हाथी अलर्ट एप और ड्रोन-मैपिंग पोर्टल से बदली वन संरक्षण की तस्वीर

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। दुर्लभ वन्यजीवों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के क्षेत्र में उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व (USTR) लगातार नई मिसाल कायम कर रहा है। वर्ष 2025 में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आयोजित राज्य स्तरीय “सुशासन संवाद” सम्मेलन के दौरान टाइगर रिजर्व की दो अभिनव तकनीकी पहल—हाथी अलर्ट मोबाइल एप और रिमोट सेंसिंग एवं ड्रोन मैपिंग आधारित पोर्टल को छत्तीसगढ़ की 9 प्रमुख सुशासन नवाचारों में शामिल किया गया है।

इस उपलब्धि ने न सिर्फ जिले बल्कि पूरे राज्य के वन संरक्षण प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है। कार्यक्रम में वन विभाग, पुलिस विभाग और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

AI आधारित ‘गजरक्षक’ एप से घटा मानव-हाथी संघर्ष

वर्ष 2023 में उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) संचालित ‘गजरक्षक’ हाथी ट्रैकिंग एवं अलर्ट एप लॉन्च किया गया था। इस एप के माध्यम से हाथियों की गतिविधियों पर चौबीसों घंटे निगरानी रखी जाती है। जैसे ही हाथियों का झुंड किसी आबादी वाले क्षेत्र की ओर बढ़ता है, ग्रामीणों को तुरंत SMS, व्हाट्सएप और मोबाइल अलर्ट के माध्यम से चेतावनी भेजी जाती है।

इसके सकारात्मक परिणाम यह रहे कि बीते तीन वर्षों में मानव-हाथी संघर्ष से होने वाली जनहानि में ऐतिहासिक कमी दर्ज की गई है।
जहां वर्ष 2022-23 में मुआवजा राशि 78 लाख रुपये थी, वहीं यह घटकर

* 2023-24 में 28 लाख रुपये,
* 2024-25 में 19 लाख रुपये,
* और 2025-26 (नवंबर तक) में मात्र 10 लाख रुपये रह गई है।

यह आंकड़े साफ तौर पर दर्शाते हैं कि तकनीक के सही उपयोग से जनहानि, संपत्ति नुकसान और भय के माहौल को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

कई राज्यों ने अपनाया मॉडल

छत्तीसगढ़ वन विभाग की इस पहल से प्रभावित होकर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों को भी राज्य-विशिष्ट संशोधनों के साथ यह एप अपनाने के लिए तकनीकी मार्गदर्शन दिया गया है। यही नहीं, इस एप ने भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा आयोजित मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन पर आधारित राष्ट्रीय स्तर के हैकथॉन में प्रथम स्थान भी हासिल किया है।

ड्रोन मैपिंग पोर्टल से अतिक्रमण पर कड़ी निगरानी

उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व का दूसरा महत्वपूर्ण नवाचार गूगल अर्थ इंजन आधारित रिमोट सेंसिंग और ड्रोन मैपिंग पोर्टल है। इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ और आसपास के 10 किलोमीटर क्षेत्र में वन आवरण, अवैध कटाई, जल स्रोतों की क्षति और अतिक्रमण की निगरानी उपग्रह चित्रों व ड्रोन सर्वे के जरिए की जा रही है।

इस तकनीक की मदद से वर्ष 2024 में लगभग 750 हेक्टेयर भूमि, जिसका NPV मूल्य लगभग 450 करोड़ रुपये आंकड़ा गया है, से अतिक्रमण हटाया गया। इस भूमि का अधिकांश हिस्सा ओडिशा सीमा क्षेत्र में स्थित था।

महानदी कैचमेंट क्षेत्र में ऐतिहासिक पुनर्स्थापन

ड्रोन और रिमोट सेंसिंग तकनीक के माध्यम से महानदी कैचमेंट के 750 हेक्टेयर क्षेत्र में जियो-टैगिंग के साथ पुनर्स्थापन (रेस्टोरेशन) कार्य किया गया है। यह क्षेत्र अब एक महत्वपूर्ण वन्यजीव आवास (Habitat) और कार्बन सिंक के रूप में विकसित हो रहा है, जिससे देश को कार्बन न्यूट्रैलिटी जैसे जलवायु लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिल रही है।

वन विभाग के कार्य अब आम जनता के सामने

ड्रोन मैपिंग पोर्टल पर वृक्षारोपण, वाटरशेड विकास, जल संरक्षण, अतिक्रमण हटाने जैसे कार्यों की उच्च-रिजॉल्यूशन ऑर्थोमोज़ैक तस्वीरें उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन्हें आम नागरिक अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर देख सकते हैं। इससे शासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वास तीनों में बढ़ोतरी हुई है।

साथ ही यह पोर्टल नक्सल-प्रभावित और दुर्गम इलाकों में किए गए विकास कार्यों को भी सार्वजनिक मंच प्रदान कर रहा है, जिससे इन क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने में मदद मिल रही है।

छत्तीसगढ़ बना तकनीक आधारित वन संरक्षण का मॉडल राज्य

उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व की ये दोनों पहलें अब यह प्रमाणित कर चुकी हैं कि यदि तकनीक, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी एक साथ जुड़ जाए, तो वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ मानव जीवन की सुरक्षा भी पूरी तरह संभव है। यही कारण है कि राज्य शासन ने इन दोनों नवाचारों को छत्तीसगढ़ के सुशासन मॉडल का प्रमुख स्तंभ माना है।

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