छत्तीसगढ़: अब गांव-गांव बैंक! कोचवाय में किसान को मिला माइक्रो एटीएम से कैश, सचिव गुप्ता बोले—‘अब लाइन नहीं, अधिकार मिलेगा!’
प्रभारी सचिव हिमशिखर गुप्ता की मौजूदगी में परसुली के किसान देवानंद को मिला 500 रुपए, ग्रामीणों में दिखा उत्साह
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में इन दिनों सुशासन तिहार-2025 की गूंज है, और इसी के तहत शुक्रवार को गरियाबंद विकासखंड के कोचवाय गांव में आयोजित समाधान शिविर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्रशासन जब चाहे तो व्यवस्था को सीधे जनता के द्वार तक पहुंचा सकता है। इस शिविर की सबसे बड़ी खासियत रही, सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को माइक्रो एटीएम की सुविधा—एक ऐसी सुविधा जो अब तक सिर्फ बैंकों या शहरों में देखने को मिलती थी, अब गांव-गांव पहुंचकर किसानों की जिंदगी आसान बना रही है।

इस समाधान शिविर में प्रभारी सचिव हिमशिखर गुप्ता विशेष रूप से शामिल हुए। उनके साथ गरियाबंद जिले के आला अधिकारी—कलेक्टर बी.एस. उईके, पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा, वन मंडलाधिकारी लक्ष्मण सिंह, जिला पंचायत सीईओ जी.आर. मरकाम, और सहकारिता विभाग की सहायक आयुक्त सुश्री माहेश्वरी तिवारी भी मौजूद रहे। प्रशासनिक अमले की मौजूदगी ने पूरे शिविर को एक नई ऊर्जा दी।
माइक्रो एटीएम: बैंकिंग को सीधे खेत-खलिहान तक पहुंचाने की पहल
शिविर में लगे विभागीय स्टॉलों के निरीक्षण के दौरान जब सचिव श्री गुप्ता सहकारिता विभाग के स्टॉल पर पहुंचे, तो उन्होंने वहां माइक्रो एटीएम की व्यवस्था को देखा। इस तकनीक के जरिए किसान अब अपने जनधन या बैंक खाते से सीधे नगद राशि निकाल सकते हैं—बिना किसी बैंक शाखा गए। यह सुविधा ग्रामीण इलाकों में वित्तीय समावेशन का एक बेहतरीन उदाहरण बन रही है।
प्रभारी सचिव ने इस सुविधा का प्रत्यक्ष परीक्षण करते हुए परसुली गांव के किसान देवानंद ध्रुव को माइक्रो एटीएम के माध्यम से तत्काल 500 रुपये की राशि प्रदान करवाई। जैसे ही मशीन से पर्ची निकली और देवानंद को नगद राशि सौंपी गई, वैसे ही वहां मौजूद ग्रामीणों की आंखों में उम्मीद की चमक दिखने लगी। सचिव ने स्वयं किसान को बधाई दी और कहा कि, “अब बैंक आपके पास आ गया है, आप समय पर अपनी जरूरत की पूर्ति कर सकते हैं। यह सुविधा आपका हक है और आप इसका पूरा लाभ लें।”
पैक्स समितियों में तकनीक की नई दस्तक
जिले की प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) को अब एक नई जिम्मेदारी दी जा रही है—किसानों को सिर्फ खाद-बीज या ऋण नहीं, बल्कि वित्तीय स्वतंत्रता भी देना। माइक्रो एटीएम का संचालन इन्हीं पैक्स के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे किसानों को लंबी बैंक लाइनों और शहर जाने के झंझट से मुक्ति मिल रही है।
सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस सुविधा का प्रचार-प्रसार तेजी से किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ें। उन्होंने कहा, “ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने का यही सही समय है। पैक्स को अब ‘एकीकृत ग्रामीण सेवा केंद्र’ के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।”
शिविर बना उम्मीदों का मंच, महिलाओं और युवाओं की रही भागीदारी
इस शिविर में न केवल किसानों बल्कि बड़ी संख्या में महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने भी भाग लिया। स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक कल्याण, वन, पंचायत, राजस्व, खाद्य—हर विभाग के स्टॉलों पर ग्रामीणों की भीड़ देखने लायक थी। लोग अपनी समस्याओं को सीधे अधिकारियों के सामने रख रहे थे और मौके पर ही समाधान भी पा रहे थे।
एक बुजुर्ग महिला ने कहा, “पहले छोटी-छोटी बातों के लिए महीनों दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब शिविर में सब अधिकारी एक साथ मिल जाते हैं। बहुत अच्छा लगा।”
समापन के साथ संकल्प—हर गांव तक पहुंचेगी सुविधा
शिविर के अंत में सचिव श्री गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि सुशासन तिहार केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनता को प्रशासन से सीधे जोड़ने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जिले के हर गांव तक ऐसी सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी।
शिविर में अंचल के ग्रामीणों ने प्रशासन की इस पहल की खुले दिल से सराहना की और कहा कि इस तरह की शिविरों से जनता का सरकार पर भरोसा और मजबूत होता है। यह कार्यक्रम एक आदर्श उदाहरण बन गया है कि किस प्रकार प्रशासनिक इच्छाशक्ति और तकनीकी नवाचार मिलकर जनसेवा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।