गरियाबंद–छुरा–कोमाखान सड़क उन्नयन को हरी झंडी

सांसद रूपकुमारी चौधरी की पहल पर गडकरी ने अधिकारियों को दिए तत्काल निर्देश, आदिवासी अंचलों में विकास की रफ्तार तेज होने की उम्मीद

छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। लंबे इंतजार और बार-बार की गई गुहार के बाद आखिरकार वह घड़ी आ ही गई, जिसका सपना गरियाबंद, छुरा और कोमाखान के लोग सालों से देख रहे थे। लोकसभा में महासमुंद का प्रतिनिधित्व कर रहीं नवनिर्वाचित सांसद रूपकुमारी चौधरी ने संसद भवन में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर इस महत्वाकांक्षी परियोजना की स्वीकृति के लिए जोरदार पैरवी की। परिणामस्वरूप, गडकरी ने तुरंत संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए।

वर्षों से अटकी मांग

राजिम और बिन्द्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के लोगों की यह पुरानी मांग रही है कि कोमाखान से छुरा होते हुए गरियाबंद तक की सड़क को चौड़ा और बेहतर बनाया जाए। पिछले दौर में क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले शुक्ल बंधु केंद्र और राज्य की सत्ता में मजबूत स्थिति रखते थे। उनके सामने आम लोग folded hands लेकर इस सड़क के निर्माण की गुहार लगाते रहे, लेकिन नतीजा सिर्फ कागजी वादों और आश्वासनों के रूप में निकला। बावजूद इसके, जनता ने राजनीतिक स्नेह और समर्थन में कोई कमी नहीं छोड़ी।

अब हालात बदल चुके हैं। भाजपा ने महासमुंद में पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा और रूपकुमारी चौधरी ने जीत हासिल की। चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष ने तंज कसा था — “महिला सांसद विकास कैसे करेंगी?” आज उनके काम ने जवाब दे दिया कि इच्छाशक्ति और सक्रियता हो तो किसी भी स्तर पर बदलाव संभव है।

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दो अहम परियोजनाओं पर चर्चा

बैठक में धमतरी और गरियाबंद जिलों की दो महत्वपूर्ण सड़क परियोजनाओं पर विस्तार से बात हुई—

1. कुरूद बायपास (6 किलोमीटर, लागत ₹104.35 करोड़) 

  • राष्ट्रीय राजमार्ग 30 को रायपुर–विशाखापट्टनम एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा।
  • यातायात जाम की समस्या खत्म होगी, सफर तेज और सुरक्षित बनेगा।

2. कोमाखान–गरियाबंद सड़क उन्नयन (74 किलोमीटर)

  • आदिवासी बहुल क्षेत्रों के स्कूल, अस्पताल और बाजार तक आवागमन आसान।
  • कृषि और वनोपज विपणन को नया प्रोत्साहन मिलेगा।स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा, युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर।

सिर्फ सड़क नहीं, विकास का रास्ता

सांसद चौधरी ने गडकरी से कहा कि यह परियोजना केवल सड़क निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और पर्यटन को भी सीधा लाभ देगी। आदिवासी अंचल के लोग लंबे समय से खराब सड़क व्यवस्था के कारण मुख्यधारा से कटे हुए महसूस करते हैं। नए उन्नयन से यह दूरी कम होगी और जीवनस्तर में ठोस सुधार आएगा।

राजनीतिक संदेश भी साफ

इस बैठक और मंजूरी ने एक राजनीतिक संकेत भी दिया है — वर्तमान नेतृत्व वादों को अमल में बदलने की क्षमता रखता है। चौधरी ने मुलाकात के बाद कहा, “भारतीय जनता पार्टी जो कहती है, उसे पूरा करती है। यह सिर्फ शुरुआत है, अभी कई काम बाकी हैं।”

 सड़क परिवहन के व्यापक फायदे

परिवहन विशेषज्ञ बताते हैं कि सड़क नेटवर्क में सुधार छोटे और मध्यम दूरी के सफर के लिए सबसे प्रभावी है। इसकी लचीलापन और घर-घर सेवा देने की क्षमता इसे अन्य साधनों से अलग बनाती है। बेहतर सड़कों के कारण—

  • किसानों की उपज और वन उत्पाद तेजी से मंडियों तक पहुंचेंगे।
  • ग्रामीणों की जिला मुख्यालय, अस्पताल और कॉलेज तक पहुंच में समय बचेगा।
  • पर्यटन स्थलों तक यात्रियों की आमद बढ़ेगी, जिससे होटल, ढाबा और परिवहन कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
  • परिवहन लागत घटने से व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में मजबूती आएगी।

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स्थानीय उत्साह और उम्मीदें

घोषणा के बाद इलाके में खुशी की लहर है। व्यापारियों से लेकर स्कूली बच्चों के अभिभावकों तक, हर कोई इसे क्षेत्र की किस्मत बदलने वाला कदम मान रहा है। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के मौसम में सड़क की हालत इतनी खराब हो जाती थी कि एंबुलेंस तक गांवों में नहीं पहुंच पाती थी। अब उम्मीद है कि यह समस्या स्थायी रूप से खत्म होगी।

निगाहें अब शिलान्यास पर

हालांकि स्वीकृति के साथ ही आधी जीत मिल चुकी है, लेकिन लोग अब निर्माण की वास्तविक शुरुआत का इंतजार कर रहे हैं। उनका मानना है कि जैसे ही कार्य प्रारंभ होगा, गरियाबंद–छुरा–कोमाखान मार्ग पर दौड़ती गाड़ियां इस इलाके की नई कहानी लिखेंगी।

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