“ग्राम टेमरा के बीएलओ लक्ष्मीकांत ने दिल्ली तक गूंजाया नाम, निर्वाचन कार्य में उत्कृष्टता पर मिली बड़ी सराहना – अधिकारियों ने बताया क्षेत्र का गौरव”
देवभोग/नई दिल्ली (गंगा प्रकाश)। ग्राम टेमरा के बीएलओ लक्ष्मीकांतकी कहानी छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल से निकली एक बुलंद आवाज़ ने देश की राजधानी दिल्ली तक अपनी छाप छोड़ी है। देवभोग विकासखंड के ग्राम टेमरा के निवासी एवं बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) लक्ष्मीकांत ने अपने निर्वाचन कार्य में जिस निष्ठा, पारदर्शिता और लगन का परिचय दिया, वह अब क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। भारत निर्वाचन आयोग, दिल्ली में उनके प्रतिनिधित्व को लेकर न सिर्फ सरकारी हलकों में सराहना हुई, बल्कि क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारियों ने भी लक्ष्मीकांत को “गौरव” कहकर सम्मानित किया।

बीएलओ का काम आम तौर पर लोगों की नजरों से दूर होता है, लेकिन यही वो नींव है जिस पर लोकतंत्र की सबसे बड़ी इमारत — मतदान प्रक्रिया — खड़ी होती है। ऐसे में जब कोई बीएलओ अपने कर्तव्यों का निर्वहन सिर्फ औपचारिकता के तौर पर नहीं, बल्कि एक मिशन की तरह करता है, तो वह पूरे तंत्र के लिए प्रेरणा बन जाता है।
लक्ष्मीकांत ने अपने क्षेत्र में मतदाता सूची के अद्यतन, नए मतदाताओं के पंजीकरण, बूथ स्तर पर मतदाता जागरूकता और निष्पक्ष मतदान की दिशा में जो कार्य किए, वह अपने आप में उदाहरण हैं। उन्होंने न केवल गांव-गांव घूमकर हर वर्ग तक लोकतंत्र का संदेश पहुँचाया, बल्कि यह सुनिश्चित किया कि कोई भी पात्र मतदाता मतदान से वंचित न रहे।
अधिकारियों ने बताया – “हमारा गौरव”
उनकी इसी निष्ठा और उत्कृष्ट कार्यशैली को देखते हुए छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों ने लक्ष्मीकांत को सार्वजनिक रूप से सराहा है।
जिला पंचायत अध्यक्ष गौरिशंकर कश्यप ने कहा– “लक्ष्मीकांत जैसे लोग ही लोकतंत्र को मजबूत करते हैं। जिस मेहनत और संवेदनशीलता से उन्होंने निर्वाचन कार्य को अंजाम दिया, वह पूरे जिले के लिए गर्व की बात है।”
एसडीएम तुलसीदास मरकाम ने कहा– “बीएलओ का कार्य आमतौर पर प्रशासनिक व्यवस्था की पहली सीढ़ी होता है। लक्ष्मीकांत ने उस सीढ़ी को मजबूत और स्वच्छ बनाया है। उनका योगदान उल्लेखनीय और प्रेरणादायक है।”
तहसीलदार एवं निर्वाचन प्रभारी चितेश कुमार देवांगन ने भी उन्हें “आदर्श बीएलओ” की संज्ञा देते हुए कहा – “हर अधिकारी को लक्ष्मीकांत जैसे जमीनी कार्यकर्ताओं की ज़रूरत है। उन्होंने न केवल आदेशों का पालन किया, बल्कि उसे संवेदनशीलता के साथ जिया।”
विजय कश्यप और ऑपरेटर अमित ध्रुव ने भी लक्ष्मीकांत की कार्यशैली और समर्पण को “विकासखंड देवभोग का गौरव” बताते हुए कहा कि उन्होंने ज़मीनी स्तर पर लोकतंत्र की नींव को मज़बूत किया है।

लक्ष्मीकांत बोले – “यह मेरी नहीं, मेरे गाँव की जीत है”
लक्ष्मीकांत का कहना है –
“मेरे लिए यह कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि मेरे गाँव टेमरा, मेरे क्षेत्र देवभोग और मेरे साथ काम करने वाले तमाम साथियों की सामूहिक सफलता है। मैंने हमेशा यह माना है कि बीएलओ का काम सिर्फ फॉर्म भरवाना नहीं, बल्कि लोकतंत्र की शिक्षा देना है। मुझे गर्व है कि मैं इस प्रक्रिया का एक हिस्सा हूँ।”
उनकी विनम्रता इस बात का प्रमाण है कि वे सिर्फ कार्य के लिए नहीं, बल्कि उस कार्य की आत्मा के लिए जुड़े हुए हैं।
लोकतंत्र के ऐसे सिपाही बनाते हैं व्यवस्था को विश्वसनीय
आज जब देश के विभिन्न हिस्सों में मतदाता उदासीनता, सूचियों में गड़बड़ी और चुनावी प्रक्रियाओं में भ्रम की स्थिति देखी जाती है, तब लक्ष्मीकांत जैसे जमीनी कार्यकर्ता एक उम्मीद की तरह सामने आते हैं। उनका उदाहरण यह दिखाता है कि अगर जमीनी स्तर का कर्मचारी ईमानदारी और निष्ठा से काम करे, तो सबसे बड़ी प्रणाली भी पारदर्शी, सरल और सबके लिए सुलभ बन सकती है।
निष्कर्ष:
लक्ष्मीकांत का यह सम्मान केवल एक व्यक्ति की सराहना नहीं, बल्कि समर्पण, ईमानदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीत है। ऐसे कर्मठ और निष्ठावान बीएलओ ही लोकतंत्र की असली पहचान हैं। देवभोग जैसे ग्रामीण अंचल से निकलकर दिल्ली तक गूंजने वाली यह आवाज़ बताती है कि ज़िम्मेदारी निभाई जाए तो कोई भी सीमा रोक नहीं सकती।

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