दिल्ली – कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का शुक्रवार सुबह लातूर में निधन हो गया। 90 वर्षीय पाटिल ने सुबह करीब 6:30 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से अस्वस्थ थे और घर पर ही उपचार चल रहा था। उनके निधन से महाराष्ट्र सहित राष्ट्रीय राजनीति में शोक की लहर है। शांत, संयत और कार्यकुशल नेतृत्व के लिए वे भारतीय राजनीति में विशिष्ट पहचान रखते थे।
शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर 1935 को लातूर जिले के चाकुर में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने आयुर्वेद का अध्ययन किया और फिर मुंबई विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। उनका राजनीतिक सफर 1967 में लातूर नगर पालिका से शुरू हुआ, जो आगे चलकर एक लंबी और प्रभावशाली राजनीतिक यात्रा में बदल गया।
1980 में वे पहली बार लातूर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए और इसके बाद सात बार इस सीट से जीत दर्ज की। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में पाटिल ने रक्षा, वाणिज्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अंतरिक्ष जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों में राज्य मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाली।
1991 से 1996 तक वे लोकसभा अध्यक्ष रहे। अपने कार्यकाल के दौरान लोकसभा के आधुनिकीकरण, कंप्यूटरीकरण, कार्यवाही के सीधा प्रसारण और नई लाइब्रेरी भवन के निर्माण जैसे कई महत्त्वपूर्ण बदलावों को गति दी, जिसे संसदीय सुधारों का अहम दौर माना जाता है।
2004 में लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री बनाया गया। हालांकि 2008 मुंबई आतंकी हमलों के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद पाटिल को पंजाब का राज्यपाल और चंडीगढ़ का प्रशासक नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2010 से 2015 तक सेवाएं दीं। शिवराज पाटिल को एक शांत, विचारशील और सिद्धांतवादी राजनेता के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।
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