गरियाबंद/कोपरा (गंगा प्रकाश)। कोपरा नगर पंचायत क्षेत्र में रविवार शाम हुए एक भीषण सड़क हादसे के बाद शासनकीय पूर्व माध्यमिक शाला सेंदर कोपरा में पदस्थ शिक्षक पुनाराम यादव ने मानवता, साहस और जिम्मेदारी का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करते हुए दो घायल युवकों की जान बचाई। उनकी त्वरित सूझबूझ और संवेदनशीलता के कारण गंभीर रूप से घायल युवकों को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सका, जिससे उनकी जान बच गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार शाम को कोपरा नगर पंचायत बस स्टैंड के पास तेज रफ्तार कार और मोटरसाइकिल के बीच जोरदार टक्कर हो गई। दुर्घटना के समय मोटरसाइकिल में सवार सुनील साहू अपनी पत्नी पूजा साहू के साथ राजिम की ओर जा रहे थे। इसी दौरान पीछे से तेज गति से आ रही कार ने उनकी बाइक को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे दोनों सड़क पर दूर जा गिरे।
हादसा इतना भीषण था कि पूजा साहू की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई, जबकि सुनील साहू गंभीर रूप से घायल हो गए। दुर्घटना के दौरान सड़क किनारे मौजूद मनोज यादव भी टक्कर की चपेट में आकर घायल हो गए।
एम्बुलेंस की देरी बनी खतरा
हादसे के तुरंत बाद मौके पर मौजूद लोगों ने 108 एम्बुलेंस और पुलिस को सूचना दी, लेकिन एम्बुलेंस के समय पर नहीं पहुंचने और घायलों की हालत लगातार बिगड़ते देख शिक्षक पुनाराम यादव ने बिना किसी देरी के बड़ा निर्णय लिया। उन्होंने अपनी निजी गाड़ी से दोनों घायलों को सीधे राजिम शासकीय अस्पताल पहुंचाया।
डॉक्टरों ने बताया कि यदि घायलों को समय पर अस्पताल नहीं लाया जाता, तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता था। वर्तमान में सुनील साहू और मनोज यादव की स्थिति खतरे से बाहर बताई जा रही है।
नगर में हो रही प्रशंसा
हादसे के बाद कोपरा नगर सहित आसपास के क्षेत्र में शिक्षक पुनाराम यादव के इस साहसिक और मानवीय कार्य की जमकर सराहना हो रही है। नागरिकों ने उन्हें सच्चा शिक्षक, समाजसेवी और मानवता का प्रहरी बताया।
यातायात विभाग के अधिकारी धर्मेंद्र सिंह ठाकुर ने भी शिक्षक यादव की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा संचालित राहगीर योजना के अंतर्गत ऐसे संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिकों को सम्मानित किया जाता है, जो दुर्घटना पीड़ितों की समय पर मदद करते हैं।
परिजनों ने जताया आभार
घायलों के परिजनों ने शिक्षक पुनाराम यादव को “जीवन रक्षक” बताते हुए उनका हृदय से आभार व्यक्त किया। परिजनों ने कहा कि यदि शिक्षक यादव ने समय रहते घायलों को अस्पताल नहीं पहुंचाया होता, तो परिणाम और अधिक भयावह हो सकता था।
