दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (दपूमरे) के रायपुर मंडल ने निपनिया–भाटापारा ट्रिपल लाइन सेक्शन पर 15 किमी नई ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम को सफलतापूर्वक कमीशन कर दिया है।
इस सिस्टम से ट्रेनों की स्पीड, सुरक्षा और लाइन कैपेसिटी बढ़ेगी इसके साथ ही मालगाड़ियों का मूवमेंट तेज होग
ऑटोमैटिक सिग्नलिंग लागू होने से इस ट्रिपल लाइन सेक्शन पर ट्रेनें कम अंतराल पर चल सकेंगी। इससे हेडवे घटेगा और कुल थ्रूपुट यानी सेक्शन की क्षमता में बढ़ोतरी होगी।
काम को तीनों लाइनों में से एक-एक लाइन का डिसकनेक्शन ब्लॉक लेकर किया गया, जिससे यात्री सेवाओं पर असर बेहद कम पड़ा।
क्या-क्या बदला:
1. सिग्नलिंग अपग्रेड
- 15 किमी में 28 ऑटोमैटिक सिग्नल
- 12 सेमी-ऑटोमैटिक सिग्नल इंस्टॉल
2. एडवांस्ड डिटेक्शन सिस्टम
- पूरे सेक्शन में 146 DP (Detection Points)
- ‘सीजी ट्रॉनिक्स’ के MSDAC (मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर) लगाए गए
- सिस्टम को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए ड्यूल डिटेक्शन और मीडिया डाइवर्सिटी का उपयोग
- प्रतिकूल परिस्थितियों में भी लोकेशन ट्रैकिंग और सुरक्षा सुनिश्चित
3. लेवल क्रॉसिंग सुरक्षा
- LC-379 और LC-380 को सिग्नलिंग सिस्टम से पूरा इंटरलॉक किया गया
- 3 नए ऑटो हट्स (Auto Huts) बनाए गए
4. रियल-टाइम फॉल्ट मॉनिटरिंग
- सभी नए प्रतिष्ठानों में स्टेटकॉन की IPS (इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई)
- एफट्रॉनिक्स के डेटा लॉगर्स इंस्टॉल
- रियल-टाइम त्रुटि पहचान और निर्बाध संचालन
5. मिड-लाइन के लिए विशेष व्यवस्था
- एक डेडिकेटेड डायरेक्शन सेटिंग पेनल लगाया गया
- ट्रैफिक की जरूरत के अनुसार दोनों दिशाओं में ट्रेन संचालन संभव
ड्यूल डिटेक्शन के बारे में जानिए
ड्यूल डिटेक्शन से किसी भी गड़बड़ी, फेल्योर या गलत रीडिंग की स्थिति में भी ट्रेन की स्थिति पता चलती है। पहला डिटेक्शन चैनल ट्रेन के एक्सल को काउंट करता है। दूसरा उसे वेरीफाई करता है। इससे 1% भी गलती की गुंजाइश नहीं होती।
क्या बदलेगा यात्रियों और मालढुलाई के लिए?
- ट्रेनें ज्यादा सुगमता से चलेंगी
- देरी कम होगी
- सिग्नलिंग विफलताओं की संभावना बेहद कम
- मालगाड़ियों की मूवमेंट अधिक तेज और सुरक्षित
सिग्नलिंग सिस्टम लगाने का काम पूरा
निपनिया यार्ड की सफल कमीशनिंग के साथ इस प्रोजेक्ट 6 और 7 दिसंबर 2025 के बीच पूरा हुआ। इस अपग्रेड से सेक्शन में ट्रेनों की गति, सुरक्षा और परिचालन क्षमता में बड़ा सुधार होगा। यह दपूमरे रायपुर मंडल की रेलवे ढांचे के आधुनिकीकरण की निरंतर प्रक्रिया का हिस्सा



