CGNEWS :तेंदुआ कुएं में गिरा, वन विभाग ने किया रेस्क्यू, ईंट भट्ठा माफियाओं की करतूत से संकट में जंगल
गरियाबंद/छुरा(गंगा प्रकाश)। गुरुवार सुबह गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत खरखरा के आश्रित ग्राम पंडरीपानी में एक अप्रत्याशित घटना ने गांव के लोगों को भयभीत कर दिया। एक जंगली तेंदुआ भोजन की तलाश में गांव तक आ पहुंचा और मुर्गी का शिकार करते हुए पुराने खुले कुएं में गिर पड़ा।

घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने सतर्कता दिखाते हुए वन विभाग को सूचित किया। कुछ ही समय में विभाग की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। करीब दो घंटे के प्रयास के बाद तेंदुआ स्वयं कुएं से बाहर निकला और सीधे जंगल की ओर भाग गया। इस दौरान किसी को भी शारीरिक नुकसान नहीं हुआ।
गर्मी में पेयजल संकट बना वन्यजीवों के लिए खतरा
गर्मियों में जलस्रोत सूख जाने से वन्य जीवों को भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों की ओर आना पड़ रहा है। सरकार द्वारा लाखों रुपये की योजनाओं के अंतर्गत जंगलों में डैम, तालाब, नहरें आदि बनाए गए हैं, लेकिन उनके रखरखाव की स्थिति इतनी दयनीय है कि वन्य प्राणी उनका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
ईंट भट्ठा माफिया बना रहे हैं जंगलों को निशाना, विभाग मौन
सबसे गंभीर चिंता का विषय यह है कि जिस वन क्षेत्र में यह घटना घटी, वहीं खरखरा, पांड्रीपानी और आसपास के कई इलाकों में ईंट भट्ठा माफिया सक्रिय हैं। इन माफियाओं द्वारा जंगल क्षेत्र के भीतर ही अवैध ईंट भट्ठे बेधड़क तरीके से संचालित किए जा रहे हैं। पेड़ों की कटाई, जमीन की खुदाई और जहरीले धुएं से न केवल पर्यावरण को भारी क्षति पहुंच रही है, बल्कि वन्य प्राणियों का प्राकृतिक आवास भी नष्ट होता जा रहा है।
ग्रामीणों और स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इन अवैध गतिविधियों की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को होने के बावजूद वे मौन हैं। विभागीय अधिकारियों की चुप्पी से यह स्पष्ट होता है कि या तो वे इन गतिविधियों में अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं या फिर इन माफियाओं के दबाव में कोई कार्रवाई करने में असमर्थ हैं।
ग्रामीणों की चिंता: “हमारी सुरक्षा कौन करेगा?”
गांव के लोगों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारी केवल वेतनभोगी बनकर रह गए हैं। जंगल की सुरक्षा, वन्य जीवों का संरक्षण और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण विभाग की जिम्मेदारी है, लेकिन आज स्थिति यह है कि न तेंदुआ सुरक्षित है, न ग्रामीण।
निष्कर्ष
तेंदुए की कुएं में गिरने की यह घटना महज एक संकेत है — कि जंगलों की स्थिति बिगड़ चुकी है। अवैध ईंट भट्टों की बढ़ती संख्या, जल संकट, और विभागीय लापरवाही ने जंगलों और गांवों के बीच की सीमाएं धुंधली कर दी हैं। यदि जल्द ही कठोर कार्यवाही नहीं की गई, तो भविष्य में न वन्य प्राणी बचेंगे और न ही ग्रामीण चैन की नींद सो पाएंगे।