Chhattisgarh High Court divorce case बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वैवाहिक विवाद से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में बड़ा निर्णय सुनाते हुए कहा है कि वैवाहिक जीवन में बार-बार आत्महaत्या की धमकी देना मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) की श्रेणी में आता है। अदालत ने माना कि ऐसे व्यवहार से जीवनसाथी पर असहनीय मानसिक दबाव बनता है, जिसके साथ दांपत्य जीवन निभाना संभव नहीं रह जाता। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के आदेश को सही ठहराते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।
पृष्ठभूमि: विवाह, दुर्घटना और भूत-प्रेत का ‘इलाज’
मामला बालोद जिले का है, जहाँ पति-पत्नी का विवाह वर्ष 2018 में हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था।
कुछ समय बाद दोनों डोंगरगढ़ में माँ बमलेश्वरी देवी के दरबार जा रहे थे। रास्ते में भैंस आने से वाहन का एक्सीडेंट हो गया। पत्नी ने फोन पर इसकी सूचना अपने पिता को दी, जिसके बाद दोनों को मायके बुलाया गया।
पत्नी के पिता ने दावा किया कि दंपती पर भूत-प्रेत का साया है और लगभग 6–7 महीने तक उन्हें दरगाह ले जाया गया। इस दौरान पति को बिज़नेस में लगातार नुकसान होने लगा, जिसके चलते उसने दरगाह जाना बंद कर दिया। इसी बात को लेकर पत्नी और पति के बीच झगड़े बढ़ने लगे।
पत्नी का धर्म परिवर्तन का दबाव और आत्महत्या की धमकियाँ
पति ने अदालत में बताया कि दरगाह जाना बंद करने के बाद पत्नी ने उस पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डालना शुरू कर दिया। इंकार करने पर पत्नी मायके चली गई और पति को लगातार आत्महत्या की धमकियाँ देने लगी।
पति ने कहा कि पत्नी की हरकतों से वह मानसिक रूप से बेहद परेशान हो गया था और उसके लिए वैवाहिक जीवन जारी रखना असंभव हो गया था।
फैमिली कोर्ट ने दिया तलाक, पत्नी ने हाईकोर्ट में लगाई थी चुनौती
पति की याचिका पर फैमिली कोर्ट ने मानसिक प्रताड़ना और असहनीय परिस्थितियों के आधार पर पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाया।
पत्नी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची, जहाँ उसने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी।



