Brekings: “एक बोतल वोदका… काम मेरा रोज़ का!” — शराब के नशे में पंचायत पहुँचने वाला सचिव बना ग्राम विकास का सबसे बड़ा रोड़ा!
कोरबा/पोड़ी उपरोड़ा (गंगा प्रकाश)।एक बोतल वोदका… काम मेरा रोज़ का! “सरकार योजनाएं बनाती रही और सचिव साहब शराब पीकर सब चौपट करते रहे…” — यह कहना है ग्राम नवापारा के एक बुजुर्ग ग्रामीण का, जिनकी उम्मीदें पंचायत सचिव के रोजाना के नशे में धुत्त व्यवहार ने तोड़ दी हैं।

जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा अंतर्गत नवापारा ग्राम पंचायत इन दिनों पंचायत सचिव रामेश्वर राजवाड़े की शराबी हरकतों के चलते विकास के रास्ते से भटक गया है। सचिव पर आरोप है कि वह प्रतिदिन शराब के नशे में धुत्त होकर कार्यालय पहुँचता है और पूरे दिन पंचायत भवन को मदिरालय में तब्दील कर देता है। इस रवैये से जहां ग्रामीणों में आक्रोश है, वहीं पंचायत का कामकाज पूरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
शराबी सचिव से त्रस्त नवापारा
नवापारा के ग्रामीणों का कहना है कि सचिव रामेश्वर राजवाड़े का व्यवहार लंबे समय से असंयमित, लापरवाह और गैर-जिम्मेदाराना रहा है। पंचायत कार्यालय में आने का समय तय नहीं है, और जब आते हैं तो शराब के नशे में टल्ली हालत में होते हैं। ना कोई फाइल देखी जाती है, ना जन समस्याओं पर ध्यान दिया जाता है। पंचायत भवन कभी-कभी मयखाना लगने लगता है — जहां सचिव साहब शराब की बोतलें लेकर बैठते हैं और लोगों से बहस तक करने लगते हैं।
विकास कार्य ठप, फाइलें धूल खा रही हैं
ग्राम पंचायतों को सरकार ने “ग्राम स्वराज” का आधार बनाया है, जहां से ग्रामीण विकास की तमाम योजनाएं संचालित होती हैं — मसलन प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, शौचालय निर्माण, जल जीवन मिशन, राशन कार्ड, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र आदि। परंतु नवापारा में इन योजनाओं की फाइलें महीनों से धूल फांक रही हैं। न किसी योजना का क्रियान्वयन हो पा रहा है, न ही कोई शिकायत सुनी जा रही है।
ग्रामीण महिला समूह की सदस्य शांति बाई कहती हैं, “हम मनरेगा का मजदूरी भुगतान पूछने गए थे, तो सचिव जी शराब के नशे में उल्टी-सीधी बातें करने लगे। डर के मारे लौटना पड़ा। अब तो कोई महिला वहां जाने से भी कतराती है।”
शिकायतों का अम्बार, पर कार्रवाई शून्य!
ग्रामीणों के अनुसार सचिव के शराबी व्यवहार की शिकायतें जनपद पंचायत से लेकर जिला कलेक्टर तक कई बार की जा चुकी हैं। आवेदन, ज्ञापन और सार्वजनिक विरोध के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे ग्रामीणों में यह धारणा बन गई है कि सचिव को “ऊपर” से संरक्षण प्राप्त है।

ग्राम के युवा नेता रोहित कंवर कहते हैं, “सचिव की शराब की लत किसी से छिपी नहीं है। कई बार हमने वीडियो बनाकर अधिकारियों को भेजे हैं। मगर सबकुछ अनदेखा कर दिया गया। लगता है जब तक किसी बड़ी घटना की आशंका न हो, तब तक प्रशासन आंखें बंद रखेगा।”
पद की गरिमा को ठेस, प्रशासन की प्रतिष्ठा दांव पर
एक पंचायत सचिव का पद किसी भी ग्राम पंचायत में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। यही व्यक्ति विकास कार्यों की निगरानी करता है, दस्तावेजों का संधारण करता है और सरकार तथा आम जनता के बीच सेतु की भूमिका निभाता है। ऐसे में यदि यह पद ही भ्रष्ट, नशे में चूर और गैर-जिम्मेदार हाथों में चला जाए, तो फिर पंचायतें “जनसेवा केंद्र” नहीं बल्कि “प्रहसन केंद्र” बन जाती हैं।
जनता की मांग: तत्काल निलंबन, नई नियुक्ति
नवापारा के लोगों की मांग स्पष्ट है — सचिव रामेश्वर राजवाड़े को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए और ग्राम पंचायत में एक ईमानदार, अनुशासित सचिव की नियुक्ति हो, ताकि विकास कार्यों की गाड़ी दोबारा पटरी पर लौट सके। गांव की महिलाएं, युवा, वृद्ध — सभी अब संगठित होकर संघर्ष के मूड में हैं।
प्रशासन कब जागेगा?
यह सवाल अब हर ग्रामीण के दिल में है। बार-बार शिकायतों के बाद भी जब जिम्मेदार अफसर कान में तेल डालकर बैठे हों, तो लोकतंत्र की जड़ें हिलने लगती हैं। यह कोई isolated incident नहीं है, बल्कि पूरे तंत्र की निष्क्रियता की मिसाल है। नवापारा जैसे सैकड़ों गांवों में अगर ऐसे ही हाल रहे, तो “आत्मनिर्भर गांव” की परिकल्पना मात्र सपना बनकर रह जाएगी।
क्या प्रशासन अब भी सोता रहेगा, या नवापारा की आवाज़ सुन शासन कुछ ठोस कदम उठाएगा? यह देखना बाकी है।




