6 घंटे बीत जाने बावजूद एसडीआरएफ की टीम लापता अधिकारी को खोजने में रहे अब तक असफल, रेस्क्यू टीम खोजबीन में लगातार जारी…
गर्मियों में धूल, डस्ट से परेशान बारिशों में मलबे से परेशान, कुसमुंडा कोयला खदान में सेफ्टी सुरक्षा

जावेद अली की रिपोर्ट
कोरबा/ब्रेकिंग (गंगा प्रकाश)। एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान एसईसीएल कुसमुंडा में आज बड़ी घटना घटित हुई है। एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र में अत्यधिक वर्षा होने के कारण वर्षा का पानी खदान में प्रवेश कर गया। कुसमुंडा कोयला खुली खदान होने के कारण चारों दिशाओं के बारिश का पानी सीधे कोयला खदान में प्रवेश करती है। जिससे कि पानी का निकासी कर पाना नामुमकिन सा प्रतीत होता है परंतु पानी के निकासी के लिए गर्मीयों के सूखे मौसम में पंप एवं पाइप लाइन बिछाए जाने को लेकर कुसमुंडा खदान में एसईसीएल सीएमडी कार्यालय से सेफ्टी ऑफिसर एवं उच्च अधिकारीयों के द्वारा तीन माह पूर्व निरीक्षण किया गया था। गोदावरी कोयला फेस के समीप न्यू टीआरएस 1 (हापर) बनाई गई है, जिस पर कोयला डंप की जाती है और कन्वेयर बेल्ट की मदद से उसे कोयले के स्टॉक तक पहुंचाई जाती है। New TRS 1 के ठीक समीप पानी निकासी के लिए motor pump मोटर पंप लगाई जानी थी। जिसके लिए बाकायदा मोटर पंप लगाने को लेकर गड्ढे भी की गई परंतु आज पर्यंत तक इस जगह पर मोटर पंप नहीं लगाकर खाना पूर्ति करते हुए पाइपलाइन बिछाई गई। एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधक की घोर लापरवाही से आज कुसमुंडा खदान में बहुत बड़ी घटना घटित हुई है। कुसमुंडा खदान में सेफ्टी सुरक्षा को लेकर कई वर्षों से घोर लापरवाही बरती जा रही है। जिससे कि समय समय पर कर्मचारियों के साथ अप्रिय घटना घटित होती रहती है। जिम्मेदार एवं जवाबदार अधिकारी सिर्फ कोयला प्रोटेक्शन को लेकर एस ई सी एल में अपना व्यापार बन कर रखे हैं। खदान में कोई भी बड़ी घटना घटित होती है तो अपना पल्ला झाड़ने के लिए उल्टे सीधे बयान बाजी करते हैं। इस मामले पर जिम्मेदार एवं जवाबदारी उच्च अधिकारियों के द्वारा सरासर घोर लापरवाही बरती गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन 4:00 के आसपास अत्यधिक वर्षा होने से कुसमुंडा खदान के सतर्कता चौक से लेकर गोदावरी फेस जाने वाले मुख्य मार्ग में वर्षा के पानी का सैलाब देखा गया इसी प्रकार पाली, पड़निया तथा खमरिया गांव में लगी पोकलेन मशीनों के द्वारा मिट्टी उत्खनन की जा रही है। न्यू TRS 1 से कोयला उत्खनन करने वाली मार्ग पहले से ही पूरी तरह से जर्जर थी। कोयला लोडिंग को लेकर नीचे उतरने वाली मार्ग मिट्टी डंप किए गए जगह से सटाकर बनाई गई थी। पहली बारिश में ही कोयला मुख्य मार्ग, मिट्टी से ढक गई थी। इस रास्ते से मिट्टी का मलबा को बार बार सफाई कर समीप में ही एक बड़े गड्ढे में लगातार पाटा जा रहा था। बार-बार बारिश होने से मिट्टी उत्खनन की जगह से बारिश के पानी में घुल मिलकर मिट्टी का मलबा तथा डंप किए गए स्टॉक का मिट्टी, कोयला परिवहन की मुख्य मार्ग में आने व सफाई करने से यह बड़ा गड्ढा मलबे से भर गया। परिणाम स्वरुप तेज बारिश होने से यह मलबे से भरा गड्ढा बारिश के पानी में समा गया। दूसरी ओर बात करें तो कोयला परिवहन का मुख्य मार्ग और मिट्टी उत्खनन करने की जगह के बीचोबीच एक बड़ा सा नाला जैसा रास्ता बन गया था। बावजूद सेफ्टी सुरक्षा में घोर लापरवाही बरतते हुए एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधक के द्वारा समय रहते पानी निकासी करने को लेकर किसी भी प्रकार की कोई प्रबंध नहीं की गई।
गोदावरी फेस में रखे गए लोहे की कंटेनर में एक अधिकारी सहित 3 कर्मचारी बारिश से बचने के रुके हुए थे, लंबे समय से वर्षा होने के कारण पानी का बहाव को देखकर वे घबरा गए। अपनी जान बचाने को लेकर दो दो लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ कर कंटेनर से बाहर निकले और सावधानीपूर्वक एक दूसरे का हाथ थामे सुरक्षित जगह पर जाने लगे। इसी दौरान अचानक वर्षा का पानी तीव्र गति से मिट्टी को अपने साथ बहाकर नीचे आ गई। वर्षा का पानी और मलबे में जितेंद्र नागरकर नामक एसईसीएल अधिकारी बह गया। लापता जितेंद्र नागरकर एसईसीएल कुसमुंडा में सीनियर अंडर मेनेजर के पद पर पदस्थ है। बाकी तीन कर्मचारी सुरक्षित है।
वहीं इस दुखद घटना की सूचना मिलने पर एसईसीएल कुसमुंडा प्रबंधन के जिम्मेदार और जवाबदार अधिकारी घटनास्थल में मौके पर पहुंचे। लापता अधिकारी की खोजबीन की जा रही है। वहीं घटना की सूचना पर एस डी आर एफ की टीम भी मौके पर पहुंची हुई है। रात में अंधेरा होने के कारण खोजबीन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है यह खोजबीन का मामला रेस्क्यू में लगे लोगों के लिए चुनौती भरा है।