रायपुर /बस्तर : कुछ समय पहले बस्तर के नक्सल क्षेत्र में नक्सलियों की हिंसा से अनेक परिवार उजड़ गए थे। परिवार के मुखियाओं की हत्या के बाद परिवार पर संकट छा गया था। अब, परिवार की महिलाएं संकटों से जूझते हुए पुनः परिवार को खुशहाली की ओर ले जाने का प्रयास कर रहीं हैं। महिलाओं की खुशी का यह नजारा बस्तर ओलंपिक में दिखाई दिया। अनेक नक्सल पीड़ित परिवार की महिलाओं ने पारंपरिक ग्रामीण खेलों में उत्साह से भाग लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
बस्तर ओलम्पिक 2025 के आयोजन से कई महिलाओं को अपनी जड़ों से दोबारा जुड़ने का अवसर मिला है। ऐसी ही महिलाओं में शामिल हैं सरोज पोडियाम, जो विवाह और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वर्षों से खेल से दूर थीं। तीन वर्ष की बच्ची की मां होने के बावजूद उन्होंने खेल मैदान में वापसी कर सभी को प्रेरित किया।
रस्साकसी में संभाग स्तर तक पहुंची
कोंटा विकासखंड के दूरस्थ मुरलीगुड़ा ग्राम की निवासी सरोज पोडियाम ने बताया कि बस्तर ओलंपिक शुरू होने से उन्हें स्कूल के दिनों की याद आ गई। जब वे खो-खो और कबड्डी जैसे खेलों में भाग लेतीं थीं। हम महिलाओं का अधिकतर समय परिवार, बच्चे और गृहकार्य में बीत जाता है। लेकिन, बस्तर ओलम्पिक ने हमें फिर से अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया। इस बार संभाग स्तर तक पहुंचना हम सभी के लिए बड़ी खुशी की बात है। बस्तर ओलंपिक में सरोज पोडियाम और उनकी टीम ने रस्साकसी में दमदार प्रदर्शन किया और संभाग स्तरीय प्रतियोगिता तक पहुंची हैं। टीम की इस उपलब्धि से पूरे परिवार और गांव में खुशी का माहौल है
माओवादी हिंसा से प्रभावित परिवार, संघर्ष से उपलब्धि तक की यात्रा
सरोज पोडियाम का परिवार माओवादी हिंसा से प्रभावित रहा है। वर्ष 2009 में नक्सलियों द्वारा उनके ससुर की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद परिवार गहरे संकट में आ गया। घटना के बाद शासन ने नवा बिहान योजना के तहत सुकमा में उन्हें आवास उपलब्ध कराया तथा उनके पति राकेश को नगर सैनिक के रूप में पदस्थ कर परिवार को संबल दिया। आज वही परिवार संघर्ष की राह से निकलकर बस्तर ओलंपिक में उपलब्धि की नई कहानी लिख रही है। अन्य महिलाओं में नंदिता सोढ़ी, सरिता पोडियामी, लिपिका डे, मुन्नी नाग, ललिता यादव, पूनम भेखर, जसवंती वेट्टी, बण्डी बारसे आदि महिलाओं ने मिलकर बेहतरीन तालमेल से प्रदर्शन किया और संभाग स्तर तक पहुंचने का गौरव पाया।



