यूनियन नेता बी. राजा राव का असली चेहरा बेनकाब: संघ की आड़ में दादागिरी, अब यौन उत्पीड़न का आरोपी

 

दंतेवाड़ा (गंगा प्रकाश)। एक ऐसा चेहरा, जिसे अब तक मज़दूरों का हमदर्द और संरक्षक समझा जाता था, वह असल में एक घिनौने अपराध का दोषी निकला। बी. राजा राव, जो एनएमडीसी के बचेली परियोजना में यूनियन नेता है, जो खुद को मज़दूरों का उद्धारकर्ता बताता था, अब पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। बचेली में कार्यरत एक महिला ने उसके खिलाफ यौन उत्पीड़न की गंभीर शिकायत दर्ज कराई है।

पीड़िता, जो बचेली में एक कर्मचारी हैं, ने इस पूरे मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि बी. राजा राव अक्सर महिला के कार्यालय में किसी काम के बहाने आता था और जबरदस्ती उनके करीब आने की कोशिश करता था। ऐसे ही एक दिन, यूनियन नेता बी. राजा राव ने महिला कर्मचारी के कार्यालय में ही उनका जबरन हाथ पकड़ने की कोशिश की। जब महिला कर्मचारी ने झटके से अपना हाथ छुड़ाया और सख्त लहज़े में चेतावनी दी, तब भी बी. राजा राव रुका नहीं।

उसने आगे बढ़कर पीड़िता के चेहरे पर अनुचित तरीके से हाथ फेरने की कोशिश की और बेहद अभद्र भाषा में बातें करने लगा। यह हरकत एक बार नहीं हुई, बल्कि बार-बार उसने महिला कर्मचारी को घूरा, पीछा किया और उन्हें मानसिक रूप से परेशान करने की कोशिश की। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो बी. राजा राव ने उन्हें धमकी दी कि अगर उन्होंने यह बात बाहर बताई, तो उनके नौकरी से निकलवा देगा ।

फिर भी, पीड़िता ने साहस जुटाकर बिना डरे इस पूरे मामले की रिपोर्ट कंपनी के उच्च अधिकारियों को दी। सूत्रों के अनुसार, एनएमडीसी प्रबंधन ने इस प्रकरण पर आंतरिक जाँच शुरू की, जिसमें यह पाया गया कि बी. राजा राव पर लगे आरोप सत्य हैं। इसके बाद, कंपनी ने तत्काल प्रभाव से उसे निलंबित कर दिया।

यह मामला सिर्फ एक महिला कर्मचारी के उत्पीड़न तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहरी साज़िश और मज़दूरों के साथ धोखाधड़ी की कहानी भी है। बी. राजा राव खुद को मज़दूरों का हितैषी बताकर उनकी सहानुभूति जीतता रहा, लेकिन असल में वह यूनियन का इस्तेमाल अपने अनुचित इरादों के लिए कर रहा था। कभी मज़दूरों को उकसाकर मजदूर भाइयों को प्रबंधन के खिलाफ भड़काना, कभी उत्पादन को नुकसान पहुँचाना, और अब यह शर्मनाक यौन उत्पीड़न का मामला। क्या यही यूनियन की ताकत का सही उपयोग है? ऐसे भ्रष्ट चरित्र के यूनियन नेताओं की मनमानी और दबंगई अब राष्ट्रीय शर्मसारी का कारण बन गई है। यूनियन का कार्य मज़दूरों और कंपनी के बीच पुल का काम करना होता है, लेकिन कुछ भ्रष्ट नेता इसे अपनी निजी संपत्ति समझ बैठे हैं और मनमानी कर रहे हैं।

बी. राजा राव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने यूनियन की ताकत का दुरुपयोग कर महिलाओं को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया।

यह मामला सिर्फ एक कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे मज़दूर संगठनों की साख पर प्रश्नचिह्न लगा देता है। ऐसे भ्रष्ट और घिनौने नेताओं की वजह से यूनियन का असली उद्देश्य ही धूमिल हो रहा है, जो यूनियन, कंपनी और देश की गरीमा के लिए काला धब्बा साबित हो रही है।

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