बालोद बना ‘सुरक्षित अड्डा’! पाकिस्तानी-बांग्लादेशी घुसपैठियों का गढ़, पुलिस मौन, नेता संरक्षक!
बालोद (गंगा प्रकाश)। जब पूरे छत्तीसगढ़ में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ पुलिस ने ताबड़तोड़ अभियान छेड़ दिया है, तब बालोद जिला मानो इस गंभीर अभियान से बाहर खड़ा नजर आ रहा है। रायपुर, कवर्धा और दुर्ग जैसे जिलों में एक के बाद एक कार्रवाई हो रही है — संदिग्धों की पहचान, दस्तावेजों की जांच, गिरफ्तारी और देश से बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज़ है। लेकिन बालोद में पुलिस पूरी तरह से ‘मौनव्रत’ में बैठी हुई है। सवाल है – क्यों?
दल्ली राजहरा: संवेदनशील इलाका, लेकिन सुरक्षा लाचार!
जिले का दल्ली राजहरा क्षेत्र जहां स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) की खदानें हैं, वह राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अति संवेदनशील माना जाता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यहीं पर अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिक खुलेआम ठेका श्रमिक बनकर काम कर रहे हैं। आरोप है कि ये लोग पाकिस्तान के सिंध प्रांत और बांग्लादेश से आए हुए हैं और स्थानीय जुगाड़ तथा नेताओं के संरक्षण में वर्षों से रह रहे हैं।
खुलेआम कारोबार, फर्जी दस्तावेज, और प्रशासन की ‘आंखें बंद’ नीति
बालोद, डौंडीलोहारा, गुरूर, अर्जुन्दा, डौंडी, देवरी और गुण्डरदेही जैसे इलाकों में अवैध प्रवासी नागरिक आज कपड़े की दुकानें चला रहे हैं, टायर पंचर की दुकान से लेकर प्रॉपर्टी डीलिंग तक कर रहे हैं। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इन्हें फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी, राशन कार्ड और यहां तक कि बैंक अकाउंट भी दिलवाए गए हैं — वह भी नेताओं और दलालों की मिलीभगत से।
चौंकाने वाली चुप्पी – बालोद पुलिस और एसपी पर सवाल
बालोद जिले में हाल ही में नियुक्त एसपी योगेश कुमार पटेल ने अब तक इस विषय पर कोई विशेष कार्रवाई नहीं की है। राजहरा थाने की कार्यप्रणाली पर भी उंगलियां उठ रही हैं। वहां न केवल अवैध प्रवासी बेखौफ रह रहे हैं, बल्कि अवैध शराब, गांजा, सट्टा, और बॉर जैसे अवैध धंधे भी खुलेआम फल-फूल रहे हैं। नागरिकों का सवाल है – “जब पुलिस स्थानीय अपराधों पर लगाम नहीं लगा पा रही, तो विदेशी घुसपैठियों पर क्या कार्रवाई करेगी?”
राजनीति, वोट बैंक और अवैध नागरिकता का ‘खतरनाक गठजोड़’
वर्ष 2018 से 2023 के बीच के कांग्रेस शासनकाल पर भी आरोप लग रहे हैं कि वोट बैंक की राजनीति के तहत इन विदेशी नागरिकों को बसाने में मदद की गई। जानकारों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों के बहाने आए कई पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिक प्रदेश में बस गए और फर्जी दस्तावेजों के जरिए ‘भारतीय नागरिक’ बन गए। जिनके पास न पासपोर्ट था, न वीजा – लेकिन आज वो यहां के मतदाता हैं और संपत्ति के मालिक भी।
प्रदेश में कार्रवाई तेज, बालोद में ढील क्यों?
रायपुर के खमतराई, टिकरापारा और उरला थाना क्षेत्रों में पुलिस ने गहन पूछताछ और छापेमारी अभियान चलाया है। तीन बांग्लादेशी नागरिकों को फर्जी दस्तावेजों सहित गिरफ्तार किया गया है, जो इराक भागने की फिराक में थे। कवर्धा में होटलों और धर्मशालाओं से दर्जनों संदिग्ध पकड़े गए। मगर बालोद में ये कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
क्या बालोद बना है ‘घुसपैठियों का स्वर्ग’?
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब बालोद जिला अन्य जिलों से पलायन कर चुके विदेशी नागरिकों का ‘शरण स्थल’ बन गया है। प्रशासन की नज़रें बंद हैं, और नेताओं की छत्रछाया में ये घुसपैठिए दिन-ब-दिन मजबूत होते जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों को इस जिले में तत्काल सघन जांच अभियान चलाने की जरूरत है, वरना यह शांति प्रिय जिला भविष्य में बड़ा खतरा बन सकता है।
समाप्ति से पहले सवाल –
- क्या राज्य सरकार बालोद की अनदेखी कर रही है?
- क्या एसपी और स्थानीय प्रशासन पर कोई ‘अनकहा दबाव’ है?
- क्या वोट बैंक की राजनीति, राज्य की सुरक्षा से ऊपर है?
जवाब चाहिए — और जल्दी चाहिए!