Chhattisgarh Guideline Rates रायपुर, 08 दिसंबर 2025। छत्तीसगढ़ में जमीन की गाइडलाइन दरों को लेकर चल रहे विवादों के बीच राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। कार्यालय महानिरीक्षक पंजीयन ने गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण को लेकर नए आदेश जारी किए हैं। प्रदेश में प्राप्त सुझावों, ज्ञापनों और प्रस्तावों पर विस्तृत परीक्षण के बाद केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें रियल एस्टेट सेक्टर, नगरीय विकास और आम नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। ये सभी प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए हैं।

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1400 वर्ग मीटर तक भूखंड मूल्यांकन की ‘इंक्रीमेंटल प्रणाली’ समाप्त
बैठक में सबसे बड़ा निर्णय यह लिया गया कि नगरीय क्षेत्रों में 1400 वर्ग मीटर तक के भूखंडों की इंक्रीमेंटल आधार पर गणना की वर्तमान प्रणाली को समाप्त कर दिया जाए।
अब फिर से पुराने प्रावधान लागू होंगे:
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नगर निगम क्षेत्र – 50 डेसिमल तक मूल्यांकन स्लैब
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नगर पालिका – 37.5 डेसिमल
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नगर पंचायत – 25 डेसिमल
इस बदलाव से मूल्यांकन प्रक्रिया सरल, पारदर्शी और जनसुलभ हो जाएगी।
बहुमंजिला फ्लैट–दुकानों के लिए बड़ी राहत: सुपर बिल्ट-अप पर रोक
काफी समय से लंबित मांग को पूरा करते हुए बोर्ड ने यह बड़ा निर्णय लिया कि फ्लैट, दुकान और कार्यालय के हस्तांतरण पर अब सुपर बिल्ट-अप एरिया के आधार पर मूल्यांकन नहीं होगा। अब से मूल्यांकन केवल बिल्ट-अप एरिया पर किया जाएगा। यह प्रावधान मध्यप्रदेश शासन के समय से लागू था, जिसे हटाने की मांग लगातार हो रही थी। यह फैसला वर्टिकल डेवलपमेंट को बढ़ावा देगा और शहरी भूमि का उपयोग अधिक प्रभावी रूप से हो सकेगा।
बहुमंजिला इमारतों लिए नया मूल्यांकन छूट प्रावधान
केंद्रीय बोर्ड ने नई छूट व्यवस्था भी लागू की है—
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बेसमेंट व प्रथम तल – 10% की कमी के साथ मूल्यांकन
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द्वितीय तल एवं उससे ऊपर के तल – 20% की कमी के साथ मूल्यांकन
इससे मध्यम वर्ग को सस्ते फ्लैट और व्यावसायिक स्थान उपलब्ध होने की उम्मीद बढ़ गई है।
कमर्शियल संपत्तियों के लिए भी राहत
20 मीटर से अधिक दूरी पर स्थित संपत्तियों के लिए भूखंड मूल्यांकन में 25% की कमी की जाएगी। दूरी का आकलन मुख्य मार्ग की ओर से निर्मित हिस्से से किया जाएगा, जिससे मूल्यांकन अधिक न्यायसंगत होगा।
जिला मूल्यांकन समितियों को 31 दिसंबर तक प्रस्ताव भेजने का निर्देश
केंद्रीय बोर्ड ने जिला समितियों से कहा है कि हाल ही में दरों में हुई बढ़ोतरी पर प्राप्त आपत्तियों और सुझावों का परीक्षण कर 31 दिसंबर तक पुनरीक्षित प्रस्ताव भेजें। इन प्रस्तावों के आधार पर आगामी गाइडलाइन दरों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।



