Food Safety , नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन दोनों देशों के लिए बेहद खास रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक की, जिसके बाद दोनों दिग्गज नेताओं ने दिल्ली में एक जॉइंट प्रेस स्टेटमेंट दिया। इस शिखर वार्ता में भारत और रूस के बीच सदियों पुराने ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को और मजबूत करने पर सहमति बनी।
दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, शिपिंग, क्रिटिकल मिनरल्स, रक्षा सहयोग और लोगों की आसान आवाजाही सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौतों (Agreements) और समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए।
मुख्य समझौतों की सूची: किन-किन क्षेत्रों में सहयोग पर बनी सहमति?
पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की उपस्थिति में दोनों देशों के बीच निम्नलिखित प्रमुख समझौतों का आदान-प्रदान किया गया:
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स्वास्थ्य और चिकित्सा विज्ञान (Healthcare and Medical Sciences): दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान शामिल है।
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खाद्य सुरक्षा और उपभोक्ता संरक्षण (Food Safety and Consumer Protection): खाद्य सुरक्षा से जुड़े मुद्दों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए भी एक अहम MoU पर मुहर लगी, जिसमें FSSAI और रूस की उपभोक्ता संरक्षण संस्था शामिल है।
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बंदरगाह और पोत परिवहन (Port and Shipping): समुद्री कनेक्टिविटी और शिपबिल्डिंग (जहाज निर्माण) क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। पीएम मोदी ने जहाज निर्माण में गहरे सहयोग को ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाने वाला तत्व बताया।
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प्रवासन और आसान आवाजाही (Migration and Easy Movement): भारत और रूस के नागरिकों के लिए प्रवासन और आसान आवाजाही से जुड़े एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत रूस ने भारतीय नागरिकों के लिए 30 दिनों की वैधता वाला मुफ्त ई-टूरिस्ट वीजा शुरू करने की घोषणा की।
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अस्थायी श्रमिक गतिविधियाँ (Temporary Worker Activities): दोनों देशों के बीच भारतीय कामगारों को रूस में सुरक्षित और बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए लेबर मोबिलिटी एग्रीमेंट के ड्राफ्ट पर भी सहमति बनी है।
आर्थिक और ऊर्जा सहयोग पर फोकस
पीएम मोदी ने अपनी संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऊर्जा सुरक्षा को दोनों देशों के रिश्ते की एक मजबूत नींव बताया।
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आर्थिक सहयोग कार्यक्रम-2030: दोनों नेताओं ने 2030 तक के लिए भारत-रूस आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के लिए एक कार्यक्रम (Program) को अपनाया। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाना है।
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उर्वरक (Urea) उत्पादन में सहयोग: भारतीय फर्मों ने रूस की URALCHEM के साथ रूस में यूरिया प्लांट स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया।
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सिविल न्यूक्लियर ऊर्जा: सिविल न्यूक्लियर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को आगे जारी रखने पर सहमति बनी, जिसमें रूस भारत में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) बनाने में मदद कर सकता है।
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क्रिटिकल मिनरल्स: क्रिटिकल मिनरल्स में सहयोग पर भी जोर दिया गया, जो वैश्विक सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाने और स्वच्छ ऊर्जा तथा हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग जैसे उद्योगों में साझेदारी को मजबूती देगा।
रक्षा और सुरक्षा संबंध
रक्षा सहयोग भारत-रूस साझेदारी का एक और अहम स्तंभ बना रहा।
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सैन्य लॉजिस्टिक्स समझौता (RELOS): रूसी संसद ने इस दौरे से पहले ही रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स सपोर्ट (RELOS) समझौते को मंजूरी दे दी थी। यह समझौता दोनों देशों के युद्धपोतों और सैन्य विमानों को एक-दूसरे के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल करने की अनुमति देगा, जिससे सैन्य सहयोग और मज़बूत होगा।
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रक्षा उपकरण: S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और Su-57 फाइटर जेट खरीदने जैसे कई अहम रक्षा सौदों पर भी बातचीत आगे बढ़ी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया ने पिछले आठ दशकों में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन भारत-रूस की मित्रता ध्रुव तारे की तरह स्थिर और मार्गदर्शक रही है। उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन को ‘प्रिय मित्र’ कहकर संबोधित किया और उनके नेतृत्व की सराहना की।
