छुरा की दरिंदगी: 4 साल की मासूम से दरिंदे ने किया दुष्कर्म, पास्को का पूर्व आरोपी निकला फिर वही शैतान — इलाका ग़मगीन, लोगों में उबाल

 

छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)।छुरा की दरिंदगी: गरियाबंद जिले के छुरा कस्बे से एक बार फिर ऐसी खौफनाक घटना सामने आई है, जिसने न सिर्फ इंसानियत को शर्मसार किया है, बल्कि पूरे इलाके को ग़म और ग़ुस्से की आग में झोंक दिया है। बुधवार की दोपहर एक 27 वर्षीय युवक ने मोहल्ले में खेल रही चार साल की मासूम बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया और उसके साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं। बच्ची की दर्दभरी चीखें जब आसपास सुनाई दीं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

मासूम अपने बुआ के घर आई थी और घर के सामने ही मोहल्ले की दूसरी बच्चियों के साथ खेल रही थी। तभी पास ही रहने वाला वेदप्रकाश ध्रुव, जो पहले से ही नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में जेल जा चुका है, उस बच्ची को टॉफी और मोबाइल दिखाने का लालच देकर अपने घर ले गया। बच्ची कुछ समझ पाती, उससे पहले ही आरोपी ने दरवाजा बंद कर उसके साथ जबरदस्ती की।

 

घटना के समय बच्ची की चीख सुनकर आसपास के लोगों और उसके परिजनों को शक हुआ। परिजनों ने जब युवक के घर का दरवाज़ा ज़बरदस्ती खोला, तो सामने की तस्वीर ने सभी के पैरों तले ज़मीन खींच ली। 4 साल की मासूम बच्ची खून से लथपथ ज़मीन पर पड़ी थी और आरोपी कुर्सी पर बैठकर उसे डराने की कोशिश कर रहा था।

 

परिजन बच्ची को लेकर तुरंत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छुरा पहुंचे, लेकिन वहां महिला डॉक्टर की अनुपस्थिति के चलते प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल गरियाबंद रेफर कर दिया गया। वहां से भी मासूम की नाज़ुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने बिना देरी उसे राजधानी रायपुर रेफर कर दिया, जहाँ उसका इलाज जारी है।

 

पहले भी पास्को में जा चुका है जेल

आरोपी वेदप्रकाश ध्रुव की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। पुलिस रिकॉर्ड और स्थानीय सूत्रों के अनुसार वह पहले भी नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म के मामले में पकड़ा गया था। उस पर पास्को एक्ट की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज हुआ था और वह जेल की सजा काट चुका है। जेल से छूटने के महज 15 दिन बाद उसने छुरा मस्जिदपारा में चोरी की वारदात को अंजाम दिया था, जिसके बाद वह फिर जेल गया और 6 मार्च 2025 को रिहा हुआ।

 

अब रिहाई के कुछ ही महीनों बाद उसने फिर से वही घिनौना कृत्य दोहराया है। यह साफ तौर पर संकेत देता है कि आरोपी पूरी तरह से असामाजिक मानसिकता का शिकार है और समाज के लिए बेहद ख़तरनाक भी।

 

पुलिस ने तुरंत की कार्रवाई, गंभीर धाराएं दर्ज

घटना की सूचना मिलते ही छुरा थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया है। आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं 64, 65(2), 115(2), 4(2), 6 और पॉक्सो एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस अब आरोपी के पुराने केस, जेल रिहाई की रिपोर्ट और निगरानी रिकॉर्ड को भी खंगाल रही है।

छुरा थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी एक “हैबिचुअल सेक्सुअल ऑफेंडर” (बार-बार यौन अपराध करने वाला) प्रतीत हो रहा है, और इसके विरुद्ध पुलिस कोर्ट में फास्ट ट्रैक ट्रायल की मांग करेगी।

 

इलाके में रोष, लोग कर रहे फांसी की मांग

घटना के बाद पूरे इलाके में शोक और गुस्से का माहौल है। मोहल्ले के लोग और सामाजिक संगठनों ने थाने का घेराव कर आरोपी को फांसी देने की मांग की है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि ऐसे अपराधियों को समय रहते फांसी जैसी सजा नहीं दी गई, तो मासूम बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना नामुमकिन हो जाएगा।

 

छुरा निवासी कहते हैं, “यह कोई पहली बार नहीं है, इस दरिंदे को सब जानते हैं। जेल से छूटकर आते ही फिर वही हरकत। क्या अब भी प्रशासन और न्यायपालिका को चेतना नहीं चाहिए?”

 

एक अन्य स्थानीय महिला ने कहा, “बेटियाँ अब घर के बाहर भी सुरक्षित नहीं। क्या अब उन्हें कमरे में बंद कर दें?”

 

प्रशासन और कानून व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल उठता है कि एक बार पास्को एक्ट में दोषी करार दिया गया अपराधी बिना किसी निगरानी के खुलेआम मोहल्लों में घूम रहा था। क्या ऐसे अपराधियों पर निगरानी नहीं रखी जानी चाहिए थी?

इस घटना ने यह भी उजागर कर दिया है कि ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में महिला डॉक्टरों की भारी कमी अब सीधे-सीधे बालिका सुरक्षा और तत्काल चिकित्सा में बाधा बन रही है।

न्याय की प्रतीक्षा में मासूम परिवार

अब पूरा क्षेत्र उस मासूम बच्ची की सलामती और आरोपी को कठोरतम सजा दिलाने की उम्मीद में एकजुट है। परिजनों का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए, और उस दरिंदे को ऐसी सजा मिले जो पूरे समाज के लिए उदाहरण बने।

यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के हर जिम्मेदार नागरिक के लिए चेतावनी है कि अब वक्त है — ऐसे भेड़ियों को पहचानने, रोकने और कानून की धार में लाने का।

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