— फर्जी इलाज के नाम पर मौत का सौदागर बना था बबलू ताण्डी, बिना लाइसेंस के करता था ऑपरेशन

 

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। जिले में एक बार फिर झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही ने एक निर्दोष की जान ले ली। गरियाबंद पुलिस ने एक ऐसे फर्जी डॉक्टर को गिरफ्तार किया है जिसने न केवल बिना मेडिकल लाइसेंस के इलाज किया बल्कि गलत सर्जरी कर एक व्यक्ति की जान भी ले ली। पुलिस की इस कार्रवाई ने जिले में सक्रिय फर्जी चिकित्सकों के खिलाफ बड़ा संदेश दिया है।

जानकारी के अनुसार मामला थाना सिटी कोतवाली गरियाबंद क्षेत्र का है। दिनांक 23 अगस्त 2025 को थाना गरियाबंद में सूचक जागेश्वर देवदास द्वारा एक व्यक्ति की संदिग्ध मृत्यु की सूचना दी गई थी। मृतक का नाम पुरुषोत्तम ध्रुव पिता दुलखू राम ध्रुव (उम्र 45 वर्ष), निवासी ग्राम पेण्ड्रा, थाना व जिला गरियाबंद बताया गया। मृतक को कुछ दिनों से भगन्दर (फिस्टुला) की बीमारी थी और वह इलाज के लिए स्थानीय तथाकथित डॉक्टरों के संपर्क में आया था।

इलाज के बहाने मौत की सर्जरी

मृतक के परिजनों ने बताया कि गांव में रहने वाले दो व्यक्तियों — संजू और बबलू नामक व्यक्ति — ने स्वयं को डॉक्टर बताते हुए इलाज का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि वे “छोटी सर्जरी” से भगन्दर को ठीक कर देंगे। परिवार को झांसे में लेकर उन्होंने बिना किसी प्रमाणपत्र, वैध लाइसेंस और बिना चिकित्सीय सुरक्षा उपायों के तथाकथित “सर्जरी” कर डाली।

इस दौरान मरीज की हालत बिगड़ती चली गई और अंततः पुरुषोत्तम ध्रुव की मौके पर ही मौत हो गई।

परिजनों ने पहले इसे सामान्य मृत्यु समझा, लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया कि गलत तरीके से सर्जरी करने से मृत्यु हुई है। इसके बाद पुलिस ने तत्काल मर्ग कायम कर जांच शुरू की।

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मर्ग जांच में उजागर हुई लापरवाही की परतें

थाना प्रभारी की टीम ने मृतक के परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों से विस्तृत पूछताछ की। बयान में यह सामने आया कि आरोपी बबलू ताण्डी और उसका साथी संजू किसी भी प्रकार से अधिकृत चिकित्सक नहीं हैं। इसके बावजूद उन्होंने सर्जरी करने का साहस किया। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी को यह पूर्ण ज्ञान था कि बिना पर्याप्त चिकित्सकीय उपकरणों और स्वच्छता के इस तरह की सर्जरी करने से मरीज की मृत्यु हो सकती है।

इसके बावजूद उसने जानबूझकर यह कार्य किया — जो कानून की नजर में आपराधिक मानव वध (Culpable Homicide not amounting to Murder) की श्रेणी में आता है।

ओडिशा से हुआ आरोपी की गिरफ्तारी

जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की। आरोपी की पहचान बबलू ताण्डी उर्फ थबीर ताण्डी पिता स्व. खेत्र ताण्डी (उम्र 54 वर्ष), निवासी ग्राम कोमना दुरीयापाड़ा, थाना कोमना, जिला नुवापाड़ा (ओडिशा) के रूप में हुई।

कई दिनों की खोजबीन और तकनीकी निगरानी के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने में सफलता पाई।

पुलिस ने बताया कि आरोपी ने पूछताछ के दौरान अपना जुर्म स्वीकार किया है। उसने कबूल किया कि उसने मृतक पुरुषोत्तम ध्रुव का भगन्दर रोग का इलाज अपने साथी संजू के साथ मिलकर किया था, जबकि उसके पास न तो कोई मेडिकल डिग्री थी और न ही सर्जरी करने की अनुमति।

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मोबाइल जब्त, साथी की तलाश जारी

आरोपी ने घटना के बाद परिजनों से लगातार संपर्क बनाए रखा था। पुलिस ने उसके कब्जे से एक Vivo कंपनी का मोबाइल फोन जब्त किया है जिससे कई महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं।

पुलिस अब दूसरे आरोपी संजू की तलाश में जुटी है, जो फरार बताया जा रहा है।

आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज

मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 105, 3(5) भा. न्याय. सं. (आपेक्षित रूप से आपराधिक मानव वध से संबंधित धाराएं) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर 28 अक्टूबर 2025 को आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया।

जिले में सक्रिय फर्जी डॉक्टरों पर भी गिरेगी गाज

गरियाबंद पुलिस अधीक्षक ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए कहा है कि जिले में किसी भी प्रकार के झोलाछाप डॉक्टरों को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे फर्जी चिकित्सक जो बिना अनुमति, बिना लाइसेंस के लोगों का इलाज कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने आम जनता से भी अपील की है कि वे ऐसे किसी व्यक्ति के बहकावे में न आएं जो अपने आप को डॉक्टर बताकर इलाज का दावा करता है। इलाज के लिए केवल मान्यता प्राप्त अस्पताल या पंजीकृत चिकित्सक के पास ही जाएं।

एक सवाल समाज से — कब तक जान से खेलेंगे झोलाछापों के भरोसे?

यह घटना सिर्फ एक पुलिस कार्रवाई नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है। गांव-गांव में “देसी इलाज” के नाम पर चल रहे ऐसे फर्जी डॉक्टर न केवल कानून तोड़ रहे हैं, बल्कि मासूमों की जान भी ले रहे हैं। गरीब और ग्रामीण जनता अक्सर सुविधा और खर्च के डर से इन झोलाछापों के पास पहुंच जाती है, और परिणाम होता है—मौत।

गरियाबंद पुलिस की यह कार्यवाही निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि स्वास्थ्य विभाग भी सक्रिय होकर ऐसे मामलों पर अंकुश लगाए ताकि भविष्य में कोई और पुरुषोत्तम ध्रुव झोलाछापों की लापरवाही का शिकार न बने।

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