। शुरुआत में अध्यक्ष पद के लिए तीन नाम मैदान में थे, लेकिन जैसे-जैसे प्रक्रिया आगे बढ़ी, एक प्रत्याशी ने नाम वापस ले लिया और मुकाबला सीधा हो गया—विष्णु पटेल बनाम बसंत पटेल।
फैसले की घड़ी तब आई, जब मतगणना शुरू हुई। हर पर्ची के साथ धड़कनें तेज होती गईं। पलटते नतीजों ने माहौल को और भी रोमांचक बना दिया। अंततः परिणाम सामने आया— बसंत पटेल को 7 मत,विष्णु पटेल को 8 मत सिर्फ एक वोट… लेकिन उसी एक वोट ने नेतृत्व की तस्वीर बदल दी।
नतीजे की घोषणा होते ही माहौल तालियों, बधाईयों और उत्साह से भर गया। विष्णु पटेल को समाज का नया जिला अध्यक्ष घोषित किया गया। समर्थकों ने उन्हें फूल-मालाओं से लाद दिया। चेहरे पर मुस्कान और आंखों में जिम्मेदारी का भाव साफ झलक रहा था।
नवनिर्वाचित अध्यक्ष विष्णु पटेल ने कहा— यह जीत मेरी नहीं, पूरे समाज की जीत है। मैं सबको साथ लेकर समाज को संगठित, मजबूत और प्रगतिशील दिशा में ले जाने का प्रयास करूंगा।
समाज के वरिष्ठजनों ने इस चुनाव को “लोकतांत्रिक परंपराओं की जीत” बताया और कहा कि विष्णु पटेल के नेतृत्व में संगठन को नई गति मिलेगी।
दिन के अंत में मजरकट्टा सिर्फ एक मतदान स्थल नहीं रहा, वह एक संदेश बन गया— कि गरियाबंद का मरार पटेल समाज आज भी लोकतंत्र को सिर्फ मानता नहीं, जीता है।



