Devuthani Ekadashi , नई दिल्ली। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु के चार महीने के शयन काल के बाद जागने का प्रतीक है। देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2025) को तुलसी विवाह, शुभ कार्यों की शुरुआत और व्रत-उपवास के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं।
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देवउठनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
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तिथि: 4 नवंबर 2025 (मंगलवार)
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एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 नवंबर, शाम 06:50 बजे से
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तिथि समाप्त: 4 नवंबर, शाम 05:35 बजे तक
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पारण का समय: 5 नवंबर की सुबह
इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और इसके साथ ही चातुर्मास का समापन होता है। इसी दिन से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
देवउठनी एकादशी पर क्या खाएं?
व्रत रखने वाले भक्तों को सात्त्विक भोजन का पालन करना चाहिए।
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फलाहार: केला, नारियल पानी, सेव, पपीता आदि फल।
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पेय पदार्थ: दूध, छाछ, नींबू पानी।
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व्रत में सेवन योग्य चीजें: साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, राजगिरा, आलू, सेंधा नमक।
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ताजे और बिना प्याज-लहसुन वाले भोजन का ही सेवन करें।
देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं खाएं?
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अनाज और दालों का सेवन वर्जित है।
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प्याज, लहसुन, मांस, शराब आदि चीजों से दूर रहें।
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इस दिन क्रोध, चुगली, झूठ और अपशब्दों से भी बचना चाहिए।
🙏 व्रत विधि और पूजा नियम
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प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
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तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की शालिग्राम रूप में पूजा करें।
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दीप जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
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रात में जागरण कर भजन-कीर्तन करें।
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अगले दिन पारण के समय फल और जल से व्रत खोलें।
🌿 देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागकर सृष्टि संचालन का कार्य पुनः आरंभ करते हैं। इसी कारण इस दिन तुलसी विवाह और अन्य शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत की जाती है।



