“9 महीने तक ISS में फंसे, बोइंग फेल हुआ – SpaceX ने बचाया सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को ; पीएम मोदी और इसरो ने दी बधाई….

 

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर एक अभूतपूर्व अंतरिक्ष मिशन के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए हैं। यह वापसी इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि वे 286 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में फंसे रहे, जबकि उन्हें वहां सिर्फ आठ दिन रहना था!

 

समस्या कहां हुई? : दरअसल, बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल से उनकी वापसी होनी थी, लेकिन तकनीकी खराबियों के कारण बार-बार मिशन टलता रहा। अंततः, एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी ने उन्हें ड्रैगन कैप्सूल के जरिए सफलतापूर्वक पृथ्वी पर उतारा।

ISS से पृथ्वी पर वापसी: सात मिनट का ‘मौत का साया’ :

 पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान कैप्सूल को 1900°C के तापमान और सात मिनट के संचार ब्लैकआउट जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ा। यह वही क्षण था जहां जरा सी चूक जानलेवा साबित हो सकती थी! लेकिन स्पेसएक्स की शानदार तकनीक ने यह सुनिश्चित किया कि दोनों अंतरिक्ष यात्री सही-सलामत फ्लोरिडा के तट पर उतरे। लैंडिंग के तुरंत बाद, सुनीता विलियम्स कैप्सूल से बाहर निकलीं, मुस्कुराईं और हाथ हिलाकर दुनिया का अभिवादन किया। उनकी यह सकारात्मकता और साहस इस मिशन की सबसे प्रेरणादायक तस्वीर बन गई।

‘स्पेसएक्स’ ने मारी बाज़ी, ‘बोइंग’ की साख पर सवाल :

 यह घटना नासा के लिए एक बड़ा सबक बन गई है। बोइंग के स्टारलाइनर प्रोजेक्ट की तकनीकी खामियों ने अंतरिक्ष यात्रियों की जान खतरे में डाल दी, जबकि स्पेसएक्स ने अपनी श्रेष्ठता साबित कर दी। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या भविष्य में नासा स्पेसएक्स पर ज्यादा भरोसा करेगा? इस मिशन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंतरिक्ष यात्रा में तकनीकी खामियां कितनी खतरनाक और घातक हो सकती हैं। वहीं, यह भी तय हो गया कि जब भी अंतरिक्ष से सुरक्षित वापसी की बात आएगी, तो एलन मस्क की स्पेसएक्स सबसे आगे रहेगी!

पीएम मोदी और इसरो ने दी बधाई :

 सुनीता विलियम्स की सफल वापसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने उन्हें बधाई दी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा- “यह न सिर्फ अमेरिका बल्कि भारत के लिए भी गर्व का क्षण है। सुनीता विलियम्स ने फिर साबित कर दिया कि भारतीय मूल की बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं!”

अंतरिक्ष मिशनों का नया युग :

 अब जब यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, सवाल उठता है- क्या भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा सिर्फ स्पेसएक्स के भरोसे होगी? क्या बोइंग जैसी कंपनियां नासा की प्राथमिकता बनी रहेंगी? इस घटना ने नासा, इसरो और अन्य स्पेस एजेंसियों को एक चेतावनी दे दी है-अब अंतरिक्ष मिशनों में तकनीकी खामियों के लिए कोई जगह नहीं है!

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