रायपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में कथित रिश्वतखोरी, फर्जी एडमिशन और प्रवेश प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर की जा रही अनियमितताओं के खिलाफ देशव्यापी बड़ी कार्रवाई शुरू की है। बुधवार सुबह छत्तीसगढ़ सहित 10 राज्यों में एक साथ छापेमारी की गई, जिससे मेडिकल शिक्षा क्षेत्र में हड़कंप मच गया है।
सूत्रों के अनुसार, दिल्ली मुख्यालय से विशेष रूप से भेजी गई ED की टीमें ऑपरेशन का नेतृत्व कर रही हैं। सर्च ऑपरेशन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में चलाया गया।
15 से अधिक ठिकानों पर ED की रेड, कई दस्तावेज और डिवाइस जब्त
जांच एजेंसी ने 15 से ज्यादा ठिकानों पर सर्च किया है, जिनमें प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, संदिग्ध शैक्षणिक संस्थान, कॉलेज प्रबंधन से जुड़े आवास और कुछ कथित बिचौलियों के ठिकाने शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी को छापेमारी के दौरान
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संदिग्ध बैंक ट्रांजेक्शन,
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डिजिटल पेमेंट रिकॉर्ड,
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व्हाट्सऐप चैट,
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ई-मेल,
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और एडमिशन से जुड़े फर्जी दस्तावेज
मिले हैं। अधिकारियों का अनुमान है कि यह नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ एक बड़ा अवैध रैकेट हो सकता है, जो पिछले कई वर्षों से सक्रिय था।
मामला: मेडिकल कॉलेज में सीट दिलाने के नाम पर करोड़ों की उगाही
आरोप है कि कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालक और बिचौलिए सरकारी अधिकारियों की मदद से छात्रों से मोटी रकम लेकर सीटों की खरीद-फरोख्त कर रहे थे।
इसमें
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फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल,
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कागजों में हेरफेर,
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और एडमिशन की प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर रिश्वत शामिल होने की बात सामने आई है।
इस मामले में CBI पहले ही देशभर में छापेमारी कर चुकी है। अब ED मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है।
छत्तीसगढ़ में भी कई ठिकानों पर दबिश, आधिकारिक बयान की प्रतीक्षा
छत्तीसगढ़ के रायपुर समेत अन्य जिलों में भी ED ने सुबह से ही संभावित ठिकानों पर दस्तक दी।
हालांकि अभी आधिकारिक रूप से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किन-किन स्थानों पर छापेमारी की गई।
सूत्र बताते हैं कि मेडिकल एडमिशन से जुड़े कुछ बड़े नाम काफी समय से ईडी की रडार पर थे।
जांच जारी, बड़े खुलासों की संभावना
ED की प्रारंभिक जांच में मिले दस्तावेजों से संकेत है कि यह कई सौ करोड़ रुपये का अवैध नेटवर्क हो सकता है।
आने वाले दिनों में
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संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ,
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इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की फोरेंसिक जांच,
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और मनी ट्रेल का पता लगाने
की प्रक्रिया शुरू होगी।
केंद्रीय एजेंसियों की इस संयुक्त कार्रवाई के बाद, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर निगरानी और अधिक सख्त होने की संभावना बढ़ गई है।
