Cg news: आवारा मवेशियों से मुक्ति, नशे के खिलाफ जनजागरूकता की हुंकार: गरियाबंद में कलेक्टर उइके के नेतृत्व में सख्त कदम, जनता को सुरक्षित और नशामुक्त समाज की सौगात
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। आवारा मवेशियों से मुक्ति, नशे के खिलाफ जनजागरूकता की हुंकार गरियाबंद जिले में अब सड़कों पर आवारा मवेशियों की मनमानी और खुले वाहनों में लोगों की खतरनाक सवारी पर सख्ती शुरू हो गई है। साथ ही, नशे के खिलाफ एक निर्णायक जंग का बिगुल बज चुका है। जिला कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आज आयोजित एक अहम बैठक में कलेक्टर बी.एस. उइके ने सड़क सुरक्षा समिति और नशामुक्त भारत अभियान समिति के सदस्यों को दो टूक निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि अब जिले में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।
बैठक में कलेक्टर श्री उइके ने कहा कि जिले की जनता की जान-माल की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए प्रशासन हर आवश्यक कदम उठाएगा। उन्होंने घुमंतु और आवारा मवेशियों को सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बताते हुए तत्काल प्रभाव से नियमित अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मवेशियों के गले में रेडियम बेल्ट पहनाना और उनके सींगों पर कलर कोडिंग करना अनिवार्य किया जाए, ताकि रात के समय वाहन चालकों को दूर से ही पशु दिख सकें और दुर्घटनाओं से बचाव हो सके।

खुले वाहनों में परिवहन पर पूर्ण रोक
कलेक्टर ने बारात, शादी, जुलूस या किसी भी सामाजिक आयोजन में ट्रैक्टर, ट्रक, पीकअप जैसे खुले वाहनों में लोगों को ढोने पर सख्त नाराजगी जताई और संबंधित विभागों को निर्देशित किया कि इसके खिलाफ तत्काल कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि कई मामलों में इन वाहनों में बैठे लोग असंतुलित होकर गिर जाते हैं, जिससे जानलेवा हादसे होते हैं। ऐसे खतरनाक परिवहन के खिलाफ आम जनता में भी ग्राम स्तर पर मुनादी कराकर समझाईश दी जाए, ताकि लोगों की सोच बदले और वे स्वयं नियमों का पालन करें।
नशे के खिलाफ युद्ध: भारत माता वाहिनी को किया सक्रिय
बैठक का एक और महत्वपूर्ण बिंदु था नशामुक्त भारत अभियान, जिसके तहत गांव-गांव में ‘भारत माता वाहिनी’ को सक्रिय किया जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि यह अभियान अब कागजों तक सीमित नहीं रहेगा। ग्रामीणों को शराब, गांजा, नशे की अन्य वस्तुओं के खिलाफ जागरूक करने के लिए वाहिनी के स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वे जनजागरूकता का सशक्त माध्यम बन सकें।
उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभागों को एक साथ मिलकर सामूहिक जनजागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। गांवों, स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर रैलियां, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रदर्शनी, व्याख्यान आदि के माध्यम से नशे के दुष्प्रभाव को बताया जाएगा। कलेक्टर ने विशेष रूप से युवाओं को इस मुहिम से जोड़ने पर बल दिया।
Cg: गरियाबंद जिले में नशे के खिलाफ छेड़ा गया निर्णायक अभियान https://gangaprakash.com/?p=74380
नशामुक्ति केंद्रों की स्थिति पर निगरानी
कलेक्टर उइके ने जिले में संचालित नशामुक्ति केंद्रों की वस्तुस्थिति जानने की पहल की। उन्होंने निर्देश दिए कि केंद्रों में कितने लोग इलाज के लिए आ रहे हैं, उन्हें किस प्रकार की काउंसलिंग दी जा रही है, यह नियमित रूप से निगरानी में लिया जाए। इसके अलावा, काउंसलरों की ट्रेनिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता सेवाओं को और अधिक प्रभावशाली बनाने की योजना पर भी चर्चा की गई।
प्रशासन की संयुक्त कार्य योजना तैयार
बैठक में पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा, वन मंडलाधिकारी लक्ष्मण सिंह, अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय, एएसपी जितेन्द्र चंद्राकर, नवीन भगत सहित समिति के अन्य सदस्य मौजूद रहे। बैठक में तय किया गया कि सड़क सुरक्षा और नशामुक्ति के लिए प्रशासन, पुलिस, समाज कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और स्थानीय निकायों के बीच सटीक समन्वय स्थापित किया जाएगा, जिससे अभियान ज़मीनी स्तर तक असरदार बने।
गरियाबंद जिले में यह बैठक एक नये बदलाव का संकेत है। जहां एक ओर सड़क सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने कमर कस ली है, वहीं दूसरी ओर नशे के खिलाफ सामाजिक चेतना की एक नई लहर शुरू की जा रही है। आने वाले दिनों में गरियाबंद की सड़कें न केवल सुरक्षित होंगी, बल्कि यहां की युवा पीढ़ी नशे से मुक्त होकर एक स्वस्थ और जिम्मेदार नागरिक बनने की ओर अग्रसर होगी।