CGNEWS: गरियाबंद जिले के 334 जनजातीय गांवों में विकास का महासंग्राम शुरू: 15 से 30 जून तक लगेगा ‘धरती आबा संतृप्तिकरण शिविर’
शासन की 25 योजनाओं का मिलेगा एक ही जगह लाभ, आदिवासी गांवों में बदलेगा विकास का परिदृश्य
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले के जनजातीय बाहुल्य गांवों में अब बदलाव की बयार बहने वाली है। वर्षों से बुनियादी सुविधाओं से वंचित इन गांवों को अब सरकार की योजनाओं का समग्र लाभ मिलने जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” के अंतर्गत जिले के 334 जनजातीय गांवों में 15 जून से 30 जून तक विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। इन शिविरों को प्रशासन ने ‘संतृप्तिकरण शिविर’ का नाम दिया है, जिसका उद्देश्य है – कोई भी ग्रामीण योजनाओं के लाभ से वंचित न रहे।
इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं गरियाबंद के कलेक्टर बी. एस. उइके, जिन्होंने खुद इसकी मॉनिटरिंग करते हुए संबंधित विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यह कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि जनसेवा का मौका है। यह शिविर उन लोगों तक योजनाओं की पहुँच सुनिश्चित करेंगे, जो वर्षों से दस्तावेज़ी कठिनाइयों, जानकारी के अभाव या संसाधनों की कमी के चलते सरकारी योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।
अभियान का भौगोलिक विस्तार और लक्ष्य
इस अभियान के तहत जिले के सभी विकासखंडों को शामिल किया गया है –
- गरियाबंद ब्लॉक से 126 गांव
- मैनपुर ब्लॉक से 144 गांव
- छुरा ब्लॉक से 50 गांव
- फिंगेश्वर ब्लॉक से 5 गांव
- देवभोग ब्लॉक से 9 गांव
इन गांवों को चिन्हित कर प्रशासनिक टीमों द्वारा पहले से ही सर्वे कराया जा रहा है ताकि हर गांव की स्थानीय समस्याओं, जरूरतों और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए योजना तैयार की जा सके।
शिविरों में क्या-क्या मिलेगा? एक नजर में लाभ
धरती आबा शिविरों में कुल 17 विभागों की 25 से अधिक योजनाएं ग्रामीणों को दी जाएंगी। इनमें शामिल हैं:
- नागरिक सेवा: जाति, निवास, आय प्रमाण पत्र
- खाद्य सुरक्षा: राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड
- श्रम सुविधा: श्रमिक पंजीयन, श्रम कार्ड
- कृषि और आजीविका: किसान क्रेडिट कार्ड, बीमा, मछलीपालन, मुर्गीपालन, डेयरी, सुअरपालन योजनाएं
- रोजगार: मनरेगा जॉब कार्ड, पीएम विश्वकर्मा, मुद्रा ऋण
- सामाजिक सुरक्षा: वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन
- महिला एवं बाल कल्याण: पीएम मातृत्व वंदना योजना, टीकाकरण, आंगनबाड़ी सेवाएं
- आवास योजनाएं: प्रधानमंत्री आवास योजना का पंजीयन
- डिजिटल सेवाएं: आधार अपडेशन, मोबाइल कनेक्टिविटी, इंटरनेट सेवा
- शिक्षा और स्वास्थ्य: आवासीय विद्यालयों का उन्नयन, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की योजना
जनभागीदारी से बनेगा अभियान सफल
कलेक्टर बी एस उइके ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह अभियान सिर्फ योजनाओं के वितरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनसंवाद और भागीदारी का पर्व है। उन्होंने ग्रामीणों से आह्वान किया है कि वे बड़ी संख्या में शिविरों में शामिल होकर न केवल योजनाओं का लाभ लें, बल्कि गांव की जरूरतों और समस्याओं को प्रशासन के समक्ष रखें, ताकि योजनाएं स्थानीय स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित की जा सकें। युवाओं से भी विशेष आग्रह किया गया है कि वे आगे बढ़कर न केवल स्वयं जागरूक बनें, बल्कि दूसरों को भी जागरूक करें।
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अधिकारों की जमीन पर डिलीवरी का नया मॉडल
आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त नवीन कुमार भगत ने बताया कि धरती आबा अभियान केवल योजनाओं का जमावड़ा नहीं, बल्कि विकास की डिलीवरी का नया मॉडल है। अब योजनाएं लोगों तक नहीं, बल्कि लोगों की जरूरतें योजनाओं के केंद्र में होंगी। इसका उद्देश्य है – अभिसरण, समावेशन और सशक्तिकरण।
उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर पर ही आधारभूत ढांचे से जुड़ी समस्याएं जैसे सड़क, बिजली, पानी, इंटरनेट, स्कूल और आंगनबाड़ी की गुणवत्ता, रोजगार और स्वरोजगार के साधन, सभी विषयों पर चर्चा कर प्रस्ताव बनाए जाएंगे और फिर उनके क्रियान्वयन को लेकर लगातार निगरानी की जाएगी।
आदिवासी समाज के लिए बदलाव की बड़ी शुरुआत
गरियाबंद जिले के सुदूर गांवों में अब सरकार की योजनाओं का सीधा असर दिखेगा। जहां पहले लोग प्रमाण पत्र बनवाने या योजनाओं में नाम जुड़वाने के लिए तहसील और दफ्तरों के चक्कर काटते थे, वहीं अब प्रशासन खुद गांव-गांव जाकर सेवाएं दे रहा है।
धरती आबा संतृप्तिकरण शिविर, केवल योजना वितरण का मंच नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की आकांक्षाओं और सरकार की संवेदनशीलता के बीच सेतु बनने जा रहा है।